Edited By Liza Chandel, Updated: 19 Dec, 2024 07:28 PM
मंत्री दिलावर ने कहा कि बच्चा अपने परिवार में बिना किसी औपचारिक शिक्षा के अपनी मातृभाषा में बात करना सीखता है। जब वह स्कूल जाता है, तो उसे नए माहौल और नई भाषा का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय भाषा में हो, तो यह बच्चे के लिए...
अब राजस्थान के स्कूलों में लोकल लैंग्वेज में होगी पढ़ाई, दिलावर बोले - अभिमन्यु मां के पेट में ही सब कुछ सीख गए थे
राजस्थान सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री का अजमेर दौरा
राजस्थान सरकार के शिक्षा राज्य मंत्री मदन दिलावर आज एकदिवसीय दौरे पर अजमेर में हैं। वे रीट परीक्षा के संदर्भ में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में शिक्षा विभाग और बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्थानीय भाषाओं का महत्व
एक निजी चैनल से बात करते हुए मंत्री दिलावर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्थानीय भाषाओं में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई इस नीति के तहत प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में प्रदान करने का प्रावधान है।
मातृभाषा में शिक्षा की सरलता
मंत्री दिलावर ने कहा कि बच्चा अपने परिवार में बिना किसी औपचारिक शिक्षा के अपनी मातृभाषा में बात करना सीखता है। जब वह स्कूल जाता है, तो उसे नए माहौल और नई भाषा का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय भाषा में हो, तो यह बच्चे के लिए अधिक सरल और प्रभावी होता है।
उदाहरण और फायदे
मंत्री ने हाड़ौती भाषा का उदाहरण देते हुए कहा, "मैं जा रहा हूं" को हाड़ौती में "मैं जारिया छु" कहते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे अपनी घरेलू भाषा जल्दी और आसानी से सीखते हैं। महाभारत के अभिमन्यु का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गर्भ में ही उसने बहुत कुछ सीख लिया था, जो मातृभाषा की शक्ति को दर्शाता है।
राजस्थान की बोलियों का विविधतापूर्ण परिदृश्य
राजस्थान में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग बोलियां बोली जाती हैं। जैसे:
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मारवाड़ में मारवाड़ी
- मेवाड़ में मेवाड़ी
- शेखावाटी में शेखावाटी
- जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में ढूंढाड़
मल्टीलिंग्वल लैंग्वेज प्रोग्राम की पहल
मंत्री दिलावर ने बताया कि राजस्थान सरकार वर्तमान में सिरोही और डूंगरपुर जिलों में एक मल्टीलिंग्वल लैंग्वेज प्रोग्राम चला रही है। अगले सत्र से इसे 9 जिलों तक विस्तारित किया जाएगा। इनमें जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, सिरोही, और डूंगरपुर शामिल हैं।
कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का लक्ष्य 2026 तक राजस्थान के 25 जिलों में स्थानीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करना है, जिससे बच्चों को अपनी संस्कृति और भाषा के साथ जुड़ने का अवसर मिले।