राजस्थान विधानसभा चुनाव के तहत हुई बंपर वोटिंग, किस राजनीति दल को होगा फायदा ?

Edited By Afjal Khan, Updated: 26 Nov, 2023 07:31 PM

bumper voting took place in rajasthan assembly elections

निर्वाचन विभाग के अनुसार मतदान करवाने के लिए पौने 3 लाख से अधिक कर्मचारी लगाए गए। वहीं करीब एक लाख 70 हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था। इन 199 सीटों पर 1 हजार 862 उम्मीदवार मैदान में हैं।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की वोटिंग हो गई है। निर्वाचन विभाग के अनुसार कुल 199 सीटों पर 74 दशमलव 96 प्रतिशत से ज्यादा मतदान दर्ज हुआ है। राज्य में सबसे ज्यादा जैसलमेर में 82.32 प्रतिशत मतदान हुआ, वहीं सबसे कम पाली में 65.12 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ।

इसी तरह कम मतदान परसेंटेज वाले जिलों में सिरोही 66.62 प्रतिशत, करौली 68.38 प्रतिशत और जालौर 69.56 प्रतिशत मतदान हुआ। इनमें जैसलमेर के पोकरण में सबसे अधिक 87.79 और अलवर के तिजारा में 85.15 प्रतिशत रिकॉर्ड मतदान दर्ज हुआ है। जबकि पाली जिले की मारवाड़ जंक्शन सीट पर सबसे कम मतदान 60.10 प्रतिशत दर्ज किया गया। निर्वाचन विभाग के अनुसार मतदान करवाने के लिए पौने 3 लाख से अधिक कर्मचारी लगाए गए। वहीं करीब एक लाख 70 हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था। इन 199 सीटों पर 1 हजार 862 उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 25 लाख 38 हजार 105 है। इनमें 18-30 आयु वर्ग के 1 करोड़ 70 लाख 99 हजार 334 युवा मतदाता शामिल हैं। जिनमें 18-19 आयु वर्ग के 22 लाख 61 हजार 8 नए मतदाता शामिल हैं। राज्य में कुल 36 हजार 101 स्थानों पर कुल 51 हजार 507 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इनमें कुल 10 हजार 501 मतदान केन्द्र शहरी क्षेत्र में और 41 हजार 6 ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए हैं। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। चुनाव आयोग ने इस बार प्रत्येक सीट पर कम से कम 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा था। 

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राजस्थान में विधानसभा चुनावों में जैसी उम्मीद की जा रही थी वैसा ही हुआ। राज्य के मतदाताओं ने लोकतंत्र में भागीदारी का एक नया रिकॉर्ड बना दिया। मतदान केंद्रों पर शाम 6 बजे तक पहुंचने वाले मतदाताओं को कुछ स्थानों पर रात 10 बजे तक वोट डलवाये गये। आपको बता दें कि साल 2018 में विधानसभा चुनाव में 74 दशमलव 06 फीसदी मतदान हुआ था। और इस बार 0 दशमलव 90 प्रतिशत मतदान बढा है। अब राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात के कयास लगाने में व्यस्त हैं कि बंपर मतदान के प्रभाव से प्रदेश में राज बदलेगा या हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का रिवाज बदलेगा। ऐसे में राज्य के वोटिंग ट्रेंड को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के तहत मतदान संपन्न हुआ। इस दौरान वोटर्स ने बंपर वोटिंग की। जिसके चलते राजनीतिक दलों की टेंशन बढ़ गई। इसे संयोग कहे या दुर्भाग्य की साल 2013, 2018 और अब फिर 2023 में लगातार 3 बार से प्रदेश की 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा हैं। हालांकि बाद में 1 सीट के लिए उपचुनाव करवाकर 200 का आंकड़ा बराबर कर लिया जाता हैं। साल 2013 में हुए मतदान की बात करें तो 13 दिसंबर 2013 को राजस्थान में विधानसभा चुनाव कराया गया था। हालांकि, चूरू विधानसभा क्षेत्र में बसपा उम्मीदवार जगदीश मेघवाल की हार्ट अटैक से मौत के बाद स्थगित कर दिया गया था। 2013 विधानसभा चुनाव में बम्पर सीटों के साथ सत्ता में लौटी भाजपा चुरू सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से पार्टी की सीटें 163 हो गई थीं, जबकि कांग्रेस को महज 21 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। भाजपा की ओर से उतरे उम्मीदवार आरएस राठौड़ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मौजूदा विधायक हाजी मकबूल मंडेलिया को 24 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। वहीं 7 अन्य उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। आपको बता दें कि राठौड़ को 84 हजार 100 वोट मिले थे, जबकि मकबूल को 60 हजार 98 वोट मिले थे। तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के करीबी राठौड़ तारानगर विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक थे, लेकिन उन्होंने अपनी सीट बदल ली और पार्टी ने उन्हें मंडेलिया के खिलाफ मैदान में उतारा था।

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वहीं साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के तहत मतदान की बात करें तो 7 दिसंबर 2018 को मतदान कराया गया था। यह चुनाव भी 200 की बजाय 199 सीटों पर संपन्न हो सका था। दरअसल, चुनाव से पहले 29 नवंबर को अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इस वजह से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 52 की उप-धारा (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रामगढ़ सीट के रिटर्निंग अधिकारी ने मतदान को बाद में अधिसूचित होने वाली तारीख तक स्थगित कर दिया। वहीं, धारा 52 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने 28 जनवरी 2019 को यहां उप-चुनाव कराया था। उप-चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही 200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास 100 सीटों के साथ पर्याप्त बहुमत हो गई थी। 31 जनवरी 2019 को हुई वोटों की गिनती में कांग्रेस प्रत्याशी शफिया जुबैर को कुल 83 हजार 311 मत मिले। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सुखवंत सिंह को 12 हजार 228 मतों से पराजित किया। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के सुखवंत सिंह को 71 हजार 83 मत मिले। वहीं बसपा उम्मीदवार और पूर्व केन्द्रीय मंत्री नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह 24 हजार 856 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 

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इसके साथ ही इस साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के तहत मतदान की बात करें तो 25 नवंबर 2023 को मतदान संपन्न हुआ। यह चुनाव भी 200 की बजाय 199 सीटों पर संपन्न हुआ। इस दौरान अच्छी संख्या में वोटिंग हुई। 14 नवंबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में गुरमीत का निधन हुआ। 75 साल के गुरमीत सिंह कुन्नर को दिल्ली एम्स में 12 नवंबर को भर्ती कराया गया था। जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस नेता काफी समय से बीमार चल रहे थे। बता दें कि गुरमीत श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक और प्रत्याशी थे। वहीं चुनाव से पहले प्रत्याशी के निधन के कारण इस सीट का चुनाव स्थगित हो गया। अब चुनाव आयोग इस सीट पर उप-चुनाव कराएगा, जिसके लिए अभी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है।

राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज चला रहा है। इसके साथ ही पिछले 20 साल का वोटिंग ट्रेंड यह भी कहता है कि जब भी मतदान प्रतिशत घटा है तो इसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिला है। जबकि मतदान प्रतिशत बढ़ने का फायदा बीजेपी को मिला है। इस बार चुनाव में 5.25 वोटर्स थे और 1862 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। अब तीन दिसंबर को नतीजे आएंगे।तब पता चल सकेगा कि राजस्थान में रिवाज कायम रहता है या गहलोत सरकार परंपरा को तोड़ पाती है?

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