जैसलमेर | पर्यटन के लिए तीन दशकों से लज्जा का विषय बनी हुई है लपकों की बैखोफ गतिविधियां

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 27 Jun, 2025 06:38 PM

reckless activities of thieves

जैसलमेर | पर्यटन के लिए तीन दशकों से लज्जा का विषय बनी हुई है लपकों की बैखोफ गतिविधियां,रोकथाम के नहीं हो रहे व्यापक उपाय ,पर्यटकों की गाड़ियों का कई किलोमीटर से पीछा कर दहशत फैलाने वाले तत्वों पर ठोस कार्रवाई किए जाने की है आवश्यकता

जैसलमेर | पर्यटन के लिए तीन दशकों से लज्जा का विषय बनी हुई है लपकों की बैखोफ गतिविधियां,रोकथाम के नहीं हो रहे व्यापक उपाय ,पर्यटकों की गाड़ियों का कई किलोमीटर से पीछा कर दहशत फैलाने वाले तत्वों पर ठोस कार्रवाई किए जाने की है आवश्यकता विगत तीन दशकों से जैसलमेर पर्यटन क्षेत्र के लिए लज्जा का विषय बन चुके लपकों या कहें दहशतगर्द जो खुलेआम जोधपुर , बाड़मेर और सम रोड पर अपनी तेजी गति की बाइक्स से पीछा करते और उन्हें रुकवाते दिखाई दे जाते हैं। यदि फिर भी कोई पर्यटक अथवा उनका ड्राइवर इनकी बात नहीं मानते हैं तो जोर-जबरदस्ती और धमकियों तक पर उतारू हो जाते हैं। संगठित अपराध की तर्ज पर इन तत्वों का कार्य होता है जैसलमेर आने वाले पर्यटकों को तरह-तरह से भ्रमित कर अपने संरक्षण कर्ताओं की तय होटल , रिसोर्ट में ले जाकर व्यापार दिलाना और  लेजा कर मोटा कमीशन कमाना उन्हीं के द्वारा इन्हें लाखों रुपए की आधुनिक बाइक्स, होटलों में एशो-आराम की सुविधाएं भी इसीलिए उपलब्ध करवाई जाती है। ऐसा भी नहीं है कि इनकी निर्विवाद चल रही गतिविधियों से जिम्मेदार अंजान है। परन्तु इन पर धर-पकड़ के अतिरिक्त कार्रवाई नहीं हो पाती है क्योंकि लपकागिरी की रोकथाम के लिए कोई ठोस कानून का प्रावधान आज तक भी नहीं बन पाया है। इसलिए पकड़े जाने के चंद घंटों में ही छूट कर बाहर आ जाते हैं और पुनः अपनी गतिविधियों में सक्रिय हो जाते हैं। सही मायनों में जैसलमेर पर्यटन के भविष्य को लेकर चिंतित स्थानीय प्रशासन के साथ ही पर्यटन व्यवसाय से सम्बंधित लोगों को इस पर लगाम कसने के लिये ईमानदारी से आगे आने की आवश्यकता है। जो लोग लपकागिरी को प्रश्रय प्रदान कर रहे हैं उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से सपोर्ट करना बंद करना चाहिए वरना पर्यटकों का स्वर्णनगरी से मोह भंग होते समय नहीं लगेगा। जिसका प्रत्यक्ष रूप से नुकसान पर्यटन उधोग पर तो पड़ेगा ही पड़ेगा  साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से हर छोटे व्यापारी चाहे वो किराणा ,सब्ज़ी , दूध, टैक्सी , ठेला व स्थानीय लघु उधोग सभी को आर्थिक मार सहनी पड़ेगी। प्रशासन को भी चाहिए कि वह पर्यटन व्यवसायियों की सभी एसोसिएशन के साथ मिलकर इन तत्वों को चिन्हित करते हुए इनके विरुद्ध सख़्ती बरतें। पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के साथ आए दिन होने वाली अप्रिय घटनाओं तथा उनके साथ एडवांस बुकिंग के नाम पर होने वाले मानसिक उत्पीडन को भी रोकने का प्रयास करना चाहिए।
 

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