Edited By Chandra Prakash, Updated: 22 Sep, 2024 03:02 PM
शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू, 3 अक्टूबर को पालकी पर सवार होकर आएंगी माता रानी
जयपुर/जोधपुर, 22 सितंबर 2024 । एक वर्ष में दो बार छह माह की अवधि के अंतराल पर नवरात्रि आती हैं। मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से हो रहा है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं। माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा। इस साल माता का वाहन डोली या पालकी होगा क्योंकि नवरात्रि का आरंभ गुरुवार से हो रहा है। इस विषय में देवी भागवत पुराण में इस प्रकार लिखा गया है कि गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली या पालकी पर आती हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है। शारदीय नवरात्रि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12:19 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2:58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से आरंभ होंगी और इस पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर 2024 को होगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. व्यास ने बताया कि अश्विन माह में पड़ने वाली शारदीय नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है। साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है। इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है। पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है।
देवी मां दुर्गा के वाहन
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. व्यास ने बताया कि यूं तो मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है। लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं। माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं। देवीभाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्रि का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली या पालकी पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्रि पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं। नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है।
डोली या पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन के आधार पर मां दुर्गा की सवारी के बारे में पता चलता है। नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है। माता हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा।
यह होगा असर
भविष्यवक्ता व्यास ने बताया कि मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है तो यह अच्छा संकेत नहीं है। मां दुर्गा का पालकी पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है। अर्थ व्यवस्था गिरने से लोगों का काम धंधा मंदा पड़ने की आशंका है। साथ ही देश-दुनिया में महामारी फैलने का डर है। लोगों को कोई बड़ी अप्राकृति घटना का सामना करना पड़ सकती है। सेहत में भारी गिरावट आ सकती है। दूसरे देशों से हिंसी की खबरें आ सकती हैं।
3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्रि का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है, जो कि नवमी तिथि को समाप्त होंगी। इसके बाद दशहरा मनाया जाएगा। प्रतिपदा तिथि के दिन घटस्थापना की जाती है। इस दिन से 9 दिन अखंड ज्योति जलाई जाती है।
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर की सुबह 12:19 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 4 अक्टूबर की सुबह 2:58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से आरंभ होंगी और इस पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर 2024 को होगा।
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
घटस्थापना तिथि: 3 अक्टूबर 2024
घटस्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:24 मिनट से प्रातः 08: 45 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:52 मिनट से दोपहर 12:39 मिनट तक
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
3 अक्टूबर 2024 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
4 अक्टूबर 2024 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
5 अक्टूबर 2024 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
6 अक्टूबर 2024 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
7 अक्टूबर 2024 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
8 अक्टूबर 2024 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
9 अक्टूबर 2024 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
10 अक्टूबर 2024 - मां सिद्धिदात्री (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी
11 अक्टूबर 2024 - मां महागौरी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
12 अक्टूबर 2024 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
शारदीय नवरात्रि महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है। इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है। आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है।