Edited By Sourabh Dubey, Updated: 31 Jul, 2025 07:12 PM

भगवा वस्त्र, नंगे पांव, सिर पर गंगाजल — यह दृश्य सावन माह की कांवड़ यात्रा में आम है, लेकिन इस बार इसका रंग अंतरराष्ट्रीय हो गया।
देहरादून। भगवा वस्त्र, नंगे पांव, सिर पर गंगाजल — यह दृश्य सावन माह की कांवड़ यात्रा में आम है, लेकिन इस बार इसका रंग अंतरराष्ट्रीय हो गया।
जापान के होशी टाकायकी, जिन्हें आध्यात्मिक नाम बाला कुंभ गुरु मुनि दिया गया है, अपने करीब 20 जापानी अनुयायियों के साथ हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल देहरादून पहुंचे।
उन्होंने यहां दो दिवसीय भंडारे का आयोजन कर अन्य शिवभक्तों को भोजन कराया और पूर्ण श्रद्धा व समर्पण के साथ कांवड़ यात्रा पूरी की।
कौन हैं बाला कुंभ गुरु मुनि?
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मूल नाम: होशी टाकायकी, पेशे से जापानी व्यवसायी
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20 वर्ष पहले तमिलनाडु में नाड़ी ज्योतिष से आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत
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ज्योतिषियों ने बताया कि उनका पूर्व जन्म हिमालय में बीता था
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इसके बाद उन्होंने व्यवसाय अनुयायियों को सौंपकर स्वयं को शिवभक्ति और तपस्या के लिए समर्पित कर दिया
उनके अनुयायी जापान और अन्य देशों में नियमित रूप से वेद पाठ, ध्यान और रुद्राभिषेक जैसे अनुष्ठान करते हैं।
जापान में शिव मंदिर, भारत में आश्रम
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टोक्यो स्थित घर को शिव मंदिर में परिवर्तित कर दिया
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जापान में एक और नया शिव मंदिर स्थापित
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भारत के पुडुचेरी में 35 एकड़ भूमि पर भव्य शिव मंदिर का निर्माण जारी
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उत्तराखंड में आश्रम और ध्यान केंद्र की भी योजना
बाला कुंभ गुरु मुनि का कहना है कि उनका उद्देश्य हिंदू सनातन परंपरा का प्रचार-प्रसार करना और विश्वभर में शिवभक्ति का संदेश फैलाना है।