गोविंद देवजी मंदिर में महाकाल भस्म आरती:

Edited By Shruti Jha, Updated: 20 Jul, 2025 05:51 PM

mahakal bhasma aarti in govind devji temple

सावन मास के दूसरे सोमवार से ठीक पहले, जयपुर के प्रसिद्ध गोविंद देवजी मंदिर में रविवार को शिव आराधना का एक भव्य आयोजन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे। पवित्र दिन की शुरुआत शिवलिंग पूजन से हुई, जिसमें पहले से...

गोविंद देवजी मंदिर में महाकाल भस्म आरती: जयपुर में दिखा शिव आराधना का भव्य नज़ारा

जयपुर, 20 जुलाई 2025: सावन मास के दूसरे सोमवार से ठीक पहले, जयपुर के प्रसिद्ध गोविंद देवजी मंदिर में रविवार को शिव आराधना का एक भव्य आयोजन हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर पहुंचने लगे।

पवित्र दिन की शुरुआत शिवलिंग पूजन से हुई, जिसमें पहले से पंजीकृत भक्तों ने विधि-विधान से भाग लिया। इसके बाद मंदिर में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंगों का सामूहिक रुद्राभिषेक किया गया। श्रद्धालुओं ने दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक कर पुण्य कमाया।

इस दौरान पंच कुंडीय शिव-गायत्री महायज्ञ का भी आयोजन किया गया। उपस्थित लोगों ने महामृत्युंजय और गायत्री मंत्रों के साथ आहुतियां अर्पित कीं, जिससे पूरा मंदिर परिसर शिवमय वातावरण से गूंज उठा।

हरिद्वार के कलाकारों ने किया उज्जैन की महाकाल भस्म आरती का मंचन

इस आयोजन का मुख्य आकर्षण हरिद्वार के शांतिकुंज से आए कलाकारों द्वारा उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की भस्म आरती का सजीव मंचन था। इस अनूठे दृश्य ने उपस्थित भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम के मुख्य भाग में हरिद्वार की टोली ने महाकाल स्वरूप पर एक विशेष उद्बोधन दिया। इसके बाद भगवान शिव और देवी पार्वती की एक जीवंत झांकी प्रस्तुत की गई, जिसमें कलाकारों ने तांडव कर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। मंदिर में गोविंद और गौरीशंकर के मिलन का एक भावपूर्ण दृश्य भी प्रस्तुत किया गया, जिसने भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

पर्यावरण परिषद के अध्यक्ष राहुल द्विवेदी ने बताया कि इस महाभिषेक और यज्ञ का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन, अच्छी वर्षा और जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि बड़ी संख्या में लोगों ने उत्साहपूर्वक भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया।


आध्यात्मिक महत्व और प्राप्त आशीर्वाद

ज्योतिषाचार्य अनुपम जौली ने सावन में शिव उपासना के बढ़े हुए महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने समझाया कि देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव को सौंप देते हैं। ऐसे में सावन में शिव आराधना का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, खासकर जब यह आयोजन आराध्य देव गोविंद देवजी के मंदिर में हो।

आचार्य हिमानी शास्त्री ने इस वर्ष इंद्रदेव की कृपा से हुई अच्छी बारिश पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे आध्यात्मिक आयोजन प्रदेश में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने में सहायक होते हैं। शास्त्री ने यह भी बताया कि गायत्री परिवार द्वारा हर रविवार को किए जा रहे यज्ञ में लोगों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।

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