Edited By Chandra Prakash, Updated: 25 Aug, 2024 01:18 PM
पिछले दिनों जर्मनी और नीदरलैंड में राजस्थान के सुरों की गूंज सुनाई दी । दरअसल, सीकर घराने के अमीरुद्दीन अपनी सारंगी का जादू सात समंदर पार चला कर वापस अपने देश लौट आए हैं। लगभग 40 दिन के अपने म्यूजिकल टूर में जर्मनी में फ्रेंकफर्ड, स्टूटगार्ड, बर्लिन...
जयपुर, 25 अगस्त 2024 । पिछले दिनों जर्मनी और नीदरलैंड में राजस्थान के सुरों की गूंज सुनाई दी । दरअसल, सीकर घराने के अमीरुद्दीन अपनी सारंगी का जादू सात समंदर पार चला कर वापस अपने देश लौट आए हैं। लगभग 40 दिन के अपने म्यूजिकल टूर में जर्मनी में फ्रेंकफर्ड, स्टूटगार्ड, बर्लिन और हम्बुर्ग शहरों में अपनी प्रस्तुति दी। नीदरलैंड डैनहॉक, एमस्टर्डम, डॉरडराख्ट, ज्यूतरमीर में शो किए।
वहीं सारंगी पर जादूई पकड़ रखने वाले अमरीरुद्दीन ने भारत लौट कर बताया कि इससे पहले भी विदेशों में जाते रहे हैं। इस बार खास ये था कि जर्मन और डच ऑडियंस के बीच प्रस्तुति का आनंद मिला। राजस्थानी मांड केसरिया बालम के तो विदेशी दीवाने ही हो गए। राग नट भैरव, झिंझोटी में सारंगी वादन वहां लोगों को पसंद आया। एक प्रस्तुति में ठुमरी को समझने के लिए तो लोग शो के बाद ट्रांस्लेटर के जरिए बात करने को आतुर थे।
साथ ही अमीरुद्दीन का कहना है कि जयपुर शहर के शास्त्री नगर में मेरा जन्म हुआ। मेरे ननिहाल पक्ष में संगीत का माहौल था। उनके मामा उस्ताद हिदायत खां साहब तबले के लिए मशहूर रहे हैं। उनके दोस्त और मेरे गुरु उस्ताद रमजान खां सारंगी पर रियाज करते, उस वक्त मैं भी सुनने बैठ जाता। बस सुनते-सुनते ही लगा सारंगी को छू कर देखें। उस्ताद रमजान खां का ऐसा आशीर्वाद मिला कि आज सांरगी जीवन में बस गई है और पहचान बन गई है। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे विदेशों में भारत के प्रतिनिधित्व का मौका मिला।