सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा क्षेत्र में ओटाराम देवासी के वायरल वीडियो पर बवाल

Edited By Anil Jangid, Updated: 29 Dec, 2025 01:11 PM

controversy erupts over viral video of minister otaram devasi in sirohi district

सिरोही। राज्य मंत्री ओटाराम देवासी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। इस वीडियो में मंत्री देवासी कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित खनन परियोजना पर बयान देते...

सिरोही। राज्य मंत्री ओटाराम देवासी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। इस वीडियो में मंत्री देवासी कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित खनन परियोजना पर बयान देते हुए कहते हैं, "लोगों को भ्रमित किया जा रहा है, किसी की जमीन नहीं जा रही है।"

 

मंत्री के इस बयान के बाद पिण्डवाड़ा क्षेत्र की चार ग्राम पंचायतों और 12 गांवों के लोग आक्रोशित हो गए हैं। खनन संघर्ष समिति ने मंत्री के बयान को “आधी सच्चाई” बताते हुए गंभीर सवाल खड़े किए हैं। समिति का कहना है कि अगर वास्तव में किसी की जमीन नहीं जा रही है, तो खनन परियोजना से जुड़ी प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?

 

समिति ने सवाल उठाया कि जब भूमि अधिग्रहण का मामला नहीं था, तो पर्यावरणीय जनसुनवाई क्यों आयोजित की गई और स्थानीय लोगों की आपत्तियों को नजरअंदाज क्यों किया गया? क्या दबाव में यह परियोजना आगे बढ़ाई जा रही है? मुख्यमंत्री से की गई मुलाकात पर भी समिति ने सवाल उठाए, दावा किया कि अगर मामला इतना सरल था, तो मुख्यमंत्री से मिलने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

 

इसके अलावा, संघर्ष समिति ने प्रशासनिक स्तर पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। जैसे कि कमलेश मेटाकास्ट की TOR को लेकर सवाल उठाए गए हैं और पिण्डवाड़ा SDM द्वारा भेजे गए पत्र पर भी संदेह जताया गया है, जिसमें यह कहा गया था कि प्रस्तावित क्षेत्र में "एक भी कीमती पेड़ नहीं, केवल कांटेदार झाड़ियां" हैं।

 

संघर्ष समिति का दावा है कि कागजों में 598 घरों के विस्थापन का उल्लेख है, जो मंत्री के "जमीन नहीं जा रही" बयान पर सीधा सवाल खड़ा करता है। इसके साथ ही ग्रामीणों से फर्जी सहमति पत्र लेने का आरोप भी लगाया गया है। समिति का कहना है कि रोहिड़ा और स्वरूपगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

 

स्थानीय लोग भी मंत्री की जनता से दूरी पर सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि मंत्री ने पिछले तीन महीनों में पीड़ित जनता से मिलने की कोशिश नहीं की। संघर्ष समिति ने मंत्री को चुनौती दी है कि वह चार ग्राम पंचायतों और 12 गांवों के लोगों के सामने आएं और हर सवाल का जवाब दस्तावेजों के साथ दें।

 

इस पूरे विवाद में 1700 करोड़ रुपये के MOU और सीमेंट प्लांट की जमीन के मुद्दे ने भी तूल पकड़ा है। संघर्ष समिति का आरोप है कि खनन परियोजना के पीछे किसका दबाव है, और भाजपा सरकार के लिए यह मुद्दा आगामी पंचायती राज चुनाव से पहले क्यों इतना अहम हो गया है।

 

समिति ने 28 जनवरी को प्रस्तावित आंदोलन को लेकर सरकार और भाजपा में घबराहट का दावा किया है और कहा है कि इस बार पंचायत चुनाव में जनता "करारा जवाब" देगी।

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