Edited By Chandra Prakash, Updated: 04 Nov, 2024 02:40 PM
राजस्थान में विधानसभा के सात उपचुनावों के लिए 13 नवंबर को मतदान होना है । यही वजह है कि दीपावली पर्व के उत्साह और शोर के बाद एक बार फिर से राजस्थान का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है । नमस्कार दोस्तों पंजाब केसरी राजस्थान में आपका स्वागत है....दरअसल,...
जयपुर/नागौर, 4 नवंबर 2024 । राजस्थान में विधानसभा के सात उपचुनावों के लिए 13 नवंबर को मतदान होना है । यही वजह है कि दीपावली पर्व के उत्साह और शोर के बाद एक बार फिर से राजस्थान का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है । नमस्कार दोस्तों पंजाब केसरी राजस्थान में आपका स्वागत है....दरअसल, आज हम बात करने वाले है उस शख्स की जिसने उपचुनावों में कांग्रेस से समझौता नहीं होने पर अपनी उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया था । अब वो शख्स कौन है ? तो हम बात कर रहे थे जाट नेता हनुमान बेनीवाल की....
कांग्रेस ने बेनीवाल को ठुकराया प्रस्ताव
बता दें कि विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा से पूर्व आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने घोषणा की थी, कि यदि कांग्रेस के साथ समझौता नहीं हुआ तो वह सात में से चार सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे । लेकिन नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद बेनीवाल की यह धमकी धरी रह गई । जैसे ही बेनीवाल के समझौते का प्रस्ताव आया तो कांग्रेस ने बेनीवाल के समझौते के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और खींवसर से डॉ. रतन चौधरी के नाम की अपने उम्मीदवार के रूप में घोषणा कर दी ।
बेनीवाल के लिए उपचुनाव में अपनी पत्नी कनिका को जीताना मुश्किल क्यों ?
वहीं बेनीवाल ने अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है । बता दें कि बेनीवाल ने चार सीटों की बजाय सिर्फ एक ही सींट खींवसर से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बेनीवाल को उम्मीद थी कि कांग्रेस उनकी पत्नी के सामने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी । लेकिन कनिका के सामने डॉ. रतन चौधरी को खड़ा कर कांग्रेस ने यह प्रदर्शित किया है, कि वह बेनीवाल की दबंगई से डरने वाली नहीं है । अब बेनीवाल के लिए उपचुनाव में अपनी पत्नी को जीताना भी मुश्किल को गया है, क्योंकि भाजपा ने उन्हीं रेवंतराम डांगा को खींवसर से उम्मीदवार बनाया है जो विधानसभा के चुनाव में हनुमान बेनीवाल से मात्र 2059 मतों से हारे थे ।
बार-बार दल बदलने से जनता में बेनीवाल के प्रति नाराजगी
विधानसभा के बाद बेनीवाल ने नागौर से कांग्रेस के समर्थन से जब लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तब भी खींवसर से बेनीवाल की बढ़त मात्र 4 हजार 159 मतों की थी । वहीं बार-बार दल बदल करने से खींवसर में बेनीवाल के प्रति नाराजगी देखी जा रही है । बेनीवाल 2018 में भी खींवसर से ही विधायक बने और फिर छह माह बाद ही लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन से नागौर के सांसद बने गए । तब बेनीवाल ने अपने भाई नारायण बेनीवाल को खींवसर से विधायक बनवाया था । इस बार उन्होंने अपने भाई की जगह अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा है ।
अब देखने वाली बात ये होगी कि बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल भाजपा और कांग्रेस को मात दे पाती है या नहीं, ये तो आने वाले चुनावी परिणाम के बाद ही खुलासा हो पाएगा । ऐसे में किसके सिर पर होगा खींवसर का ताज ये है बड़ा सवाल ?