टूटी सड़कें, गंदा पानी, यमुना प्रदूषित, जहरीली हवा...10 सालों में अरविंद केजरीवाल ने कुछ नहीं किया

Edited By Raunak Pareek, Updated: 22 Dec, 2024 07:17 PM

arvind kejriwal has done nothing in delhi for 10 years

दिल्ली में इस वक्त मुख्यमंत्री आतिश हैं और केजरीवाल के ऊपर एक सुप्रीम कोर्ट का बंधन लगा हुआ है कि वो मुख्यमंत्री के दफ्तर जा भी नहीं सकते। ना चुनाव के पहले जा सकते हैं ना चुनाव के बाद।

हाल ही में दिल्ली में अब आगामी कुछ समय में दिल्ली विधानसभा चुनाव होने है। जिसे लेकर कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी तीनों पार्टीयों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरु कर दी है। हाल ही में दिल्ली से भाजपा नेता कपिल मिश्रा नवोन्मेष कार्यक्रम में शामिल होने जयपुर पहुंचे। जहां दिल्ली चुनाव 2025 को लेकर पंजाब केसरी राजस्थान ने उनसे खास बातचीत की।

--------------------------------- 

सवाल – दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले है। हर बार बीजेपी- आप पार्टी की और से जोशिले भाषण दिए जाते है। लेकिन जीत आप की ही होती है ऐसा क्यों।

जवाब - इस बार तो आम आदमी पार्टी चुनाव हारने जा रही है। दिल्ली की विधानसभा में भगवा लहराएगा। दिल्ली की टूटी हुई सड़कें, गंदा पानी, यमुना दूषित, जहरीली हवा, यह दिल्ली की जनता के मुद्दे हैं और 10 साल में यह समझ में आ जाता है कि कोई आदमी डिलीवर कर सकता है कि नहीं कर सकता। तो लोगों को समझ में आ गया कि यहां पर केवल विज्ञापन है केवल शोर है लेकिन डिलीवरी नहीं है और इसलिए दिल्ली के लोग इस बार मन बना चुके हैं।

सवाल – दिल्ली में बीजेपी की और से सीएम फेस आगे नहीं रखना क्या ये रणनीति सही है क्योंकी बीजेपी पिछले काफी समय से इसी नीति पर काम करती आई है। 

जवाब – नहीं.. पहली बात तो इस बार तो आम आदमी पार्टी के पास भी सीएम फेस नहीं है। दिल्ली में इस वक्त मुख्यमंत्री आतिश हैं और केजरीवाल के ऊपर एक सुप्रीम कोर्ट का बंधन लगा हुआ है कि वो मुख्यमंत्री के दफ्तर जा भी नहीं सकते। ना चुनाव के पहले जा सकते हैं ना चुनाव के बाद। वो शराब घोटाले के अभियुक्त है और जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है। भारतीय जनता पार्टी किसी भी राज्य में जहां सरकार होती है। वहां जो मुख्यमंत्री होते हैं। उनका फेस अपने आप ही आ जाता है। अदर वाइज हम सामूहिक नेतृत्व के साथ ही जाते हैं और उसके बाद जो जीतता है उनमें से कोई एक व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है। दिल्ली का यह बहुत बड़ा विषय भी नहीं है। दिल्ली का मेन विषय है कि आयुष्मान योजना दिल्ली में लागू नहीं की गई। दिल्ली में लोगों के राशन कार्ड नहीं बने, पेंशन नहीं मिली, पानी गंदा आ रहा है, बसें है नहीं सड़कें टूटी हुई है। यह दिल्ली की जनता के मुद्दे हैं और इन्हीं मुद्दों पर इस बार चुनाव होगा।

सवाल – क्या आपको नहीं लगता कि बीजेपी को कपिल मिश्रा को सीएम पद का उम्मीदवार बना देना चाहिए।

