Edited By Chandra Prakash, Updated: 07 Jan, 2025 03:11 PM
अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहे आसाराम के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के मेडिकल ग्राउंड को देखते हुए आगामी 31 मार्च तक आसाराम को अंतरिम...
जोधपुर, 7 जनवरी 2024। अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में जिंदगी की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहे आसाराम के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के मेडिकल ग्राउंड को देखते हुए आगामी 31 मार्च तक आसाराम को अंतरिम जमानत प्रदान की है।
जानें, क्या था पूरा मामला
यह घटना साल 2013 की तारीख 14 अगस्त की थी। आसाराम के गुरुकुल में अध्ययन करने वाली एक छात्रा के माता-पिता छात्रा लेकर जोधपुर के मणाई आश्रम में पहुंचे। जहां इस छात्रा को आसाराम के पास इलाज के लिए लाया गया, माता-पिता का यह कहना था कि इस छात्रा को भूत लग गया है और आसाराम पर उन्हें विश्वास था कि वह भूत को उतार देंगे।
बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के परसरिया रोड पर स्थित छिंदवाड़ा आश्रम में यह छात्र अचानक बेहोश होकर गिर गई थी, जिसके बाद आसाराम की अनुयाई शिल्पी ने उस छात्रा के माता-पिता को कहा कि इस छात्रा पर भूत प्रेत का साया है और उसके निराकरण के लिए बाबा यानी कि आसाराम की मदद लेनी पड़ेगी। नाबालिक छात्रा के माता-पिता घबरा गए और उसे अपने साथ उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर अपने निवास पर लेकर आ गए। इसके बाद जब उन्हें जानकारी मिली कि आसाराम जोधपुर के मणाई आश्रम में है, तो उसे लेकर जोधपुर के मणाई आश्रम पहुंचे।
क्या हुआ था मणाई आश्रम में ?
बताया जा रहा है कि आसाराम के कहने पर नाबालिक छात्रा को उसके माता-पिता ने आसाराम की कुटिया में भेज दिया और खुद कुटिया के बाहर जाप करने बैठ गए। आसाराम पर आरोप यह था कि कुटिया में जब बच्चे पहुंची तो आसाराम ने उसके साथ अश्लीलता की, आसाराम की इन हरकतों से जब छात्र डर गई तो आसाराम ने उसे डराया-धमकाया और इस घटना के बारे में किसी को भी ना बताने की हिदायत दी और कहा कि यदि वह किसी को बताएगी तो उसके माता-पिता की हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद पीड़ित छात्रा घबरा गई और उसने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जब अपने घर पहुंची तो उसने सारी बात अपने माता-पिता को बताई तो उसके माता-पिता सन्न रह गए।
जोधपुर में हुई घटना की दिल्ली में करवाई गई एफआईआर
इस घटना की जीरो नम्बर एफआईआर 19 अगस्त 2013 को दिल्ली के कमला नगर थाने में पेश की गई। मुकदमा दर्ज होने के बाद तुरंत पीड़िता का मेडिकल करवाया गया और उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।
आसाराम को किया गया गिरफ्तार
दिल्ली के कमला नगर थाने से एफआईआर जोधपुर ट्रांसफर की गई इसके बाद जोधपुर पुलिस हरकत में आई और 31 अगस्त और 1 सितंबर की मध्य रात में आसाराम को इंदौर के आश्रम से गिरफ्तार कर जोधपुर लाया गया। जहां कोर्ट में पेश करने के बाद, कोर्ट में आसाराम को जेल भेज दिया।
जमानत के लिए नामचीन वकीलों की कर दी फौज खड़ी
इसके बाद आसाराम ने जमानत हासिल करने के लिए अधीनस्थ न्यायालय, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक कई याचिकाएं पेश की। लेकिन आसाराम को कभी भी अंतरिम जमानत तक नहीं मिली। आसाराम ने जमानत हासिल करने के लिए दिग्गज वकीलों की फौज खड़ी कर दी, जिसमें राम जेठमलानी, सुब्रमण्यम स्वामी, मुकुल रोहतगी, केटीएस तुलसी और सिद्धार्थ लूथरा सहित कई नामी गिरामी विधि विशेषज्ञ वकीलों ने आसाराम की पैरवी अधीनस्थ न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट में की लेकिन आसाराम को कभी आंशिक राहत तक नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया झूठा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र
आसाराम को जमानत दिलाने के लिए आसाराम के पैरोकार रवि राय वागे ने सुप्रीम कोर्ट में जोधपुर सेंट्रल जेल डिस्पेंसरी का एक झूठा स्वास्थ्य प्रमाण पत्र पेश कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आसाराम का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, ऐसे में उसे जमानत दी जानी चाहिए। लेकिन जांच में वह स्वास्थ्य प्रमाण पत्र झूठा पाया गया, जिसके बाद आसाराम के खिलाफ जोधपुर में एक और केस दर्ज किया गया लेकिन आसाराम ने इस मामले में रवि राय वागे को अपना पैरोकार नियुक्त करने को लेकर मना कर दिया। आसाराम ने कोर्ट को बताया कि वह कभी रवि राय वागे से कभी नहीं मिले और ना ही उसे परोपकार नियुक्त किया।
25 अप्रैल 2018 को एससी एसटी कोर्ट जज मधुसूदन शर्मा की कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
करीब 5 सालों तक लंबी सुनवाई चलने के बाद एससी एसटी कोर्ट जज मधुसूदन शर्मा की कोर्ट ने आसाराम के मामले में 453 पेज का ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आसाराम को जिंदगी की आखिरी सांस जेल में रहने की सजा सुनाई दी।
दो बार मिली आसाराम को पैरोल
आसाराम को 5 महीने पहले 7 दिन की पैरोल मिली थी, जिसे 5 दिन और बढ़ाया गया था। इसके बाद आसाराम को 10 दिसंबर 2024 को 17 दिन की पेरोल मिली। इस दौरान आसाराम ने कई बार सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालय के दरवाजे खटखटा लेकिन आसाराम को कहीं भी राहत नहीं मिली।
आखिर सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी अंतरिम राहत
आखिर मंगलवार को वह दिन आ गया जब आसाराम को जिस बात का इंतजार था वह इंतज़ार पूरा हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के मेडिकल रिकॉर्ड को देखते हुए अंतरिम जमानत 31 मार्च तक स्वीकार की है लेकिन इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आसाराम इस दौरान सबूत के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं करेगा इसके अलावा अपने अनुयायियों से नहीं मिलेगा ऐसे में 12 साल बाद वह दिन आ गया जब आसाराम अंतिम जमानत प्राप्त कर जेल से बाहर आएगा।