Edited By Chandra Prakash, Updated: 26 Sep, 2024 06:37 PM
प्रदेश में मौसमी बीमारियों के साथ-साथ डेंगू के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या में दिन ब दिन इजाफा हो रहा है । इसी कड़ी में दौसा जिले के एक अस्पताल में तैनात महिला डॉ. ज्योति मीना को डेंगू ने अपना शिकार बना लिया । पिछले तीन से डेंगू से ग्रसित...
दौसा, 26 सितंबर 2024 । प्रदेश में मौसमी बीमारियों के साथ-साथ डेंगू के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या में दिन ब दिन इजाफा हो रहा है । इसी कड़ी में दौसा जिले के एक अस्पताल में तैनात महिला डॉ. ज्योति मीना को डेंगू ने अपना शिकार बना लिया । पिछले तीन से डेंगू से ग्रसित महिला डॉक्टर की जान चली गई ।
मामला दौसा जिले के रामगढ़ पचवारा उप जिला अस्पताल का है, जहां डॉ. ज्योति मीणा चिकित्सा के रूप में लगभग एक साल से अपनी सेवाएं दे रही थी । तीन दिन पहले अचानक रामगढ़ पचवारा उप जिला चिकित्सालय में ड्यूटी के दौरान डॉ. ज्योति की तबीयत बिगड़ी, जिसके चलते उसे तुरंत वहां के डॉक्टर ने संभाला और जयपुर के लिये रेफर कर दिया । जहां ज्योति मीना को जयपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
दौसा सीएमएचओ सीताराम मीणा ने बताया कि 3 दिन पहले डॉ. ज्योति मीणा इलाज के लिए जयपुर के निजी हॉस्पिटल में भर्ती हुई थी, जहां उसकी प्लेट्स गिरती गई और बुधवार को मात्र 38000 प्लेट्स ही रह गई । जिसके चलते ज्योति को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया ।
उधर, होनी को कुछ और ही मंजूर था, जिसके चलते आईसीयू में जाने के बाद भी ज्योति मीना की तबीयत में लगातार गिरावट बनी रही । ऐसे में बीते कल दोपहर बाद डॉ. ज्योति मीणा डेंगू पॉजिटिव के चलते दुनिया को अलविदा कह गई । बताया जा रहा है कि डॉ. ज्योति मीणा को डेंगू होने से पूर्व उनकी डेढ़ साल की बेटी को भी डेंगू था । जिसका स्वास्थ्य रिकवर हुआ तो डेंगू ने उसकी मां ज्योति मीना को घेर लिया ।
डॉ. ज्योति मीणा के एक डेढ़ साल की बेटी है तथा पति डॉ. धर्म सिंह मीणा भी उप जिला अस्पताल रामगढ़ पचवारा में ENT स्पेशलिस्ट हैं । उधर डॉ. ज्योति मीणा के निधन से पूरे चिकित्सा महकमे में हड़कंप मच गया और शोक की लहर दौड़ पड़ी । अब बड़ा सवाल यह भी है कि जब मौसमी बीमारियों का बोलबाला है, ऐसे में निश्चित रूप से डेंगू बड़ी खतरनाक बीमारी है । जो शरीर में सबसे पहले प्लेट्स की संख्या को कम करती है और धीरे-धीरे शरीर को मौत की तरफ खींचती है । लेकिन सरकारी दावे भी यहां फेल हो गए, जब एक डॉक्टर की जान डेंगू पॉजिटिव होने की वजह से चली गई । जिसे बचाने में चिकित्सा महकमा भी समर्थ और लाचार नजर आया।