जवाब – नहीं.. बिल्कुल भी नहीं इसका तो कहीं दूर-दूर तक कोई आधार ही नहीं है। दिल्ली में बहुत अच्छे-अच्छे हमारे पास नेतृत्व है और अनुभवी नेतृत्व है हमारे पास और मुझे यह लगता है कि यह इस वक्त कोई चर्चा का विषय भी नहीं है। हम एक-एक सीट पर रणनीति बनाकर इस बार चुनाव के मैदान में उतरे हैं। इसी का परिणाम है कि मनीष सिसोदिया को खुद अपनी सीट छोड़कर भागना पड़ा है। जहां से वो वो खुद विधायक होते थे और उनके मॉडल की चर्चा अरविंद केजरीवाल करते थे। उनको खुद अपनी सीट छोड़कर भागना पड़ा है। आतिशी भी सेफ सीट ढूढ रही थी पर उनको मिली नहीं है। तो इस बार सीट टू सीट भारतीय जनता पार्टी की रणनीति तैयार है और रिजल्ट वाले दिन आप देखेंगे कि जैसा हरियाणा और महाराष्ट्र में हुआ है। वैसा ही उसी प्रकार का परिणाम दिल्ली में आएगा।

सवाल – क्या कारण है कि दिल्ली के संसदिय चुनाव में बीजेपी हमेशा बढत लेती है लेकिन विधानसभा चुनाव में मात खा जाती है।

जवाब – नहीं... पिछली बार तो कांग्रेस सरेंडर हो गई थी और इस बार हम उस इक्वेशन के ऊपर डिपेंड ही नहीं करते। क्योंकि एंटी इनकंबेंसी इतनी ज्यादा है कि अरविंद केजरीवाल को अपने ही खुद के 30 विधायकों के टिकट काटने पड़े हैं। अपने विधायकों की सीटें बदलनी पड़ी है तो यह बताता है कि एक सत्ता विरोधी लहर यह दिल्ली में चल रही है। भारतीय जनता पार्टी का इस वक्त जनता का जो मन है वह परिवर्तन का मन है। लोग बोल रहे हैं कि अब नहीं सहेंगे बदल के रहेंगे।

सवाल – इस बार चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा अरविंद केजरिवाल नहीं है। क्या आपको लगता है इस बार अरविंद केजरीवाल फैक्टर काम करेगा? 

जवाब - नहीं देखिए अरविंद केजरीवाल का फैक्टर अगर काम करता तो उनको पुराने कांग्रेसियों को चुनाव नहीं पड़ता। अरविंद केजरीवाल यह सोचते थे कि उनका फैक्टर है तो वह किसी को भी टिकट देंगे वो चुनाव जीतेगा। लेकिन आज उनको जिनके खिलाफ वो खुद लड़े। सीमापुरी में वीर सिंह, उनको टिकट देना पड़ रहा है सुमेश चोकन को टिकट देना पड़ रहा है। तो स्थिति यह है कि अरविंद केजरीवाल को यह तो पता लग गया है कि उनके नाम पर वोट नहीं मिल रहा। अब वो ये सोच रहे हैं कि भाजपा के या कांग्रेस के कोई नेता हो जो पहले चुनाव लड़े हो जिनके पास कोई एक सपोर्ट बेस हो उनको आम आदमी पार्टी से लड़ाया जाए। यह स्थिति भी उनकी बैकफायर करेगी। मैं आपको फिर से बताता हूं मुद्दा बड़ा क्लियर है आप सड़क नहीं दे पाए, दिल्ली राजधानी में सड़कें टूटी हुई है, नल खोलो तो पानी गंदा काला बदबूदार आ रहा है लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। मैं खुद झुग्गियों में गया हूं। मोहल्ला क्लिनिक लगभग खंडर हो गई है। सारी सड़कें टूटी हुई है। बसों की व्यवस्था नहीं है। हवा के पोल्यूशन के बारे में तो आप ही रोज खबर देखते ही होंगे दिल्ली में स्थिति ऐसी है कि स्कूल तक बंद हो जाते है। एक गर्मी की छुट्टी होती थी, एक दिवाली की छुट्टी होती थी, अब पोल्यूशन की छुट्टी दिल्ली में होने लगी है। यह मुद्दे हैं इन्हीं मुद्दों पर हम चुनाव लड़ रहे हैं और केजरीवाल इनमें से किसी भी मुद्दे पर डिलीवर नहीं कर पाए हैं।

सवाल – आप लोगों ने आप पार्टी पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया। दिल्ली में शीश महल का जिक्र किया। लेकिन उस पर एक्शन क्या? आरोप तो लगता है लेकिन एक्शन का क्या?

