जिस देश के लोग अपना इतिहास भूल जाते हैं, उनका भूगोल भी कम हो जाता है- राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे

Edited By Chandra Prakash, Updated: 22 Dec, 2024 03:54 PM

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नवोन्मेष फाउंडेशन के वैचारिक महाकुंभ "टॉक फेस्ट" कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने किया और उद्घाटन सत्र सक्सेस मंत्र ;सनातन को संबोधित करते हुए कहा कि नवोन्मेष का यह प्रयास देश युवाओं को प्रेरित करने वाला रहेगा। इससे युवा देश के...

 

यपुर, 22 दिसंबर 2024 । नवोन्मेष फाउंडेशन के वैचारिक महाकुंभ "टॉक फेस्ट" कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने किया और उद्घाटन सत्र सक्सेस मंत्र ;सनातन को संबोधित करते हुए कहा कि नवोन्मेष का यह प्रयास देश युवाओं को प्रेरित करने वाला रहेगा। इससे युवा देश के स्वर्णिम इतिहास को जानेंगे, जिससे उनमें राष्ट्र भक्ति और देश के प्रति जज्बा बढ़ेगा। नवोन्मेष का यह प्रयास राजस्थान से होता हुआ पूरे देश में  फैलेगा।

राज्यपाल बागड़े ने कहा कि ब्रिटेन के गजट में लिखा है कि जब अंग्रेज भारत आए थे तब उन्हें कपास की खेती और उससे पौधे से वस्त्र निर्माण पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए प्रशंसा की थी। प्राचीन भारत में विज्ञान और भूगोल श्रेष्ठ ज्ञान भारत में रहा। शून्य और दशमलव की खोज और शुरुआत भारत में हुई। गुरुत्वाकर्षण के बारे पाश्चात्य जगत में खोज 15 वीं शताब्दी में हुई लेकिन भारत में वेदों में इसकी चर्चा है और महाराष्ट्र के भास्कराचार्य ने 12 वीं शताब्दी में इसके बारे में बताया। राज्यपाल बागड़े ने बताया कि भारत के स्वतंत्रता के 100 वर्षों के शताब्दी के समय सनातन का गौरव पुनः विश्व में विराजमान हो और भारत पुनः वैश्विक गुरु बने इसी लक्ष्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार कार्य कर रही है। नवोन्मेष का प्रयास भी इस दिशा में श्रेष्ठ सिद्ध होगा।

सनातन की सफलता तभी कहलाएगी, जब कोई सनातनी भूखा न सोए- कपिल मिश्रा

वहीं कपिल मिश्रा ने बताया कि सनातन की सफलता तभी कहलाएगी, जब कोई सनातनी भूखा न सोए, हमारी बहिन बेटियां सुरक्षित रहे। हमें स्वावलंबी युवाओं को प्रेरित करने की जरूरत है। पिछली सरकार के शासन में हमें मनगढ़ंत इतिहास पढ़ाया गया। अकबर को महान बताया, लेकिन वास्तविक नायकों को भूला दिया गया। ऐसी पुस्तकों ने कभी घरों में सम्मान नहीं पाया, वो वहां डस्टबिन की शोभा ही पाती हैं। अभी मस्जिद खोदकर मंदिर ढूंढने पर विवाद चल रहा है, लेकिन संभल में तो बिना खोदे ही मंदिर मिल रहा है। 

युवाओं को सफलता के लिए अपने वास्तविक इतिहास को जानना जरूरी है- राजवीर सिंह 

राजवीर सिंह ने भगवान श्रीराम के शासन का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने अपने सीमा की रक्षा के लिए उत्तर पश्चिम सीमा पर विदेशी आक्रांताओं को रोकने के लिए चौकियों की स्थापना की, क्योंकि उन्हें पता था आक्रमण वहीं से हो सकता है। यही कार्य हमारे महान राजाओं ने किया, लेकिन इतिहास को गलत तरीके से लिखकर ऐसे राष्ट्र नायकों को भुलाया जा रहा है। भारत के भूगोल और इतिहास का वास्तविक ज्ञान युवाओं को होना चाहिए।

वक्ता शैफाली बैद्य ने बताया कि हम अपनी ऐतिहासिक नायिकाओं को भूल चुके हैं। सती सावित्री का जिक्र सिर्फ कहावतों में होता है, जबकि उनके चरित्र का अनुकरण होना चाहिए। सावित्री की कहानी का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने यमराज को अपने तपोबल और तर्क से परास्त कर अपने पति का जीवन बचाया। उन्होंने बताया कि नारी स्वयं शक्ति है। पर अब उसके सशक्तिकरण की बात होती है। नारी पर अत्याचार सनातन की प्राचीन अवधारणा में कहीं नहीं था। विदेशी आक्रांताओं और ब्रिटिश शासकों ने सनातन संस्कृति की नारी संबधी अवधारणा को गलत तरीके से प्रचारित किया। उन्होंने बताया कि देश में स्त्रियों ने अपने पति के स्मरण में कई मंदिर का निर्माण करवाया। प्रत्येक महिला को अपने बच्चे को सनातन की प्राचीन महान परम्पराओं और कहानियों से अवगत करवाना चाहिए। 

वक्ता देश की जानी मानी पत्रकार रुबिका लियाकत ने बताया कि सनातन मेरी नहीं सबकी परम्परा है। सनातन में धन, बुद्धि और ताकत के लिए मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां दुर्गा की उपासना की जाती है। यह सिर्फ सनातन में है। भारत माता में और सोने की चिड़िया में नारी सूचक शब्द का प्रयोग हुआ है जो इस देश की सनातन संस्कृति में नारी के सम्मान को दिखाती है। यह अर्धनारीश्वर का देश है। नारी देश को इस रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि अहिल्या बाई होलकर की वजह से आज नारी टीका लगा पा रही है। तीर्थ दर्शन कर पा रही है।  एक महिला अपने परिवार को सर्वाधिक प्रभावित करती है।

वक्ता अनामिका पूनिया ने बताया कि सनातन में तत्व की चर्चा होती है। ब्रह्मा सरस्वती के बिना, शिव शक्ति के बिना, विष्णु लक्ष्मी के बिना अधूरी है। पुराने समय में युद्ध के समय बच्चों और महिलाओं पर हमला नहीं होता था, पर यह नियम और नैतिकता विदेशी आक्रांताओं ने नहीं दिखाया। हमारी पुरानी नायिकाओं ने समाज को दिशा दिखाई। सनातन संस्कृति में स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं है।
 

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