भरतलाल मीणा की मौत पर ग्रामीणों का गुस्सा उतरा बाघ पर, बाघ की पीट-पीट कर हत्या !, वन विभाग के अधिकारी क्यों है मौन ?

Edited By Chandra Prakash, Updated: 04 Nov, 2024 06:43 PM

why are forest department officials silent

राजस्थान प्रदेश का सबसे बड़ा सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघ एवं मानव संघर्ष में एक मानव एवं बाघ की मौत का सनसनी खेज मामला सामने आया है । रणथंभौर से सटे उलियाणा गांव के खेतों में बकरी चरा रहे एक ग्रामीण पर शनिवार को एक बाघ ने हमला कर...

 

वाई माधोपुर, 04 नवम्बर 2024 । राजस्थान प्रदेश का सबसे बड़ा सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघ एवं मानव संघर्ष में एक मानव एवं बाघ की मौत का सनसनी खेज मामला सामने आया है । रणथंभौर से सटे उलियाणा गांव के खेतों में बकरी चरा रहे एक ग्रामीण पर शनिवार को एक बाघ ने हमला कर दिया, जिससे ग्रामीण की मौके पर ही मौत हो गई । ग्रामीण की मौत से गुस्साएं ग्रामीणों ने हमलावर बाघ पर धावा बोल दिया और बाघ की पीट-पीट हत्या कर दी । ग्रामीणों ने पत्थर और धारदार हथियारों से मार-मार कर बाघ को मौत के घाट उतार दिया और शव को एक खेत में डाल दिया । ग्रामीण की मौत के बाद ग्रामीण मृतक का शव लेकर सड़क पर बैठ गए और अपनी मांगों को लेकर वन विभाग के खिलाफ आंदोलन कर दिया । जहां मौके पर पहुंचे कृषि मंत्री की समझाइश पर ग्रामीणों की मांगे मानने के बाद आंदोलन समाप्त किया गया । वहीं आंदोलन समाप्त होने के बाद वन विभाग को बाघ की मौत का पता चला और मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बामुश्किल बाघ के शव को कब्जे में लिया, जिसका आज पोस्टमार्टम किया गया । बाघ एंव मानव संघर्ष में मानव व बाघ की मौत का रणथंभौर का यह पहला मामला है । घटना को लेकर वन अधिकारी सक्ते में है ,पेश है एक खास रिपोर्ट

दरसल शनिवार को रणथंभौर से सटे उलियाणा गांव निवासी भरत लाल मीणा अपने खेत पर बकरियां चरा रहा था, उसी दौरान अचानक एक बाघ ने भरतलाल पर हमला कर दिया । बाघ के हमले में भरत लाल मीणा की मौके पर ही मौत हो गई । इस दौरान बाघ काफी देर तक मृतक के शव के पास ही बैठा रहा । ग्रामीण भरतलाल मीणा की बाघ के हमले में मौत की सूचना पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर एकत्रित हो गए । इस दौरान गुस्साएं ग्रामीणों ने बाघ पर धावा बोल दिया और पत्थरों एंव धारदार हथियारों से पीट-पीट कर बाघ को मौत के घाट उतार दिया । ग्रामीण की मौत के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते हुए सड़क पर शव रखकर जाम लगा दिया और अपनी मांगों को लेकर वन विभाग के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिया । वहीं वन विभाग को उसी दिन ग्रामीणों द्वारा बाघ को मौत के घाट उतारने की खबर तो मिल गई, लेकिन वन अधिकारी बाघ की मौत की खबर को लेकर अनजान बने रहे और बाघ के शव को बरामद नहीं किया । बाघ की मौत से अनजान बन रहे वनाधिकारी ग्रामीणों के आंदोलन में ही उलझे रहे । लेकिन जब बाघ की मौत के वीडियो फोटो सोशल मीडिया और मीडिया पर चले तो रणथंभौर के वनाधिकारियों की नींद उड़ गई । आनन फानन में एक सर्च टीम बनाई गई और बाघ के शव की तलाश की गई । करीब 23-24 घंटे बाद वन विभाग की टीम को बाघ के शव का पता चला, बाघ का शव ग्रामीण भरत लाल की जिस जगह बाघ के हमले में मौत हुई थी, उससे महज 500 मीटर की दूरी पर एक खेत में मिला । वन विभाग की टीम ने बाघ के शव को कब्जे में लिया और राजबाग नाका चौकी पहुंचाया गया । जहां आज जयपुर से आई पशु चिकित्सकों एंव स्थानीय पशु चिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड गठित किया गया, जिसके द्वारा बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया।

