कोटा में कांग्रेस पार्षदों का जल सत्याग्रह सातवें दिन भी जारी, नगर निगम पर भेदभाव के आरोप

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 13 Jul, 2025 02:45 PM

water satyagraha of congress councilors in kota continues for the seventh day

कोटा | चंबल नदी के भीतरियाकुंड में इन दिनों कुछ असाधारण नज़ारा देखने को मिल रहा है, जहां भारी बारिश और विपरीत मौसम के बावजूद कांग्रेस पार्षदों का नगर निगम के खिलाफ जल सत्याग्रह लगातार सातवें दिन भी जारी है। यह आंदोलन कोटा दक्षिण नगर निगम के उपमहापौर...

कोटा | चंबल नदी के भीतरियाकुंड में इन दिनों कुछ असाधारण नज़ारा देखने को मिल रहा है, जहां भारी बारिश और विपरीत मौसम के बावजूद कांग्रेस पार्षदों का नगर निगम के खिलाफ जल सत्याग्रह लगातार सातवें दिन भी जारी है। यह आंदोलन कोटा दक्षिण नगर निगम के उपमहापौर पवन मीणा के नेतृत्व में किया जा रहा है। पार्षदों का आरोप है कि नगर निगम प्रशासन कांग्रेस समर्थित वार्डों के साथ भेदभाव कर रहा है और जानबूझकर विकास कार्यों को रोक दिया गया है।

धरने से जल सत्याग्रह तक का सफर
यह विरोध प्रदर्शन पहले नगर निगम कार्यालय के बाहर धरने के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन पार्षदों की मांगों की अनदेखी होने के कारण अब यह जल सत्याग्रह में तब्दील हो चुका है। कांग्रेस पार्षद पानी में उतरकर तख्तियों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें "भेदभाव बंद करो", "सभी वार्डों को समान अधिकार दो" जैसे नारे लगाए जा रहे हैं।

पार्षदों का आरोप: टेंडर जारी, वर्क ऑर्डर नहीं
कांग्रेस पार्षद इसरार मोहम्मद ने कहा कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से कांग्रेस पार्षदों के वार्डों में विकास कार्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है। कई बार लिखित और मौखिक आग्रह के बावजूद उनके वार्डों में रुके हुए कार्यों को शुरू नहीं किया गया। अधिकारी केवल टेंडर जारी कर रहे हैं लेकिन वर्क ऑर्डर अब तक जारी नहीं हुए हैं।

उपमहापौर का बयान
उप महापौर पवन मीणा ने बताया, "पिछले साल से भाजपा शासित वार्डों में एक-एक करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों के टेंडर और वर्क ऑर्डर जारी किए गए हैं, जबकि कांग्रेस के वार्डों में जानबूझकर विकास रोका जा रहा है। यह लोकतंत्र और जनप्रतिनिधियों की अवहेलना है।"

प्रशासन की प्रतिक्रिया
विरोध की सूचना पर दादाबाड़ी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन पार्षदों ने साफ कह दिया कि जब तक उनके वार्डों में विकास कार्यों की बहाली नहीं होती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

निष्कर्ष
कोटा दक्षिण नगर निगम में कांग्रेस पार्षदों का यह जल सत्याग्रह नगर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो यह आंदोलन और तेज हो सकता है, जिसका असर कोटा की स्थानीय राजनीति पर साफ़ तौर पर देखने को मिलेगा।

 

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