जैसलमेर-जिले में लड़खड़ाई पेयजल व्यवस्था, शहर से गांवों तक लोग तरस रहे है पानी को,ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

Edited By Kailash Singh, Updated: 11 Aug, 2025 01:04 PM

drinking water falters in jaisalmer district

किसी समय मे रेतीले धोरों के बीच बसे जैसलमेर को काला पानी का दर्जा दिया गया था,वजह थी यहां पर पानी की कमी। सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी अपनी पोस्टिंग जैसलमेर होने पर यहां आने से कतराते थे। लेकिन जैसे जैसे समय का पहिया आगे चला वैसे वैसे ये समस्या कम...

जैसलमेर।  किसी समय मे रेतीले धोरों के बीच बसे जैसलमेर को काला पानी का दर्जा दिया गया था,वजह थी यहां पर पानी की कमी। सरकारी अधिकारी हो या कर्मचारी अपनी पोस्टिंग जैसलमेर होने पर यहां आने से कतराते थे। लेकिन जैसे जैसे समय का पहिया आगे चला वैसे वैसे ये समस्या कम होने लगी। इंदिरा गांधी नहर आने के बाद जैसलमेर में पानी की कोई कमी नही रही मगर जिम्मेवारों की उदासीनता के चलते आज भी यहां के वाशिंदों के साथ साथ मूक पशुओं के भी हलक सूखे हुए हैं। जलदाय विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों नाकामी के चलते पिछले कई महीनों से शहर के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में लोग पानी की एक एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। शहर में जहां 6 से 7 दिन में पानी की सप्लाई की जा रही है तो कई ऐसे ग्रामीण इलाके है जहां एक महीने से लोग पानी को तरस रहे है। रासला क्षेत्र के अचला गांव में एक महीने से पानी की सप्लाई नही होने से वहां स्थित पशु खेलीं मे पेयजल संकट छा गया है। पानी की सप्लाई नहीं होने के कारण ग्रामीणों व मवेशियों का हाल बेहाल हो रहा है यहां निर्मित पशु खेलीं पिछले एक महीने से सूखीं पड़े हैं। जिसके कारण मवेशी पानी के लिए इधर उधर भटक रहे हैं और काल का ग्रास हों रहै है ग्रामवासी दमाराम ने बताया कि गांव में स्थित पशु खेलीं में पिछले एक महीने से जलापूर्ति व्यवस्था बिगड़ी हुई है अनियमित व अप्राप्त जलापूर्ति व्यवस्था के कारण यहां पशु खेलीं सुखी पड़ी है। जिसके कारण ग्रामीणों को ट्रेक्टर टंकियों से पानी खरीदकर मंगवाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर जलदाय विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत करा दिया गया है लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदारो कि और से जलापूर्ति व्यवस्था को सुचारू करने कों लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते जलापूर्ति व्यवस्था शुरू नहीं की गई तों धरना प्रदर्शन कर विरोध किया जाएगा। गौरतलब है कि चुनाओ के वक्त इन भोली भाली जनता को अपना माई बाप व गाय को माता कहने वाले राजनीतिक दलों के नेता व हर महीने मोटी तनख्वाह लेने वाले जलदाय विभाग के अधिकारियों को इस भयंकर समस्या से कोई सरोकार नहीं है या ये हालात बनवाना इनकी रोजमर्रा के सिड्यूल का हिस्सा बन गया है। बहरहाल जिम्मेवार लोग अपनी जिम्मेदारी भूल कर एसी कमरों में आराम फरमा रहे है और जनता पानी के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है। 

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