जवाब - देखिए एक्शन तो पूरा है इस वक्त ये जमानत पर बाहर है। जमानत तो किसी का भी अधिकार है लेकिन किसी भी मुद्दे पर ये आरोप मुक्त नहीं हुए हैं। इनके ऊपर केस चल रहा है। कल ही इनको शराब घोटाले में ईडी के द्वारा प्रोसिक्युट करने का अप्रूवल मिला है। शीश महल तो आंखों के सामने है। शीश महल कोई आरोप नहीं है। जो व्यक्ति कहता था कि मैं एक ही कमरे के घर में रहूंगा ।उसका शीष महल पूरे देश ने देख लिया है तो इसीलिए अरविंद केजरीवाल की कोई विश्वसनीयता नहीं बची है। उनके बात में कोई दम नहीं बचा है और अब वो जो पुराने अपने घिसे पीटे वादे दोबारा रिपीट करने की कोशिश कर रहे हैं। उससे जनता को समझ में आ गया कि यह नौटंकी है।

सवाल – मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल,गोपाल राय इन सभी को जेल में जाना पड़ा। क्या इसका फायदा बीजेपी चुनावी दंगल में होता दिख रहा है। जनता इस घटना को कैसे ले रही है। क्योंकी आम आदमी पार्टी इसे सहानुभूति का मोड़ देना चाहेगी।

जवाब – इस मुद्दा से तो वो बच रहे है। उन्होंने लोकसभा का चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ा था। अरविंद केजरीवाल खुद, उनकी पत्नी, उनके बच्चे और माता-पिता सब सड़क पर उतरे थे और उन्होंने कहा था जेल के बदले वोट। यह लोकसभा का आम आदमी पार्टी का नारा था। परिणाम आपके सामने सातों सीटें आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद भी दिल्ली में हार गई। सहानुभूति नहीं है जिस दिन केजरीवाल जेल गए दिल्ली में एक भी आदमी उनके समर्थन में सड़क पर नहीं निकला। जिस दिन वापस आए उस दिन उनके समर्थन में कोई दिल्ली की जनता नहीं आई है। लोगों को अपने मुद्दे पर डिलीवरी चाहिए थी। डिलीवरी नहीं मिली, लोग नाराज है विधायकों से भी नाराज है मंत्री और मुख्यमंत्री से भी नाराज है। इसीलिए अगर सहानुभूति होती तो मनीष सिसोदिया को पड़पड़गंज की सीट छोड़नी नहीं पड़ती। मनीष जिस सीट से हमेशा लड़ते थे उस सीट से नहीं लड़कर ऐसी सीट पर गए है। जहां मुसलमानों के वोट ज्यादा है।

सवाल – चलिए मान लेते है कि बीजेपी इस बार सत्ता में आती है या टक्कर में भी आती है। तो जनता सीएम फेस का कोई चेहरा देखना चाहेगी। बीजेपी प्रधानमंत्री का चेहरा तो आगे रखती है लेकिन मुख्यमंत्री का नहीं। कौन होगा मुख्यमंत्री?

