अरावली बचाओ की गूंज: भीलवाड़ा में प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 24 Dec, 2025 01:09 PM

save aravalli range protests in bhilwara

प्रदेश भर में इन दिनों अरावली पर्वत माला बचाओ की गूंज गूंज रही है भीलवाड़ा में भी लगातार इसके लिए  आमजनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे है।

भीलवाड़ा । प्रदेश भर में इन दिनों अरावली पर्वत माला बचाओ की गूंज गूंज रही है भीलवाड़ा में भी लगातार इसके लिए  आमजनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे है। अरावली बचाओ संघर्ष समिति सहित अलग अलग संगठनों के बैनर तले भीलवाड़ा जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया। प्रदर्शन से पहले सूचना केंद्र चौराहे से जिला कलेक्ट्रेट तक विरोध रैली भी निकाली गई। जिसमें अरावली मामले को लेकर विरोध दर्ज करवाया गया। 

आदेशों का दुरुपयोग भूमाफिया ओर खनन माफिया कर रहा 
समिति के नारायण भदाला ने कहा राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 100 मीटर के दायरे वाले आदेश जारी किए थे। इसका दुरुपयोग भूमाफिया और खनन माफिया कर रहे हैं। इससे पर्वतमाला का प्राकृतिक संतुलन और जैव विविधता गंभीर खतरे में है। अरावली केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि गुजरात, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई प्राचीन पर्वतमाला है। यह क्षेत्र जल, जंगल और वनस्पतियों का संरक्षण करता है और प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
 
राजस्थान असंतुलन की चपेट में आ जाएगा 
उन्होंने कहा अरावली क्षेत्र में उदयपुर, माउंट आबू, सिरोही, पाली, अजमेर और राजसमंद जैसे अनेक ऐतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थल मौजूद हैं। यहां के झरने, वन्यजीव और प्राकृतिक सौंदर्य राज्य की पहचान हैं।  अरावली पर्वतमाला भूजल स्तर बनाए रखने, वर्षा जल संचयन और जलवायु संतुलन के लिए जरूरी है। अगर यह कमजोर हुई तो राजस्थान का बड़ा हिस्सा जल संकट, बढ़ती गर्मी और पर्यावरणीय असंतुलन की चपेट में आ सकता है। 

वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा 
समिति के विश्व बंधु सिंह राठौड़ ने कहा वर्तमान में कई क्षेत्रों में पहाड़ों को तोड़कर निर्माण और औद्योगिक विस्तार किया जा रहा है। जंगल काटे जा रहे हैं और वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है।  इससे आने वाले समय में राज्य को अपूरणीय क्षति हो सकती है। सरकार से मांग की गई है कि अरावली की परिभाषा को लेकर सुप्रीम कोर्ट हालिया आदेश पर पुनर्विचार करे। अवैध खनन पर रोक लगे और अरावली क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। 

 

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