Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 27 Jul, 2025 03:44 PM

सरकारी नौकरी और नवाबी ज़िंदगी – यह कहावत इन दिनों राजस्थान के आरटीओ इंस्पेक्टर सुजानाराम चौधरी पर सटीक बैठती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने सांचौर, भीनमाल, जालोर, जोधपुर, जयपुर, सिरोही और माउंट आबू में...
सरकारी नौकरी और नवाबी ज़िंदगी – यह कहावत इन दिनों राजस्थान के आरटीओ इंस्पेक्टर सुजानाराम चौधरी पर सटीक बैठती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने सांचौर, भीनमाल, जालोर, जोधपुर, जयपुर, सिरोही और माउंट आबू में उनके ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान ACB को सुजानाराम की 2 करोड़ 50 लाख रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज़ मिले।
लेकिन ये तो सिर्फ शुरुआत है…
सूत्रों की मानें तो यह आंकड़ा महज़ औपचारिक दस्तावेज़ों पर आधारित है। हकीकत में उनकी आलीशान कोठियों, बेनामी संपत्तियों और परिवार के नाम पर खरीदी संपत्ति की कीमत दर्जनों करोड़ तक पहुंच सकती है। माना जा रहा है कि 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का पर्दाफाश हो सकता है। जिन शहरों में जांच की जा रही है, वहां रियल एस्टेट, फार्म हाउस, होटल, लग्ज़री गाड़ियों और फर्जी कंपनियों के दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है।
“सिस्टम जेब में रखता हूं” – अब कानून की गिरफ्त में
सूत्र बताते हैं कि सुजानाराम की घमंड भरी छवि और राजनीतिक पहुंच का असर इतना था कि वे खुद को “सिस्टम को जेब में रखने वाला अफसर” बताने से भी नहीं हिचकते थे। हर बार वे अपने राजनीतिक संबंधों और धनबल के दम पर कार्रवाई से बचते रहे, लेकिन इस बार ACB ने जाल कुछ इस तरह बिछाया कि बच निकलने का कोई रास्ता नहीं रहा।
भ्रष्टाचार की तिकड़ी – सुजानाराम, अक्षमिता राठौड़ और जुहारमल मीना
छापे के दौरान तीन अधिकारियों के बीच संदिग्ध संबंधों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सुजानाराम चौधरी, जुहारमल मीणा और अक्षमिता राठौड़ – ये तीनों अधिकारी एक के बाद एक चित्तौड़गढ़, भीनमाल और सिरोही में एक ही समय पर पोस्टिंग में रहे हैं। अब इनकी तिकड़ी की कार्यशैली, ट्रांसफर-पोस्टिंग में मिलीभगत और अवैध वसूली की शिकायतों की भी जांच की जा रही है।
अब सवाल उठता है…
एक साधारण RTO एजेंट से जीवन की शुरुआत करने वाला आम आदमी कैसे करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा?
कौन हैं वो राजनीतिक और अधिकारी चेहरे जो इन अफसरों की ढाल बने रहे?
क्या अब सिस्टम की सड़ांध को जड़ से साफ किया जाएगा?
सबसे बड़ा सवाल – क्या ACB करेगी ईमानदारी से जांच?
जनता के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या ACB पूरी ईमानदारी से बेनामी संपत्तियों और भ्रष्टाचार का खुलासा करेगी या फिर सत्ता और रसूख के साए में एक बार फिर सब कुछ दबा दिया जाएगा? क्या ये कार्रवाई महज़ औपचारिकता बनकर रह जाएगी या सच में किसी ‘सफाई अभियान’ की शुरुआत होगी?