जवाब – भारतीय जनता पार्टी में विधायक दल मुख्यमंत्री चुनाता है। राजस्थान में भी आपने देखा होगा। बिना सीएम फेस के ही हम राजस्थान में चुनाव लड़े थे और प्रचंड जीत भारतीय जनता पार्टी की हुई और मुद्दा यह है कि जीतने के बाद भाजपा करेगी क्या? चाहे वो पानी का मुद्दा हो, चाहे वो बिजली का मुद्दा हो, चाहे वो डीटीसी बस का फ्री का मुद्दा हो, यह सारी योजनाएं कंटिन्यू होंगी और पहले से बेहतर होंगी। एक तो मैं आपको यह क्लेरिफाई कर देना चाहता हूं क्योंकि कई बार लोगों को ये लगता है कि इन मुद्दे पर क्या होगा। पानी, बिजली, बस, तीनों प्लस, आयुष्मान योजना जो दिल्ली को नहीं दी जा रही है। 24 घंटे के अंदर दिल्ली में लागू की जाएगी और उसके अलावा हमने एक बहुत ऐतिहासिक योजना डिलीवर करके दिखाई है। महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश में हरियाणा में लाडली योजना और हम हमारा घोषणा पत्र आने वाला है। यह पांच ऐतिहासिक योजनाएं भारतीय जनता पार्टी के ये लेकर हम मैदान में जाएंगे।

सवाल – किरन बेदी,मनोज तिवारी कई प्रयोग हुए दिल्ली में। लेकिन जो दिल्ली में मदन लाल खुराना,साहिब सिंह वर्मा इन लोगों की जो विरासत बीजेपी की उसका असर दिख नहीं रहा, आम आदमी पार्टी को एक तरफा बहुमत मिला पिछले चुनाव में तो ये कैसे किला ध्वस्त करेंगे।

जवाब - इस बार आप दिल्ली आइए, मैं आपको निमंत्रण देता हूं और दिल्ली में इस बार आप असर देखिए। फिर से मैं आपको दोहराता हूं अपनी बात को दिल्ली का मुद्दा बड़ा क्लियर है। पानी गंदा, टूटी सड़क, हवा जहरीली, यमुना काली, बसों की व्यवस्था नहीं, मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर केवल खंडर, यही मुद्दे हैं इन्हीं मुद्दों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है। हम ध्यान डायवर्ट होने ही नहीं देंगे इन मुद्दों से नेता हो, किसका नेता, किसका चेहरा, किसका बाप, किसका बेटा, कौन लड़ेगा। किसी भी एक फील्ड पर आपकी डिलीवरी नहीं है। जनता परिवर्तन चाहती है।

सवाल – हिंदू मुस्लिम राजनीति का चरम है आम आदमी पार्टी आरोप लगाती रही है।ऐसे में दिल्ली में जो सामप्रदायिक मुद्दे है उसे आप किस रुप में देखते है।

जवाब - आम आदमी पार्टी ने तुष्टीकरण किया। हम लोगों ने देखा है खुलेआम मनीष सिशोधिया ने बोला वो शाहिनबाग के साथ खड़े हैं। अमानतुल्ला खान के वीडियो हैं जिसमें वोह कह रहे हैं कि मैं रोहिंग्या को 10 हजार बाटूंगा। उनका जो शिविर है वो लगाऊंगा। जब उनकी बस्ती को हटाने के लिए बुलडोजर गया तो अमानतुल्ला खान ने बुलडोजर को रोका बाद में गिरफ्तार भी हुए। तो अरविंद केजरीवाल ताहिर हुसैन का जो पूरा मामला है वो सारी दिल्ली के सामने ने है। मुझे लगता है कि एक बड़ा मुद्दा तो यह डेफिनेटली है कि आपने हिंदुओं की बस्ती का पानी काटा और रोहिंग्या की बस्ती में पानी भेजा। बिजली आपने वहां पर फ्री दी और यहां पे आपके बिजली के बिल आए हिंदुओं के बड़े-बड़े। मौलानाओं को, मस्जिदों के मदरसों को इनको आप तंखा दे रहे हो। लेकिन मंदिरों को गुरुद्वारों को चर्चों को आप कुछ नहीं दे रहे हो। यह दिल्ली का मुद्दा है लोगों के मन में है यह मुद्दा। और 10 साल बहुत होते हैं समझने के लिए कि आप कहां खड़े हो। अगर आप लाइन के उस पार खड़े हो तो इस बार आपको उस पार ही रखा जाएगा।

