आदिवासियों के हक के लिए फिर बोले रोत

Edited By Liza Chandel, Updated: 04 Feb, 2025 01:01 PM

rot again spoke for the rights of tribals

रीबी और विकास की कमी की वजह से दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल इलाकों में नवजात शिशुओं और बच्चों को बेचने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. आदिवासी बाहुल्य दक्षिणी राजस्थान में इस तरह के कई मामले सामने आये हैं. सोमवार को डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार...

राजस्थान में आदिवासी अपने बच्चों को गिरवी रखने को मजबूर !

गरीबी और विकास की कमी के कारण दक्षिण राजस्थान के आदिवासी बहुल इलाकों में नवजात शिशुओं और बच्चों की खरीद-फरोख्त की घटनाएं सामने आती रही हैं। यह गंभीर सामाजिक समस्या इन क्षेत्रों की आर्थिक बदहाली और प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है। डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने सोमवार को इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान उन्होंने आदिवासी समुदाय की दयनीय स्थिति को उजागर किया।

आदिवासियों पर बढ़ते अत्याचार और गरीबी की मार

सांसद राजकुमार रोत ने सदन में कहा कि देश की वर्तमान राष्ट्रपति स्वयं एक आदिवासी समुदाय से आती हैं, लेकिन आज आदिवासियों की हालत बेहद खराब है। उन्होंने दावा किया कि पूरे देश में आदिवासी समुदाय सबसे अधिक पीड़ित है और उन पर निरंतर अत्याचार हो रहे हैं। विशेष रूप से आदिवासी महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर उन्होंने चिंता व्यक्त की। उन्होंने मणिपुर की घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां आदिवासी महिलाओं के साथ अत्याचारों की घटनाएं सामने आई हैं।

मजबूरी में बच्चों को गिरवी रखने की नौबत

रोत ने कहा कि आर्थिक तंगी के चलते आदिवासी समुदाय के लोग अब अपने बच्चों को गिरवी रखने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि दो दशक पहले गरीब आदिवासी और दलित परिवार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी जमीन और जेवरात गिरवी रखते थे, लेकिन अब हालात इतने बदतर हो गए हैं कि वे अपनी बहन-बेटियों और छोटे बच्चों को ही गिरवी रखने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में "डबल इंजन" की सरकार होने के बावजूद इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं।

पुलिस जांच में हुआ खुलासा

जनवरी 2023 में उदयपुर के सवीना पुलिस थाने में एक मामले का खुलासा हुआ, जिसने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया। न्यूज वेबसाइट 'फ्री प्रेस जर्नल' के मुताबिक, पुलिस ने एक महिला को सात महीने के बच्चे के साथ गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार महिला की पहचान उदयपुर की निवासी राजकुमारी के रूप में हुई थी। पुलिस जांच में सामने आया कि राजकुमारी एक आईवीएफ सेंटर में काम करती थी और उसने झाड़ोल ब्लॉक के एक दंपति से मात्र 70,000 रुपये में एक बच्चा खरीदा था। पूछताछ में महिला ने यह भी स्वीकार किया कि वह इस बच्चे को दिल्ली में किसी व्यक्ति को 2 लाख रुपये में बेचने की योजना बना रही थी।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

इस घटना ने सरकारी तंत्र और प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। ऐसे गंभीर अपराधों को रोकने के लिए सरकार को तत्काल प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

  1. सख्त कानूनों का क्रियान्वयन: बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए कड़े कानून लागू करने की आवश्यकता है।

  2. आर्थिक और सामाजिक विकास: गरीब आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा।

  3. पुलिस और प्रशासन की सतर्कता: इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए पुलिस और प्रशासन को अधिक सतर्कता बरतनी होगी।

  4. जनजागरूकता अभियान: आदिवासी समुदाय को इस तरह के अपराधों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने की जरूरत है।

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