Edited By Chandra Prakash, Updated: 25 Mar, 2025 01:41 PM

जब कोटा की शिक्षा दुकानों का भंडाफोड़ हुआ और विद्यार्थियों ने वहां जाना कम किया तब शिक्षा माफियाओं ने नए ठिकाने खोजने शुरू किए। हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर क्षेत्र में अब यह खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। नाम कुछ भी हो कॉमिक्सवाला, "फिलिक्सवाला",...
हनुमानगढ़, 25 मार्च (बालकृष्ण थरेजा ) : एक समय था जब राजस्थान का कोटा जिला कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध हुआ करता था। जहां हजारों विद्यार्थी अपने मेडिकल और इंजीनियरिंग के सपने पूरे करने के लिए जाया करते थे। लेकिन जब सच सामने आया कि वहां सिर्फ शिक्षा के नाम पर व्यापार हो रहा है और विद्यार्थी अवसाद के शिकार हो रहे हैं तो कोटा की चमक फीकी पड़ गई। अब इसी मॉडल को हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर क्षेत्र में दोहराने की कोशिश की जा रही है।
कोटा की तर्ज पर नया खेल...
जब कोटा की शिक्षा दुकानों का भंडाफोड़ हुआ और विद्यार्थियों ने वहां जाना कम किया तब शिक्षा माफियाओं ने नए ठिकाने खोजने शुरू किए। हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर क्षेत्र में अब यह खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। नाम कुछ भी हो कॉमिक्सवाला, "फिलिक्सवाला", "गणितवाला", "चिकित्सा वाला" या "सामाजिकवाला" असल में यह सभी उसी फॉर्मूले को अपनाकर भोले-भाले अभिभावकों और छात्रों को लुभाने में लगे हैं।
छात्रवृत्ति परीक्षाओं के नाम पर धोखा...
इन कोचिंग सेंटरों ने "छात्रवृत्ति परीक्षा" का एक नया जाल बुना है। बड़े स्तर पर प्रचार कर यह दिखाया जाता है कि अगर विद्यार्थी इस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करता है तो उसे 90% तक की छात्रवृत्ति मिलेगी। लेकिन हकीकत यह है कि यह केवल एक धूर्त रणनीति है। पहले भारी संख्या में विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है फिर परीक्षा के नतीजों में हेरफेर कर अधिक से अधिक विद्यार्थियों को कोचिंग जॉइन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
कथित 'रियायती फीस' की हकीकत...
यह संस्थान अपने विज्ञापनों में दिखाते हैं कि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बेहद कम कीमत पर दे रहे हैं लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थियों को अलग-अलग सुविधाओं के नाम पर भारी भरकम फीस भरने के लिए मजबूर किया जाता है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की आड़ में छलावा...
इन कोचिंग संस्थानों का दावा होता है कि वे NEET, JEE और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार कर रहे हैं। लेकिन अधिकतर शिक्षकों के पास खुद प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने का कोई अनुभव नहीं है। कोटा मॉडल की तरह ही यहां भी सिर्फ एक ब्रांडिंग का खेल खेला जा रहा है जहां माता-पिता को यह विश्वास दिलाया जाता है कि उनके बच्चे का भविष्य उज्ज्वल होगा।
शिक्षा या ठगी, प्रशासन कब जागेगा...?
इस पूरे खेल में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। लाखों रुपये की फीस वसूली जा रही है । छात्रवृत्ति परीक्षाओं के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
अब समय आ गया है कि प्रशासन और अभिभावक जागें और इस खेल को पहचानें। कोटा मॉडल की विफलता से सीख लेकर अब किसी और शहर को शिक्षा माफियाओं के शिकंजे में जाने से बचाना जरूरी है। कुल मिलाकर हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में शिक्षा के नाम पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हो रही है। यह कोटा की ही एक नई शाखा है जहां सपने बेचे जा रहे हैं लेकिन परिणाम आशा के विपरीत हैं। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने और समय रहते सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि बच्चों और उनके अभिभावकों को ठगी का शिकार होने से बचाया जा सके।