सवाल – आम आदमी पार्टी अवध ओझा को लेकर आई चुनावी मैदान में, इस तरह के चेहरे तो आम आदमी पार्टी से जोड़े जा रहे है। ये कितने कारगर होगें ये। उसके विकल्प के रुप में बीजेपी के पास कौनसे बड़े नेता है।

जवाब - देखिए अवध ओझा दिल्ली की राजनीति का बड़ा चेहरा तो नहीं है। अवध ओझा राजनीति में आए उनका स्वागत है। उन्होंने गलत गाड़ी पकड़ी है। चुनाव से पहले ही या तो उस गाड़ी से उतर जाएंगे या चुनाव के बाद उतर जाएंगे।

सवाल – दिल्ली में राहुल गांधी को संसद भवन में अंदर नहीं जाने दिया गया। राहुल गांधी पर आरोप लगे उन्होंने कहा मुझे अंदर नहीं जाने दिया गया।

जवाब - देखिए मैं एक बात पूछता हूं। जब अंबेडकर जी थे। उस वक्त कौन लोग थे राजनीति में, नेहरू थे, राजनीति में पटेल जी थे राजनीति में। अंबेडकर जी को चुनाव हराने के लिए कौन गया था। नेहरू ने खुद कैंपेन किया। इसका एविडेंस है नेहरू जी का खुद का लिखे हुए दो लेटर है। एक लेडी माउंट बेटन को लिखा एक अमृत कौर को लिखा। दोनों में ये लिख रहे हैं कि मैंने अंबेडकर को हरा दिया। यह नेहरू की राइटिंग है तो अगर अंबेडकर जी के सम्मान की बात होती है तो सबसे पहला अपमान अगर किसी व्यक्ति ने किया अंबेडकर जी के मन में किसी एक व्यक्ति के मन में विष था तो वह पंडित नेहरू थे। जिन्होंने ना केवल चुनाव हरवाने के लिए खुद कैंपेन किया। बल्कि उनके हारने के बाद लेटर लिखा और उसमें अपनी खुशी जाहिर की और उसमें उन्होंने बहुत ही भद्दा शब्द यूज किया अंबेडकर जी के लिए “ट्रेटर”। यह तो ऑन रिकॉर्ड है। इसके बाद अगर आप देखें तो भारतर रत्न अंबेडकर जी को तब मिला जब कांग्रेस सत्ता से चली गई। जब अंबेडकर जी की मृत्यु हुई तो दिल्ली आपने गांधी जी की समाधि बनाई है, राजीव गांधी की बनी, इंदिरा गांधी की बनी, नेहरू की बनी, संजय गांधी की बनी, तो अंबेडकर जी की समाधि क्यों नहीं बनी? दिल्ली के अंदर ये अपमान किसने किया। भारत रतन नहीं दिया। आपने समाधि नहीं बनाई, आपने परिनिर्वाण भवन नहीं बनाया, आपने उनको चुनाव हरवाने के लिए कैंपेन किया। तो मुझे लगता है गांधी परिवार को अंबेडकर जी के अपमान के लिए पूरे देश से और खास तौर पर दलित समाज से माफी मांगनी चाहिए। ये नीली शर्ट पहनने से वो पाप तो नहीं धुल जाएगा जो पाप आपके खानदान ने किया है। अंबेडकर जी के आज जो पंचतीर्थ बने हैं या उनका परिनिर्वाण भवन बना है यह सब किसने बनाया, किसकी सरकार आने पर बना। यह देश के दलित समाज भी देख रहा है। संविधान के सम्मान करने वाले लोग भी देख रहे हैं और कांग्रेस की गांधी परिवार की जो नौटंकी है जिन्होंने कभी अंबेडकर के खिलाफ कार्टून तक छपवाए। वो नौटंकी जो है वह देश को अच्छी तरह पता है। आपके आपके खानदान के बच्चे पैदा होते ही भारत रत्न ले रहे हैं और अंबेडकर जी को आपके जाने तक का वेट करना पड़ा केवल भारत रतन के लिए। यह क्या देश का दलित समाज देख नहीं रहा।

 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!