Edited By Shruti Jha, Updated: 16 Jul, 2025 12:06 PM

जोधपुर: "शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती" – इस कहावत को 73 वर्षीय हनुमान सिंह इंदा ने सच कर दिखाया है। उन्होंने इस उम्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर एक अविस्मरणीय और प्रेरणादायक मिसाल पेश की है।
मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के डीन एकेडमिक्स...
73 साल की उम्र में हासिल की पीएचडी: हनुमान सिंह इंदा ने रिटायरमेंट के बाद जगाई शोध की अलख, बनीं मिसाल
जोधपुर: "शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती" – इस कहावत को 73 वर्षीय हनुमान सिंह इंदा ने सच कर दिखाया है। उन्होंने इस उम्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर एक अविस्मरणीय और प्रेरणादायक मिसाल पेश की है।
मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के डीन एकेडमिक्स डॉ. इमरान खान ने बताया कि यूनिवर्सिटी के शिक्षा विभाग से जुड़े शोधकर्ता हनुमान सिंह इंदा की यह उपलब्धि वाकई सराहनीय है। उनके शोध का विषय "समग्र शिक्षा अभियान: जोधपुर जिले के राजकीय विद्यालयों में कार्यक्रमों की क्रियान्विती-उपलब्धियों पर शोध प्रबन्धन" रहा। यह शोध, शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है।
यूनिवर्सिटी ने किया सम्मानित
यूनिवर्सिटी के डीन रिसर्च डॉ. मोहम्मद तालेउज्जमा ने बताया कि यूनिवर्सिटी चेयरपर्सन मोहम्मद अतीक ने हनुमान सिंह इंदा को उनकी इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया। यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट डॉ. जमील काजमी का उनके शोध कार्य में विशेष मार्गदर्शन रहा। डॉ. समीना, डीन, एजुकेशन डिपार्टमेंट के निर्देशन में उन्होंने अपना शोध कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया। मिरिंडा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बेंगलुरु की प्रोफेसर डॉ. मनोरमा शर्मा ने उनका वाइवा लिया। पूर्व डीन डॉ. पीयूष शर्मा और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. किशन लाल ने भी उनके शोध में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
41 साल का अध्यापन अनुभव और अब नया कीर्तिमान
हनुमान सिंह इंदा ने अर्थशास्त्र व्याख्याता के रूप में 41 वर्षों तक अध्यापन कार्य किया और हजारों विद्यार्थियों को शिक्षित किया, जिनमें से कई आज उच्च पदों पर कार्यरत हैं। अर्थशास्त्र के विद्यार्थी होने के बावजूद उन्होंने अपने शोध के लिए शिक्षा विषय का चुनाव किया, जो उनके समर्पण और चुनौती स्वीकार करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
डॉ. सिंह की इस असाधारण उपलब्धि पर यूनिवर्सिटी के डॉ. अशोक भार्गव, डॉ. मुमताज, डॉ. फरहा, यूनुस खान पठान, सलमान खान, साबरा कुरैशी सहित सभी फैकल्टी सदस्यों और उनके परिवारजनों – पत्नी मीना कंवर, पुत्रियां ललिता इंदा, ज्योत्सना इंदा, योगिता इंदा, और दामाद संदीप सिंह चौहान, गजेंद्र सिंह सांखला, मनोज सिंह चौहान – एवं मित्रों ने हार्दिक बधाई दी है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि ज्ञानार्जन की कोई सीमा नहीं होती और दृढ़ संकल्प से किसी भी उम्र में बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।