Edited By Raunak Pareek, Updated: 17 Aug, 2025 04:20 PM

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने सलूंबर जिले के आदिवासी गांव बरोड़ा में रात्रि चौपाल कर ग्रामीणों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि गरीबी मिटाने का सबसे बड़ा साधन शिक्षा है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे शनिवार को सलूंबर जिले के ग्राम बरोड़ा पहुंचे। उन्होंने वहां रात्रि चौपाल में भाग लिया। इस दौरान आदिवासी लोगों से आत्मीय संवाद किया। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय के छात्र छात्राओं ने उनका अभिनंदन करते हुए लोक नृत्य प्रस्तुत किए। राज्यपाल ने खाट पर बैठकर मेवाड़ के प्रसिद्ध गवरी नृत्य को देखा। उन्होंने भील समाज किस तरह से नाट्य नृत्यानुष्ठान करते है उसके बारे में विस्तृत जानकारी ली। बाद में उन्होंने खाट पर बैठकर ही लाभार्थियों से संवाद किया एवं सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की लाभार्थियों से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा सरकार की योजना का लाभ ले।
राज्यपाल ने जनजातीय लोगों से आत्मीयता से चार पाई पर बैठकर बातचीत की, उन्हें सुना और अधिकारियों को उनके कल्याण के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
बरोड़ा गांव में आयोजित चौपाल कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों से मुखातिब होते हुए राज्यपाल श्री बागडे ने कहा कि मेवाड़ की धरती वीरों की धरती है आदिवासी समाज ने महाराणा प्रताप को मुगलों के साथ युद्ध में बहुत सहायता की। उन्होंने कहा कि समाज के इन महान लोगों के योगदान को हमें भूलना नहीं है। राणा प्रताप आज भी हमारे दिल मे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही सतत उत्थान का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसलिए अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देवें और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करे और उच्च शिक्षा से पहले शादी नहीं करवाए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कहावत है पूत सिखावे पालने, यहां जब पालने में बच्चा होता है तब से सीखना प्रारंभ कर देता है। अच्छी शिक्षा के लिए सरकार ने आवासीय छात्रावास भी बनाएं हैं, उनका ज्यादा से ज्यादा लाभ लें और यहां के बच्चे बड़े उच्च अधिकारी बनें। गरीबी दूर करनी है तो केवल शिक्षा से दूर हो सकती है इसलिए बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करे।
उन्होंने कहा कि आप किसी से कम नहीं हैं, स्वयं को किसी से कम नहीं आंके। आप भी पढ़ाई के माध्यम से उच्च पदों तक पहुँच सकते हैं। उन्होंने आमजन से नशे और अन्य प्रकार के व्यसन से दूर रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि और आरोग्य योजना के माध्यम से गरीब और आदिवासी समुदाय के लोग मुख्य धारा में जुड़ सकेंगे। आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों के माध्यम से उच्च स्तर की शिक्षा निःशुल्क मुहैया करवाई जा रही है।