बांरा भाजपा संगठन में जिले की बागड़ोर किसके हाथ, कई नाम चर्चा में

Edited By Kailash Singh, Updated: 24 Jan, 2025 06:07 PM

who holds the reins of the district in baran bjp many names are in discussion

जिले भर के भाजपा मंडल अध्यक्ष पदों पर एक लम्बे इंतजार के बाद चुनावाधिकारी ने जिले के 16 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी कर दी है। सूची आने के बाद जिले के मंडलों में कहीं खुशी कहीं ग़म का माहौल है, लेकिन कार्यकर्ता अपने असंतोष के स्वर भी दबी जुबान से ही...

बारां, 24 जनवरी (दिलीप शाह)। जिले भर के भाजपा मंडल अध्यक्ष पदों पर एक लम्बे इंतजार के बाद चुनावाधिकारी ने जिले के 16 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी कर दी है। सूची आने के बाद जिले के मंडलों में कहीं खुशी कहीं ग़म का माहौल है, लेकिन कार्यकर्ता अपने असंतोष के स्वर भी दबी जुबान से ही मुखरित कर रहें हैं। उधर, जिला अध्यक्ष का काउंटडाउन जारी है। कोन बनेगा भाजपा का जिलाध्यक्ष इसका केवल पार्टी कार्यकर्ताओ को बेसब्री से इंतजार है।
जिलाध्यक्ष को लेकर कई नाम चर्चा में -
वैसे, भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर कई नाम चर्चा में है। कई नेता जिले की कमान संभालने को आतुर होकर सपने देखने लगे हैं। कहा जा रहा है कि बारां जिले में माली समाज के मतदाताओ की बहुल्यता से जुड़े वरिष्ठनेता, पूर्व जिला प्रमुख नंदलाल सुमन का कार्यकाल विस्तार नहीं किया जाता तो संगठन की कमान किसे सौंपनी है यह अंतिम निर्णय मैडम, राजा के दरबार से ही संभव है। 
बताते हैं कि पूर्व जिलाध्यक्ष आनंद गर्ग के कार्यकाल के बाद दरबार ने एक बारगी नागर समाज को प्रतिनिधत्व देते हुए पूर्व मंत्री स्व. चतुर्भुज धाकड़ के पुत्र राजेन्द्र नागर को जिलाधयक्ष बनाया। उसके बाद मीणा समाज को प्राथमिकता से लेकर जगदीश मीणा को जिले की डोर थमाई। इससे पूर्व नरेश सिकरवार को लीडर बनाया था। अब जो भी होंगा फैसला सोच समझ कर ही होगा। संगठन जातिगत आधार पर मापदंड तय करता है या फिर संगठन में सक्रियता लाने के लिए युवा के हाथों कमान सोपता है। यह देखने की बात है।
यद्धपि जिले में नेतृत्व की कमान हासिल करने के लिए नियम अनुसार आयु सीमा 45 से 60 वर्ष तय है। ऐसे में वरिष्ठ नेताओ को छोड़कर कई नए नामों की चर्चा है। कुछ अपना नाम चलवाकर वफादारी का तमगा लगा रहें हैं। तो कुछ सत्ता के राज में खाज उत्पन्न किए हुए है। कुछ ऐसे भी हैं, जिनका कोई जनाधार नहीं है, नहीं संगठन चलाने का अनुभव है। लेकिन जिले का कमांडो बनने को लालाइत है।
इधर, पार्टी के निष्ठावान, समर्पित तथा पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओ का दबी जुबान से कहना है कि जिला अध्यक्ष मुख्यालय से हो तथा उसकी पहचान भी हो। हर कार्यकर्ता को जानता पहचानता भी हो। लोगों का उससे टीम के साथ जुड़ाव हों। सब को साथ लेकर चले, कार्यकर्ता को मान सम्मान दे, उनकी छोटी बड़ी समस्या पर मददगार बने। ऐसा ना हो कि जिलाध्यक्ष कोई बन जाए और पीछे से दूसरे संगठन को चलाते रहें।
भाजपा संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि हाल ही में जिलाध्यक्ष के लिए जो नाम चल रहे है उनमें पूर्व जिला प्रमुख सारिका सिंह चौहान, पूर्व वरिष्ठजन नागरिक आयोग के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय प्रेमनारायण गालव के पुत्र पंस सदस्य जयेश गालव, बारां भाजपा शहर मंडल अध्यक्ष रहे राकेश जैन, जिला पदाधिकारी प्रवीण शर्मा, जिला पदाधिकारी निर्मल मथोडिया तथा नागरिक सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष पीयूष विजय (मांगरोल) शामिल हैं। इनके अलावा भी नाम अंदर खाने हो सकते है।
कहा गया है पार्टी ने राजस्थान के दो जिलों में संगठन की दो महिला को जिलाध्यक्ष की कमान सौपना तय किया हुआ है। यदि यह पैरामीटर चला तो सारिका सिंह जिला अध्यक्ष हो सकती है। यदि पार्टी स्वर्गीय प्रेमनारायण गालव की कार्यशैली को भुनाना चाहें तो जयेश गालव सामने आ सकते हैं। जातीय आधार बना तो ब्राह्मण, बनिया अथवा नागर धाकड़ में से प्रवीण शर्मा, राकेश जैन एवं निर्मल मथोडिया, पीयूष विजय में से कोई जिले के संगठन का ताज पहन सकते है।
हालाकि कि यह कटु सत्य है कि हाड़ौती संभाग में कोटा, बूंदी को छोड़कर बारां तथा झालावाड़ जिले में तो वहीं मंजूर खुदा होगा जो मैडम, राजा साहब की मर्जी होगी। 
 राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो बारां जिले में नागर धाकड़, मीणा, माली, राजपूत इनके जिला अध्यक्ष बन चुके हैं। लेकिन बनिया और ब्राह्मण समाज अछूते हैं।
ऐसे में लगता यह है की पार्टी के नेता, दिगज्ज और राजा साहब का दरबार आगामी चुनाव के मध्यनजर ऐसा ही सही फैसला करेंगे

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