Edited By Chandra Prakash, Updated: 26 Oct, 2024 03:29 PM
जोधपुर के बीएसएफ स्थित चंदन सिंह चंदेल परेड़ ग्राउंड में दीक्षांत परेड कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए । समारोह में नव आरक्षक (प्रशिक्षु) सीमा...
जोधपुर, 26 अक्टूबर 2024 । जोधपुर के बीएसएफ स्थित चंदन सिंह चंदेल परेड़ ग्राउंड में दीक्षांत परेड कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हुए । समारोह में नव आरक्षक (प्रशिक्षु) सीमा सुरक्षा बल के बैच संख्या 255, 256, 257 एवं पीटीएस 2 के नव आरक्षक (प्रशिक्षु) के जवानों ने देश रक्षा की शपथ ली ।
इस दौरान केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीक्षांत परेड को संबोधित करते हुए कहा कि इस गरिमा पूर्ण कार्यक्रम में अपनी साधना, अपने परिश्रम और अपने प्रशिक्षण को पूरा कर देश की सेवा के लिए संकल्पबद्ध हो रहे ऐसे सभी नव रक्षक को मैं बधाई देता हूं । जिन्होंने इस भव्य कार्यक्रम में नए लाल और ऊर्जा समावेश करते हुए प्रशिक्षण के दौरान अर्जित की गई उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है । वहीं उन सभी प्रशिक्षण में जुटे अधिकारियों-कर्मचारियों को बहुत सारी बधाई देता हूं । आज भारत एक लंबी यात्रा को तय करने के बाद पुनर्निर्माण और परिवर्तन के ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा है । बीते 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का सुरक्षा तंत्र अवैध ढांचे के रूप में खड़ा हुआ है । आज का यह अवसर सीमा सुरक्षा बल की सेवा दक्षता और प्रखरता में नए सामर्थ्य और विस्तार का अवसर है । मैं इस अवसर पर भारतीय सैन्य बल के मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहे सीमा सुरक्षा बल के नव आरक्षकों को ढेर सारी बधाई देना चाहता हूं । देश प्रेम के महान जज्बे के साथ अपना गहन प्रशिक्षण पूरा किया है । और सशक्तता के साथ-साथ में आप सबने देश की सैन्य और गरिमा में इस सुरक्षा परंपरा का हिस्सा बनने की दक्षता और योग्यता हासिल की है । मैं राष्ट्र सेवा के लिए आपके समर्पण और उत्सर्ग के भाव को जिस तरह से अपने जोश के साथ शपथ लेकर के अभी यहां पूरा किया है, मैं आपके इस भाव को हृदयपूर्वक नमन करता हूं ।
उन्होंने कहा कि जोधपुर का निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते मैं बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के इस मंडोर के परिसर से हमेशा से ही इसके साथ मेरा लंबा और गहरा जुड़ाव रहा है । मैं इस प्रेरणा के एक ऐसे तीर्थ के रूप में देखता हूं । जहां राष्ट्र सेवा और सैन्य अनुष्ठान भारत माता के प्रति अपने आप को समर्पित कर देने के जज्बे का सतत अनवरत अनुष्ठान चलता रहता है । आप सभी भारत की महान शौर्य परंपरा के ध्वजवाहक के रूप में है । मैं आपके साहस आपकी निर्भीकता राष्ट्रीय सेवा के प्रति आपकी शपथ को प्रणाम करता हूं । राजस्थान ही नहीं अपितु पूरे राष्ट्र को आप सब पर गर्व है । जिस प्रकार जिस विचार परिवार का हिस्सा हूं, उसने मुझे राजस्थान के सीमांत क्षेत्र में अनेक वर्ष तक बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स और आओ के साथ सेवा का कार्य करने का सौभाग्य पूर्ण अवसर दिया है । यह मेरे जीवन का यदि मैं पीछे घूम कर देखूं तो सबसे शानदार हिस्सा था । और मेरे जीवन का अमूल्य अनुभव मैं वहां काम करते हुए अर्जित किया था ।
