Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 03 Jun, 2025 05:00 PM

उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी मंगलवार को विद्याधर नगर स्थित महात्मा गांधी सरकारी विद्यालय पहुंचीं, जहां उन्होंने कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं से संवाद किया। यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं बल्कि एक प्रेरणादायक शिक्षण सत्र बन गया,...
जयपुर | राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी मंगलवार को विद्याधर नगर स्थित महात्मा गांधी सरकारी विद्यालय पहुंचीं, जहां उन्होंने कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं से संवाद किया। यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं बल्कि एक प्रेरणादायक शिक्षण सत्र बन गया, जिसे बच्चों ने ‘दिया की पाठशाला’ नाम दिया। करीब एक घंटे तक चला यह संवाद सत्र हल्के-फुल्के अंदाज़ में शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही गंभीर मुद्दों और भावनात्मक चर्चाओं का केंद्र बन गया।
उपमुख्यमंत्री ने बच्चों से पूछा
“परीक्षा खत्म हो गई है, रिजल्ट आ गया है, तो अब खुशी का माहौल है या अगली चुनौती का दबाव?” छात्रों ने बेझिझक जवाब दिए- किसी ने आगे की पढ़ाई की चिंता जताई तो किसी ने कहा, “अब कोई दबाव नहीं, बस आगे बढ़ना है।”
दिया कुमारी ने पूछा कि क्या एग्ज़ाम का प्रेशर महसूस होता है, क्या पैरेंट्स अंकों को लेकर दबाव बनाते हैं? साथ ही यह भी पूछा कि - जिनके दोस्त प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं, क्या इससे फर्क महसूस होता है?
एक छात्रा ने उत्तर दिया, “अब सरकारी स्कूल भी किसी मायने में कम नहीं हैं, पढ़ाई का स्तर बहुत अच्छा हो गया है।” मोबाइल और टीवी के इस्तेमाल पर चर्चा करते हुए एक छात्र ने मुस्कुराते हुए कहा, “फायदा तभी है जब सही चीज़ें देखें, वरना नुकसान ही नुकसान है।” इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी बात हुई। जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र आया, तो छात्रों ने भारतीय सैनिकों की बहादुरी को गर्व के साथ बताया। जब उपमुख्यमंत्री ने सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह जैसी सैन्य अधिकारियों का ज़िक्र किया और पूछा कि क्या कोई लड़की मिलिट्री सर्विस में जाना चाहती है, तो कई छात्राओं ने आत्मविश्वास से हाथ खड़े किए।
राजनीति को लेकर भी उत्साही सवाल आया - “अगर आप राजनीति में आएंगे तो क्या बदलाव लाना चाहेंगे?” इस पर छात्राओं ने जवाब दिया, “हम महिला सुरक्षा को मजबूत बनाना चाहेंगे ताकि कोई लड़की डरे नहीं, चाहे वह स्कूल जा रही हो, काम पर या अपने सपनों की ओर।” जब ‘मन की बात’ कार्यक्रम की चर्चा आई तो कई छात्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातें उन्हें प्रेरित करती हैं, खासकर जब वे युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मन की बात कार्यक्रम में एग्ज़ाम फीवर से भी दूर रहने के उपाय प्रधानमंत्री ने बताए थे और वह पूरा एपिसोड क्लास में देखा था। उपमुख्यमंत्री ने भी प्रधानमंत्री की कार्यशैली की सराहना करते हुए कहा कि 2014 के बाद देश में शिक्षा, रोजगार और विकास की दिशा बदली है।
दिया कुमारी ने छात्रों को यह भी बताया कि सिर्फ प्रतिशत और अंकों के जाल में उलझना जरूरी नहीं, बल्कि खेल, स्टार्टअप और नई तकनीकी विधाओं में भी सुनहरा भविष्य है। उन्होंने यह भी कहा कि कम अंक आने पर भी निराश होने की जरूरत नहीं, क्योंकि कभी-कभी नियति हमें बेहतर राह दिखाने के लिए दिशा बदलती है।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने टॉपर्स और परीक्षा पास करने वाले छात्रों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए, और सभी विद्यार्थियों के स्वर्णिम भविष्य की कामना की। “निराशा जीवन नहीं है, दिल की आशा ही उम्मीद के नए शिखर तक ले जाती है।” – इस संदेश के साथ दिया कुमारी ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। ‘दिया की पाठशाला’ केवल संवाद नहीं, एक प्रेरणा बनी: जहाँ आत्मविश्वास, विचार और बदलाव की ऊर्जा हर चेहरे पर झलक रही थी।