Edited By Kailash Singh, Updated: 09 Mar, 2025 12:42 PM

सत्ता वाली पार्टी में सरकार की पूर्व मुखिया इन दिनों खूब हौसले में हैं । उन्होंने प्रदेश में कई जगह दौरा किया है और पार्टी कार्यक्रमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। संगठन चुनाव की प्रक्रिया के दौरान प्रदेशाध्यक्ष के नामांकन और घोषणा के वक्त वह...
हनुमानगढ़, 8 मार्च 2025।(बालकृष्ण थरेजा ) सत्ता वाली पार्टी में सरकार की पूर्व मुखिया इन दिनों खूब हौसले में हैं । उन्होंने प्रदेश में कई जगह दौरा किया है और पार्टी कार्यक्रमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। संगठन चुनाव की प्रक्रिया के दौरान प्रदेशाध्यक्ष के नामांकन और घोषणा के वक्त वह मौजूद रहीं । कई स्थानों पर उन्होंने धार्मिक आयोजन करवाए हैं। अपने जन्मदिन पर सीमावर्ती इलाके के प्रसिद्ध मंदिर में उन्होंने शत्रु विनाशक अनुष्ठान करवाया। इस दौरान मीडिया के सवालों के जवाब देते उन्होंने खूब हौसला दिखाया। उन्हें पार्टी में नई भूमिका के सवाल पर उनका जवाब नई चर्चा को जन्म दे गया। पूर्व मुखिया ने कहा कि सब कुछ यहीं बता दिया जाएगा तो मजा नहीं आया। वैसे पूर्व मुखिया का नाम पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान के लिए भी चल रहा है। पार्टी के नए चीफ के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और आने वाले दिनों में इसके लिए उपयुक्त उम्मीदवार की घोषणा हो सकती है। पूर्व मुखिया ने देश के मुखिया की भी खूब तारीफ की है। अब लग रहा है कि उनका दिल्ली के साथ तालमेल पहले से बेहतर हो गया है। पार्टी उन्हें कोई भूमिका देगी इसके संकेत उनकी बॉडी लैंग्वेज से भी मिल रहे हैं। प्रदेश की सियासत में उनकी अब एंट्री धीरे-धीरे हो रही है। प्रदेश के नेताओं से उनकी मेल- मुलाकात लगातार जारी है। अब पत्ते खुलने के बाद ही सारी स्थिति स्पष्ट होगी तब तक चर्चाओं का बाजार गर्म रहेगा।
पद वाले भी नहीं आए!
विपक्ष वाली पार्टी जिले में एक तरह से कामचलाऊ संगठन चला रही है। जिला प्रधान को पिछले दिनों नई कार्यकारिणी मिली और इसमें बड़ी संख्या में उन कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनाया गया जिनकी सिफारिश विधानसभावार नेताओं ने की थी। अब जिले के दौरे पर आए प्रदेश के सह प्रभारी ने जब मीटिंग ली तो पद पाने वाले अधिकांश पदाधिकारी नहीं पहुंचे। इतने बड़े नेता के आने के बाद भी पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं देखा गया। एक जगह पर मीटिंग करवा कर औपचारिकता पूरी कर दी गई। हालांकि मंच पर बैठने वाले नेताओं की कमी नहीं थी। बैठक में जिले के विधायक और अन्य बड़े नेता पहुंचे। सभी ने पार्टी को मजबूत करने के भाषण दिए। पार्टी मजबूत होगी लेकिन सबसे पहले उसे कार्यकर्ताओं से दूरी खत्म करनी होगी। विपक्ष में होकर भी उनके कार्यकर्ता मीटिंग में नहीं पहुंच रहे हैं तो विपक्ष वाली पार्टी को चिंता होना स्वाभाविक है। आने वाले दिनों में लोकल बॉडी और पंचायती राज के इलेक्शन हैं । इससे पहले पार्टी को मजबूत करना है मगर कार्यकर्ताओ में ऊर्जा भरने का कोई फार्मूला नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश स्तर से भी पार्टी को अभी कोई रोडमैप नहीं मिल रहा है जिससे पार्टी मजबूत हो सके।
एक और राजनीतिक परिवार की शादी का बुलावा
जिले में पिछले कई दिनों से राजनीतिक परिवारों में शादियों के बड़े आयोजन का सिलसिला चल रहा है। इन शादियों में जिले भर से पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों को बड़ी संख्या में बुलाने का रिवाज चल रहा है। पिछले दिनों एक राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री के पौत्र की शादी हुई थी। इस शादी में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को निमंत्रण दिया गया और उन्हें बुलाया गया। अब इसी परिवार के एक पूर्व विधायक के पुत्र की शादी है। पूर्व विधायक के पुत्र की सगाई एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक घराने में की गई है। यह राजनीतिक परिवार भी जिला मुख्यालय का है तथा दो-तीन विधानसभा क्षेत्र में राजनीति कर रहा है। इसी बीच जिले के एक मौजूदा युवा विधायक की शादी हुई। इस शादी के फंक्शन कई दिन तक चले। जिला मुख्यालय के साथ ही उनके विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम हुआ। प्रदेश की राजधानी में हुए कार्यक्रम में बड़े नेता पहुंचे। कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में बुलाने का सिलसिला अब पूर्व विधायक के पुत्र की शादी में भी दिखने वाला है। पिछले दिनों ही विपक्ष वाली पार्टी में पदाधिकारी रहे एक नेता की पौत्री की शादी पड़ौसी राज्य के बड़े राजनीतिक परिवार में हुई थी। जिले में राजनीतिक परिवारों की शादियों की चर्चा है। लोगों को कार्ड बांटकर बुलावा दिया जा रहा है। दो-तीन महीनों में बड़े राजनीतिक परिवारों में हुई इन शादियों से जिले के सभी कार्यकर्ता आपस में मिल रहे हैं और शादियों का लुत्फ उठा रहे हैं।