Edited By Chandra Prakash, Updated: 10 Aug, 2024 09:06 PM
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज हम जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्था को भी चुनौती दे रहे हैं । लेकिन कुछ सांसद पड़ोसी देश में हो रही घटनाक्रम पर बयान दे रहे हैं । जो कि देश के लिए एक बड़ा खतरा है । ऐसे बयानों पर चुप्पी साधना ही उचित है । ...
जोधपुर, 10 अगस्त 2024 । उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दो दिवसीय जोधपुर दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने शनिवार को दौरे के दूसरे दिन राजस्थान बार काउंसिल के विधिक सेमिनार कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर उनके साथ कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल भी मौजूद रहे ।
आज हम जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्था को भी चुनौती दे रहे हैं- जगदीप धनखड़
वहीं इस सेमिनार को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज हम जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्था को भी चुनौती दे रहे हैं । लेकिन कुछ सांसद पड़ोसी देश में हो रही घटनाक्रम पर बयान दे रहे हैं । जो कि देश के लिए एक बड़ा खतरा है । ऐसे बयानों पर चुप्पी साधना ही उचित है । उन्होंने कहा कि ऐसी ताकत को न्यूटीलाइज करने की भी भूमिका निभाई जानी चाहिए । वही इस सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने इंदिरा गांधी की ओर से देश में लगाए गए आपातकाल को लेकर भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों ने आपातकाल के खिलाफ जजमेंट दिया था । आपातकाल के समय आमजन को जबरन गिरफ्तार करना असंवैधानिक है । सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एच आर खत्री ने आपातकाल पर रिजोल्यूशन लिया । वहीं भारत माता पर आपातकाल थोप कर उसकी आत्मा पर घाव किया गया ।
देश के लोकतंत्र में आपातकाल काला धब्बा है- जगदीप धनखड़
उन्होंने कहा कि भारत देश एकमात्र ऐसा देश है, जिसके संविधान देश के सांसद से लेकर गांव की पंचायत तक का अधिकार देता है । उपराष्ट्रपति ने संबोधित करते हुए यह भी कहा कि 2015 में 26 नवंबर को हर वर्ष संविधान दिवस मनाने का निर्णय लिया गया । आपातकाल लगने की दिनांक 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का भी निर्णय हुआ है । यह हर उसे व्यक्ति की पीड़ा को याद दिलाएगा । जिसने आपातकाल की पीड़ा झेली है । देश के लोकतंत्र में आपातकाल काला धब्बा है । जस्टिस सिंह ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैधानिक घोषित कर दिया । तो देश मे आपातकाल लगा दी गई । यह विषय यहां मीडिया के ध्यान में लाने के लिए यहा रखा । उन्होंने कहा क्योंकि यह विषय हमारे मन मस्तिष्क और आत्मा को चोटिल करने वाला विषय है । मैं इस विषय को आप पर छोड़ता हूं, आपकी विचारधारा को जागृत करने के लिए क्या ऐसा होना चाहिए था ।
सैनिकों के जज्बे को सलाम, जो जून के महीने में भीषण गर्मी में हमारी आजादी की रक्षा कर रहे हैं- धनखड़
वही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भीमराव अंबेडकर ने संविधान बनाते समय चिंता जताई थी और कहा था कि हमारे लोगों की वजह से कहीं हमारी स्वतंत्रता नहीं चली जाए । सन 1975 में यह अनुमान साबित हुआ था हमने इमरजेंसी को भुगता है । उसे समय न्यायपालिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन हालातों को देश से बाहर निकालने की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई । वहीं उन्होंने कहा कि मैं अपने सैनिकों के जज्बे को देखा है, जो जून के महीने में भीषण गर्मी में हमारी आजादी की रक्षा कर रहे हैं, ऐसे उनकी ड्यूटी और उनके जज्बे और उनके बलिदान पर भी आपातकाल थोपी गई । आपातकाल को लेकर एक प्रश्न में न्यायपालिका के लिए छोड़ता हूं, क्या ऐसा होना चाहिए था ?