संविदा पर लगे कर्मचारी को वेतन मांगना क्यों पड़ा महंगा ?, ये जानकर रह जाएंगे हैरान !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 13 Sep, 2024 04:53 PM

why did it become costly for a contract employee to ask for salary

जिला अस्पताल में एक संविदाकर्मी को अपनी ही मेहनत के पैसे मांगना भारी पड़ गया । दरअसल जिला अस्पताल में संविदा पर लगे कर्मचारी के वेतन मांगने पर उसे नौकरी से निकाल दिया । जिसको लेकर दूसरे संविदा पर लगे कर्मचारी भी हड़ताल पर उतर गए ।

सिरोही, 13 सितंबर 2024 । एक तरफ तो संविदाकर्मी अपनी नौकरी के स्थायीकरण को लेकर लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ संविदा पर लगे कर्मचारियों पर अत्याचार के मामले सामने आ रहे हैं । इस कड़ी में हम बात कर रहे हैं सिरोही जिले की, जहां जिला अस्पताल में एक संविदाकर्मी को अपनी ही मेहनत के पैसे मांगना भारी पड़ गया । दरअसल जिला अस्पताल में संविदा पर लगे कर्मचारी के वेतन मांगने पर उसे नौकरी से निकाल दिया । जिसको लेकर दूसरे संविदा पर लगे कर्मचारी भी हड़ताल पर उतर गए । 

वेतन की मांग पर ठेकेदार ने नौकरी से हटाया तो दोनों में हुई बहस 
मामला इतना बढ़ गया कि संविदाकर्मियों की हड़ताल पर उतरते ही अस्पताल में पर्चियां कटनी और दवाइयों का वितरण लगभग बंद सा हो गया । बता दें कि जिला अस्पताल में कार्यरत संविदा पर लगे एक कर्मचारी ने ठेकेदार से उसके वेतन के बकाया पैसे की मांग की । इस पर दोनों के बीच गहमागहमी हो गई, जिसके बाद ठेकेदार ने उसे नौकरी से हटाने का पत्र प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को सौंप दिया। ऐसे में उसकी सेवा समाप्त होता देख दूसरे कर्मचारी भी भड़क गए । लिहाजा उन्होंने शुक्रवार को सुबह से ही कार्य का बहिष्कार करते हुए प्रमुख चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया । 

संविदा पर लगे कर्मचारी ठेकेदार के लिए काम कर रहे हैं- सीएमओ 
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र महात्मा ने उन्हें बताया कि कर्मचारी ठेकेदार के अंदर कार्य कर रहे हैं, इसलिए वे ठेकेदार के कर्मचारी हैं हमारे कर्मचारी नहीं है।  ठेकेदार को दो दिन पहले ही संविदा पर लगे सभी कर्मचारियों की सैलरी का चेक काट कर दे दिया गया है। उन्होंने वहां मौजूद कर्मचारियों से कहा कि पर्ची लेने के लिए मरीजों के साथ अन्य लोगों की लंबी लाइन लगी है, आप तुरंत जाइए और पर्ची देना शुरू करें । 

ऐसे में संविदा कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने सांसद लुंबाराम चौधरी से भी मुलाकात कर उनकी समस्या सुनाई, ऐसे में सांसद ने उन्हें पांच दिन का आश्वासन दिया, लेकिन आज आठवें दिन भी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई । उनका जुलाई-अगस्त महीने का वेतन आज तक नहीं मिला । उनका कहना है कि जब भी कोई वेतनमान की मांग करता है उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है ।  तीन-तीन महीने तक उन्हें सैलरी नहीं मिल पाती, इन हालात और परिस्थितियों में भी अपने घरों से कई किलोमीटर दूर आकर बैठे हैं । ऐसे में आजीविका का संचालन करना तक दुबर हो जाता है। मोबाइल तक वह कई बार रीचार्ज नहीं कर पाते ऐसे में दूसरे साथियों से उधार पैसे लेने पड़ते हैं। उनके समक्ष जीवन निर्वाह के लिए गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

लिहाजा, अपने घरों से दूर नौकरी कर रहे संविदाकर्मियों के लिए अब बड़ा सवाल ये है कि क्या ठेकेदार सैलरी के लिए जिम्मेदार हैं या फिर विभागीय अधिकारी ?  ऐसे में इन संविदाकर्मियों का धणीधोरी कौन ? ये बड़ा सवाल, अब बड़ी बात ये है कि क्या अब सरकार संविदा पर लगे इन कर्मचारियों को लेकर कोई बड़ा कदम उठाएगी या ऐसे ही ठेकेदार के हवाले छोड़ देगी । ये तो सरकार के निर्णय पर ही निर्भर करता हैं ।   

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