Edited By Raunak Pareek, Updated: 04 Feb, 2025 08:31 PM
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जैसलमेर के किसानों के सामने एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है, जिससे उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं। इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अधिकारियों के एक आदेश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अब किसानों को कर्ज में डूबने का भय सता रहा है। अपने और अपने परिवार की आजीविका को लेकर वे एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं।
अब खेती के लिए नहीं केवल पीने के लिए मिलेगा पानी
जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ नहरी क्षेत्र में इस बार किसानों ने लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी फसल की बुवाई की है। आंखों में सुनहरे सपने लिए, वे इस उम्मीद में थे कि नहरों में उनकी आवश्यकतानुसार पानी मिलता रहेगा, जिससे उन्हें अच्छी फसल की उम्मीद थी। फरवरी महीने में, जब फसलों पर फल-फूल लगने का समय होता है, उन्हें अचानक पता चला कि इंदिरा गांधी नहर में 1 फरवरी से केवल पीने के लिए ही पानी उपलब्ध होगा, और फसल की सिंचाई के लिए पानी पर रोक लग जाएगी। इस खबर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, और अब उन्हें कर्ज में डूबने का डर सता रहा है।
जैसलमेर के किसानों की उम्मीदों पर फिर पानी
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की तकनीकी समिति की बैठक हाल ही में चंडीगढ़ में आयोजित की गई, जिसमें राजस्थान का प्रतिनिधित्व हनुमानगढ़ उत्तर के जल संसाधन के मुख्य अभियंता प्रदीप रुस्तोगी ने किया। इस बैठक में सबसे पहले बांधों के जलस्तर की समीक्षा की गई, जिसके बाद राजस्थान सहित संबंधित सभी राज्यों को आवंटित किए गए जल शेयरों की समीक्षा की गई।
राज्य के किसानों को सताने लगा डर
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की तकनीकी समिति की हालिया बैठक में एक निर्णय लिया गया है, जिसने जैसलमेर के किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। निर्णय के अनुसार, आगामी 20 सितंबर तक बांधों के जल स्तर के मद्देनजर, इंदिरा गांधी नहर परियोजना के लिए आवंटित पानी को सीमित कर दिया गया है। अब नहर में केवल पेयजल के लिए 3000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा, जिससे नहरी क्षेत्र में लाखों हेक्टेयर में खड़ी रबी की फसलें संकट में आ गई हैं।
किसान नेता सभान खान ने बताया कि नहरी क्षेत्र के किसानों ने सेठ-साहूकारों से एक से डेढ़ लाख रुपये का कर्ज लेकर रबी की बुवाई की थी। फरवरी में, जब फसलों पर फूल आने का समय होता है, उन्हें पानी की सख्त जरूरत होती है। सरकार और नहर विभाग ने किसानों को चार बार पानी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक केवल तीन बार ही पानी मिला है। यदि चौथी बार पानी नहीं मिला, तो किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
इससे पहले भी, नहरों की खराब स्थिति के कारण किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा था, जिसके चलते उन्होंने इंदिरा गांधी परियोजना के अधिकारियों का घेराव किया था और नहरों की मरम्मत की मांग की थी। अब, पानी की कमी के इस नए निर्णय से किसानों की समस्याएं और बढ़ गई हैं, और वे अपनी फसलों और आजीविका को लेकर गहरी चिंता में हैं।
राज्य के किसानों ने लगाई सरकार से गुहार
जैसलमेर के किसानों ने कर्ज लेकर रबी की फसल बोई है, और अब पानी की कमी के कारण उनकी फसलें नष्ट होने का खतरा है, जिससे वे कर्ज में डूब सकते हैं। किसान नेता सभान खान ने मीडिया का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया ने किसानों की आवाज़ को प्रमुखता से प्रसारित किया है, जिससे उन्हें पहले भी राहत मिली थी। अब, किसान मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार तक अपनी समस्याओं को पहुंचाने की बात कह रहे हैं, ताकि उन्हें कर्ज के बोझ से बचाया जा सके।