Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 15 Mar, 2025 06:11 PM

सिरोही । भारत वर्ष में होलिका का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हमारे देश को विविधता वाला देश कहते है, क्योंकि देश में अलग अलग क्षेत्रो में त्यौहारों पर विभिन्न परम्परों का निर्वहन किया जाता रहा है। होली पर राजस्थान के सिरोही जिले के भाखर...
सिरोही । भारत वर्ष में होलिका का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हमारे देश को विविधता वाला देश कहते है, क्योंकि देश में अलग अलग क्षेत्रो में त्यौहारों पर विभिन्न परम्परों का निर्वहन किया जाता रहा है। होली पर राजस्थान के सिरोही जिले के भाखर क्षेत्र में आदिवासियों द्वारा कई गांवों में अनोखी परम्परा निभाई गई। जिसमे सैकड़ों लोग जलते अंगारों पर चले।
सिरोही जिले में अनोखी परम्परा का हर वर्ष होता है निर्वहन
राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड स्थित भाखर क्षेत्र में होली मनाई गई। आदिवासी अंचल में मध्य रात्रि में होलिका दहन के बाद युवाओं के अंगारों पर चलने की परंपरा है, जिसका निर्वहन किया गया। इस दौरान एक के बाद एक कई युवक अंगारों पर नंगे पांव चलते हैं। हैरत कि बात यह कि उनके पैर तक नहीं जलते, इस दौरान आसपास गांवों और ढाणियों सें कई कई लोग इस परम्परा के दृश्य को देखने भी आते है।
परंपरा को लेकर ये है मान्यता
सिरोही जिले में आबूरोड़ के भाखर क्षेत्र के भाजपा नेता देवाराम गरासिया ने बताया कि आदिवासियों की मान्यता है कि इस परंपरा को निर्वहन करने से सुख, शांति और समृद्धि होती है। कई लोग ऐसा दावा करते हैं कि जब भक्त प्रहलाद को लेकर होलिका आग में बैठी तो तमाम बुराइयां जल गईं, लेकिन भगवान नहीं जले। इसी तरह हम भी इस परंपरा का निर्वहन कर सकते हैं, और हमारे अंदर की बुराइयों को आग में जलाकर शुद्ध रूप से स्वस्थ बाहर निकल सकते हैं।
यहां निभाई जाती है परंपरा
क्षेत्र वासी रामलाल रनोरा बताते है कि यह आस्था का प्रतिक है। आदिवासी क्षेत्र में मन्नत पूरी होने के बाद इस तरह से आग से निकलते हैं, यह परंपरा आदिवासी अंचल के जाम्बूड़ी, उपलागढ़, पाबा, उपला खेजड़ा सहित अन्य गांवों में कई वर्षों सें निभाई जाती है। आदिवासी क्षेत्र में होली को लेकर बहुत उत्साह रहता है।
नंगे पैर अंगारो पर चलते है लोग
एक अद्भुत परंपरा का पालन किया गया। अंगारों पर नंगे पैर चलने के लिए जुटे, पहले होली माता की पूजा अर्चना की गई, फिर ढोल धमाकों के बीच लोग होली के अंगारों पर नंगे पैर चलते रहे। हैरानी की बात यह रही कि इस दौरान किसी के पैर तक नहीं जले। भाखर क्षेत्र में यह परंपरा बरसों पुरानी है। लोग मानते हैं कि होलिका दहन के बाद धधकते अंगारों पर चलने से गांव में कोई आपदा नहीं आती और सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस परंपरा को देखने के लिए आसपास के कई गांवों से लोग भी पहुंचते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस अनूठी परंपरा को निभाने से गांव में सुख-शांति बनी रहती है।