Edited By Kailash Singh, Updated: 28 Sep, 2025 11:45 AM

राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की सुरक्षा व्यवस्था पर दो बड़ी घटनाओं ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। माउंट आबू की नक्की झील और आबूरोड स्थित शांतिवन में हुई घटनाओं ने साफ कर दिया कि सुरक्षा नियमों की अनदेखी केवल आमजन के लिए नहीं, बल्कि वीवीआईपी...
सिरोही/माउंट आबू।
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की सुरक्षा व्यवस्था पर दो बड़ी घटनाओं ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। माउंट आबू की नक्की झील और आबूरोड स्थित शांतिवन में हुई घटनाओं ने साफ कर दिया कि सुरक्षा नियमों की अनदेखी केवल आमजन के लिए नहीं, बल्कि वीवीआईपी कार्यक्रमों में भी हो रही है।
नक्की झील में नियमों की अनदेखी
माउंट आबू की प्रसिद्ध नक्की झील में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े और सिरोही कलेक्टर सहित अन्य अधिकारी बिना लाइफ जैकेट पहने नौकायन करते नजर आए। जबकि यहां आमजन के लिए लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य है और बिना जैकेट नौकायन पर रोक है। यह आवश्यक भी क्योंकि कभी कोई अचानक हादसा हो जाये तो यह लाइफ जैकट उन तमाम घटनाओ से सुरक्षा भी प्रदान करता है।
यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने सवाल उठाए—क्या नियम केवल आम जनता के लिए हैं, वीवीआईपी उन पर लागू नहीं होते?
आबूरोड में सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त
दूसरी घटना आबूरोड के शांतिवन स्थित डायमंड हॉल की है। राज्यपाल यहां एक कार्यक्रम से बाहर निकल रहे थे, तभी महाराष्ट्र से आए लोगों की भीड़ फोटो खिंचवाने की होड़ में एक्जिट गेट पर जमा हो गई।
सुरक्षाकर्मियों को राज्यपाल को भीड़ से निकालने में पसीने छूट गए। इस दौरान धक्का-मुक्की में सिरोही एसपी डॉ. प्यारेलाल शिवरान की वर्दी की नेम प्लेट तक टूट गई। सवाल यह है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल के बावजूद इतनी बड़ी भीड़ को एक्जिट गेट पर क्यों आने दिया गया?
वीवीआईपी सुरक्षा में दो बातें सबसे अहम होती हैं—नियमों का सख्त पालन और भीड़ नियंत्रण। इन दोनों मोर्चों पर प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है।
बड़ा सवाल प्रशासन से
आमजन से हर छोटी-बड़ी गाइडलाइन का पालन कराया जाता है। तो क्या वीवीआईपी सुरक्षा में नियमों की अनदेखी की जा सकती है? या फिर यह महज प्रशासनिक लापरवाही है? जनता अब इंतजार कर रही है कि पुलिस और प्रशासन इन चूकों पर क्या ठोस कदम उठाएंगे। और किसकी जिम्मेदारी तय होती है।