पोस्टमार्टम के दौरान पता चला कि बाघ के शरीर पर कई जगह पत्थर एंव धारदार हथियारों के गहरे घाव है । मेडिकल बोर्ड में शामिल वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ के हमले में हुई ग्रामीण की मौत के बाद गुस्साए ग्रामीणों द्वारा बाघ को पीट-पीट कर मौत के घाट उतारा गया है, क्योंकि जिस तरह से बाघ के शरीर पर चोट और घाव मिले है, उससे तो यही लग रहा है कि ग्रामीणों द्वारा ही बाघ मौत के घाट उतारा गया है । वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि मृतक बाघ संभवतया वहीं बाघ टी 86 है, जिसने ग्रामीण भरतलाल को मौत के घाट उतारा था, लेकिन इस मामले में वन विभाग का कुछ अलग ही तर्क है, इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी वन अधिकारी इस बात को स्पष्ट नहीं कर पा रहे कि मृतक बाघ वही बाघ है जिसने ग्रामीण को मौत के घाट उतारा है । वन अधिकारी तो अभी तक यह कह रहे है कि बाघ की मौत तो मानव संघर्ष के चलते ही हुई है और जांच के बाद ही सही तरह से मामले का खुलासा हो पाएगा । वहीं वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि वनाधिकारियों की लापरवाही के चलते ही ग्रामीण भरत लाल की बाघ के हमले में मौत हुई है और अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही ग्रामीणों द्वारा बाघ को मौत के घाट उतारा गया है । शनिवार को दीपावली का त्यौहार था और अधिकतर वन अधिकारी छुट्टी पर थे, ऐसे में बाघों की मॉनिटरिंग भगवान भरोसे थी । ग्रामीण की मौत की घटना के बाद अगर वनाधिकारियों ने कोशिश की होती तो संभवतया बाघ की मौत नहीं होती।

और ये भी पढ़े

    वहीं ग्रामीण भरत लाल की मौत के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ आंदोलन कर दिया और अपनी मांगों को लेकर मृतक के शव को लेकर कुंडेरा सवाई माधोपुर मार्ग पर सड़क पर शव रखकर जाम लगा दिया और धरने पर बैठ गए । इस दौरान ग्रामीणों का करीब 21 से 22 घंटे प्रदर्शन चलता रहा । इस दौरान जिला प्रशासन, पुलिस एवं वन विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों से समझाइश की गई और कई राउंड की वार्ता हुई, लेकिन ग्रामीण राजी नहीं हुए । ग्रामीणों ने अधिकारियों से 50 लाख रुपए का मुआवजा, मृतक के परिजन को सरकारी नौकरी और पांच बीघा भूमि आवंटन की मांग की । जिस पर सहमति नहीं बन पाई और ग्रामीणों का धरना 21-22 घंटे तक चलता रहा । मजबूरन सवाई माधोपुर विधायक एवं कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को धरना स्थल पर पहुंचना पड़ा, जहां कृषि मंत्री ने ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों से आपस में चर्चा की और ग्रामीणों से समझाइश की । कृषि मंत्री की समझाइश के बाद ग्रामीण समझौते को तैयार हुए । इस दौरान मृतक के परिजनों को 15 लाख रुपए का मुवावजा, जिसमें से 5 लाख वन विभाग द्वारा, 5 लाख प्रशासन और 5 लाख विधायक कोटे से देना तथा मृतक के बेटे को वन विभाग में नेचर गाइड की नौकरी देने व मृतक के परिवार को पांच बीघा भूमि दिलाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भिजवाने पर सहमति बनी । डॉ. किरोड़ी मीणा के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीणों के मृतक के शव का मौके पर ही पोस्टमार्टम करवाया और फिर आंदोलन समाप्त किया ।

    बाघ के हमले में ग्रामीण की मौत और गुस्साए ग्रामीणों द्वारा हमलावर बाघ को मौत के घाट उतार देने वाली इस बाघ मानव संघर्ष की घटना ने रणथंभौर के वन्यजीव प्रेमियों सहित वनाधिकारियों को हिलाकर रख दिया । घटना को लेकर वनाधिकारियों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे है । वनाधिकारियों की लापरवाही के चलते ही यह घटना घटित हुई है । अगर समय रहते वनाधिकारी बाघ की मॉनिटरिंग करते और ग्रामीण की मौत के बाद मौके पर पहुंच जाते तो संभवतया बाघ की मौत नहीं होती । बड़ी बात ये है कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी वन अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि ये वहीं बाघ है जिसने ग्रामीण को मौत के घाट उतारा था । ताज्जुब की बात तो ये है कि जानकारी के मुताबिक वन अधिकारियों को बाघ की मौत की खबर उसी वक्त मिल गई थी जब ग्रामीणों ने बाघ को मौत के घाट उतारा था, लेकिन ग्रामीणों के डर और दबाव के कारण वन अधिकारी बाघ की मौत की खबर से अनजान बने रहे । वन अधिकारी तो उस वक्त हरकत में आए जब मृतक बाघ के फोटो वीडियो सोशल मीडिया और मीडिया में चले । उसके बाद आनन फानन में टीम गठित की गई और बाघ के शव की बरामद किया गया, जिसका आज पोस्टमार्टम किया गया । रणथंभौर के सीसीएफ अनूप के आर का कहना है कि बाघ की मौत मानव संघर्ष के चलते ही हुई है और जांच के बाद दोषियों के खिलाफ वन्यजीव अधिनियम के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी ।

    रणथंभौर में हुई इस घटना से हर कोई स्तब्ध है । ग्रामीण की मौत का दुःख सभी को है, लेकिन ग्रामीणों द्वारा बाघ को मौत के घाट उतार देने वाली घटना से भी हर कोई हैरान परेशान है । अब देखने वाली बात यह होगी कि वन विभाग के अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम पर किस तरह का निर्णय लेते है और किस तरह की कार्रवाई की जाती है ।

    Related Story

      Trending Topics

      Afghanistan

      134/10

      20.0

      India

      181/8

      20.0

      India win by 47 runs

      RR 6.70
      img title
      img title

      Be on the top of everything happening around the world.

      Try Premium Service.

      Subscribe Now!