उन्होंने कहा कि बात अकेले राजस्थान की करें तो मैं इस बात को गर्व से कह सकता हूं कि देश की सैन्य सेवा में राजस्थान के धरती पुत्रों की संख्या और उनके साहस और परंपरा का विशेष उल्लेख इतिहास के पन्नों में रहा है और यह जो नव रक्षक आज आप सबने जो यहां इस राजस्थान इस प्रेरक धरती इस बलिदानी धरती पर जो अपने लगभग पिछले पूरे 1 साल यहां रहकर के जो प्रशिक्षण प्राप्त किया है । इस माटी की ऊर्जा को इस बलिदानी माटी की गंध को सुगंध को इस प्रेरक माटी को आपने निश्चित रूप से अनुभव किया होगा । इससे बड़ी बात यह है कि हर संस्कृति आंचल और प्रदेश की और हर की प्रदेश की अपने वीरता के अलग दस्ताने अपना इतिहास है । यहां तक कि देश के जनजातीय समाज तक को भी इस बात का गर्व है कि देश पर मर मिटने का उनका लंबा इतिहास रहा है । उनका इतिहास अपराजिता भी रहा है और शानदार वीरता है स्वाधीनता के बाद देश के सुरक्षा तंत्र को नई स्थिति और परिस्थिति के अनुसार खड़ा किया गया तो सीमा सुरक्षा की चुनौती और खतरे कई गुना बढ़ गए । मुझे कहते हुए गर्व होता है कि 1965 में स्थापित बीएसएफ आज दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा दस्ता है । अपनी स्थापना के कुछ वर्षों बाद ही 1971 के युद्ध में बीएसएफ के जवानों ने जिस शौर्य बल का परिचय दिया वह अप्रतिम भी है और कभी भुलाया नहीं जा सकता । आज यह सैन्य बल पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ 6380 किलोमीटर से ज्यादा लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का दायित्व अपने कंधे पर उठाता है । जीवन पर्यंत कर्तव्य बीएसएफ का ध्येय वाक्य या घोषवाक्य महज वाक्य नहीं है, बल्कि हमारे सजक सीमा प्रहरियों ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देकर के इस वाक्य को अपने रक्त से अभिषेक करते हुए चरितार्थ किया है ।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि लाखों सीमा प्रहरियों ने अपने जीवन का जो स्वर्णिम काल कठिनतम परिस्थितियों में परिवार से दूर रहकर बिताया है । अपनी ड्यूटी के समय में उन्होंने सभी चुनौतियों का जीवन पर्यंत सामना किया है । देश की सीमाओं की सुरक्षा पंक्ति प्रथम पंक्ति के रूप में खड़े बीएसएफ ने जिस तरह से दुर्गम सरहदी क्षेत्र की सुरक्षा की है । उन पर देश के सभी 140 करोड़ लोगों को गर्व है ।
साथ ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि जिन्होंने एक सीमा एक सुरक्षा बल इसकी तैनाती का ऐतिहासिक निर्णय लिया था और इस निर्णय के तहत ही पाकिस्तान और बांग्लादेश जो देश कि सबसे दुर्गम सीमाएं हैं, उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल को मिली थी । जिसे बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स अनवरत रूप से बखूबी निभाते आ रहा है । जम्मू कश्मीर के बर्फीले इलाके पूर्वोत्तर के पहाड़ घने जंगल गुजरात का क्षेत्र राजस्थान का रेगिस्तान या सुंदरवन और झारखंड के घने जंगल हो । बीएसएफ ने हमेशा मुस्तैदी के साथ दुश्मन के नापाक इरादों को विफल किया है । मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि आज बीएसएफ की यशस्वीता राष्ट्रीय नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बन चुकी है । खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सीमा सुरक्षा बल ने जिस तरह से सेवा और वीरता के नए प्रतिमानों का स्पर्श किया है वह एक ऐतिहासिक सुलेख है ।