गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा का षष्ठ दीक्षान्त समारोह आयोजित

Edited By Kailash Singh, Updated: 12 Aug, 2025 05:26 PM

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राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं अपितु अर्जित योग्यताओं से जीवन की नई शुरुआत है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई व उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपनी शिक्षा का समुचित उपयोग राष्ट्र...

गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा का षष्ठ दीक्षान्त समारोह आयोजित
जयपुर/बांसवाड़ा, 12 अगस्त। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ शिक्षा का अंत नहीं अपितु अर्जित योग्यताओं से जीवन की नई शुरुआत है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई व उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे अपनी शिक्षा का समुचित उपयोग राष्ट्र व समाज की उन्नति में करेंगे। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद जनजातीय विश्वविद्यालय से अपेक्षा है की जनजाति क्षेत्र में उच्च शिक्षा का प्रभावी प्रचार हो। इसलिए हमें शिक्षा में जनजातीय वर्ग के बच्चों की संख्या बढ़ानी है ताकि शिक्षा के माध्यम से वे नौकरी व व्यवसाय कर सके और उनकी गरीबी दूर हो। हमें प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों की शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए।  

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे मंगलवार  को गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय,बांसवाड़ा के षष्ठ दीक्षान्त समारोह को माहीडेम रोड बड़वी स्थित माही भवन विश्वविद्यालय परिसर में संबोधित कर रहे थे।  उन्होंने कहा कि यहां से डिग्री प्राप्त कर रहे युवाओं का कर्तव्य है कि वे अपने गांव के स्कूलों में हो रही पढ़ाई पर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि अपनी विद्या को अपने तक ही सीमित नहीं रखे, इसे दूसरों को भी देने का प्रयास करें। विद्या तमाम बंधनों से मुक्त करती है। ज्ञान मिलने पर अहंकार से मुक्ति मिलती है। विश्वविद्यालय को रटने की बजाय बौद्धिक क्षमता को विकसित करने पर जोर देना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य बौद्धिक क्षमता विकसित कर समस्या के समाधान का मार्ग निकालना है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना है।

उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2014 में विश्व में 11 वे नंबर की थी, जो अब विश्व में चौथे नंबर की है। देश में 25 करोड लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया है। उन्होंने कहा कि मैंने आज मां त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन कर यह कामना की है  कि यहां के बच्चों की बौद्धिक क्षमता में बढ़ोतरी हो, शिक्षक मुक्त हाथ से विद्या प्रदान करें और सभी लोगों को अच्छा स्वास्थ्य मिले। इस अवसर पर उन्होंने बांसिया भील, राणा पूंजा, राजा डूंगरिया, कालीबाई आदि को भी याद किया।

समारोह में 22 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि तथा 34 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इस अवसर पर राज्यपाल ने कौटिल्य शोध भवन व स्वामी विवेकानंद छात्र कल्याण भवन का लोकार्पण एवं संकाय भवन का शिलान्यास किया।

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    समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. केशव सिंह ठाकुर ने की। उन्होंने स्वागत उद्बोधन देते हुए विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

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