इस बार 17 सितंबर से श्राद्धपक्ष हो रहे शुरू, 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा पितृपक्ष

Edited By Chandra Prakash, Updated: 16 Sep, 2024 08:31 PM

this time shradh paksha is starting from 17th september

इस बार 17 सितंबर से श्राद्धपक्ष हो रहे शुरू, 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा पितृपक्ष

  • 18 सितंबर को होगा प्रतिप्रदा का श्राद्ध
  • 18 सितंबर को लगेगा साल का अंतिम चंद्र ग्रहण

यपुर/जोधपुर, 16 सितंबर 2024 । देवी-देवताओं के अलावा पितर भी हमारे जीवन के लिए, मंगलकार्यों के लिए बहुत जरूरी हैं। हमारे ये पूर्वज पितृ लोक में वास करते हैं और श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों के लिए वे धरती पर आते हैं। इसीलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, अर्पण और दान देने की परंपरा है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष मिलता है। वह हमें आशीर्वाद देकर जाते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर तक चलेगा। लेकिन प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को होगा और उसी दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगेगा। भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा इस कारण सूतक नहीं लगेगा। ये आंशिक चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी यह दिखेगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा का एक छोटा हिस्सा ही गहरी छाया में प्रवेश करेगा। पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण आदि क्रम किए जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान पितर लोक से पितर धरती लोक पर आते हैं। इसलिए इस दौरान उनके नाम से पूजा पाठ करना उनकी आत्मा को शांति देता है। साथ ही उन्हें मोक्ष मिलता है।  पितृपक्ष जिसे श्राद्ध भी कहा जाता है अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। पितरों की पूजा और तर्पण आदि कार्यों के लिए श्राद्ध पक्ष बहुत ही उत्तम माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं। इसलिए इन दिनों में उनके श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान आदि करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पितृपक्ष पितरों को समर्पित है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। पंचांग के अनुसार पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है। पितृपक्ष यानी श्राद्ध का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए भी किया जाता है। पितृपक्ष में श्रद्धा पूर्वक अपने पूर्वजों को जल देने का विधान है। पितरों की कृपा नहीं हो, तो जातक की कुंडली में पितृ दोष लगता है। ऐसे लोगों का जीवन दुखों और परेशानियों से भर जाता है। घर परिवार में सुख-शांति नहीं रहती है। आकस्मिक दुर्घटनाएं होती हैं। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियां होने लगती हैं। लिहाजा, पितरों की शांति के लिए श्राद्धपक्ष के ये 15 दिन बहुत विशेष होते हैं।

18 सितंबर को आखिरी चंद्र ग्रहण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. व्यास ने बताया कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 में होगा। ये आंशिक चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी यह दिखेगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा का एक छोटा हिस्सा ही गहरी छाया में प्रवेश करेगा।

चंद्र ग्रहण समय: प्रातः काल 06:12 मिनट से लेकर 10:17 मिनट तक 
चंद्र ग्रहण की कुल अवधि: 04 घंटे 04 मिनट तक

चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इसके आधार पर, 18 सितंबर को होने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक काल आमतौर पर 17 सितंबर की रात से शुरू होगा। चूंकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा। साल के इस दूसरे चंद्र ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह यूरोप, अफ्रीका और उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में चंद्रमा 18 सितंबर को सुबह 6:06 बजे अस्त होगा, जबकि ग्रहण सुबह 6:12 बजे शुरू होगा। नतीजतन, ग्रहण शुरू होने तक चंद्रमा पहले ही अस्त हो चुका होगा, जिससे यह भारत में अदृश्य हो जाएगा।
  
18 सितंबर को होगा प्रतिपदा का श्राद्ध
कुंडली विश्लेषक ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 17 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। वहीं, इसका समापन आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। अमावस्या तिथि इस बार 2 अक्टूबर को पड़ रही है। प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को होगा। इस बार पितृपक्ष में कुल 16 तिथियां रहेंगी। पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद की पूर्णिमा से होती है और ये अश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। इस बार 17 सितंबर 2024 से दो अक्टूबर 2024 तक पितृपक्ष रहेगा।

दोपहर में करना चाहिए तर्पण-अर्पण
कुंडली विश्लेषक व्यास ने बताया कि देवी-देवताओं की पूजा-पाठ सुबह और शाम को की जाती है। पितरों के लिए दोपहर का समय होता है. दोपहर में करीब 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। सुबह नित्यकर्म और स्नान आदि के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए।
 
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास बता रहे हैं कब है कौनसा श्राद्ध।

श्राद्ध की तिथियां
17 सितंबर - पूर्णिमा श्राद्ध
18 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध , 
19 सितंबर - द्वितीया श्राद्ध
20 सितंबर  - तृतीया श्राद्ध
21 सितंबर  - चतुर्थी श्राद्ध
22 सितंबर  - पंचमी श्राद्ध
23 सितंबर  - षष्ठी श्राद्ध - सप्तमी श्राद्ध
24 सितंबर  - अष्टमी श्राद्ध
25 सितंबर  - नवमी श्राद्ध
26 सितंबर  - दशमी श्राद्ध
27 सितंबर  - एकादशी श्राद्ध
29 सितंबर  - द्वादशी श्राद्ध
30 सितंबर  - त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर - चतुर्दशी श्राद्ध
2 अक्टूबर - सर्व पितृ अमावस्या
28 सितंबर को किसी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा
 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!