डूंगरपुर : आदिवासियों की यह परंपरा है सबसे अलग, मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति दिलाने के लिए करते है ये काम

Edited By Afjal Khan, Updated: 03 May, 2023 02:13 PM

tribals do this work to give peace to the soul of a dead person in dungarpur

गरपुर। देशभर में अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग प्रथाएं हैं और अलग अलग परम्पराएं हैं। ठीक इसी तरह जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं, तो उसके अंतिम संस्कार के लिए भी सभी जगह अलग-अलग तरह के रिवाज हैं। आपने फिल्मों या फिर कभी कभार असल जिंदगी में...

डूंगरपुर। देशभर में अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग प्रथाएं हैं और अलग अलग परम्पराएं हैं। ठीक इसी तरह जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं, तो उसके अंतिम संस्कार के लिए भी सभी जगह अलग-अलग तरह के रिवाज हैं। आपने फिल्मों या फिर कभी कभार असल जिंदगी में सुना होगा- आत्मा को शांति मिलना और मुक्ति मिलना। इसके लिए कई लोग कई तरह के रिवाज भी निभाते हैं। कुछ ऐसा ही आदिवासी अंचल डूंगरपुर में भी होता हैं। यहां कार्तिक पूर्णिमा के दिन मरने वाले की आत्मा को मुक्ति देने का रिवाज निभाया जाता हैं। इसके लिए पूरा मृतक का पूरा परिवार और भोपे भक्त पूरी रात बैठकर हवन यज्ञ करते हैं और सूरज की पहली किरण के साथ ही खेत में चबूतरा बनाकर उसमें पत्थर की स्थापना करते हैं। जिसे आदिवासी लोग अपना पूर्वज मानते हैं। 

राजस्थान का आदिवासी अंचल डूंगरपुर आदिवासियों की अनोखी प्रथाओं के लिए जाना जाता है। उन्ही में से एक है सिरा बावसी। इस प्रथा की क्रिया शुरू होती है एक पत्थर से। दरअसल किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् एक पत्थर लिया जाता है और उस पत्थर पर मरने वाले का नाम उकेरा जाता है। इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन परिवारजन और भोप भक्त एक जगह पर एकत्रित होते है। पूरी रात ढोल नगाड़ों के साथ परिवार जन और भोेपे भक्त उनके विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते है। इसके बाद जैसे ही सुबह की पहली किरण के साथ ही मरने वाले के घर के पास खेत या आस पास एक चबूतरा बनाकर उसकी पूजा की जाता है और दीया जलाया जाता है। इसके बाद उसमें एक पत्थर की स्थापना की जाती हैं। उस चबूतरे को आदिवासी लोग अपना पूर्वज मानते हैं।

वहां के लोगों का मानना है कि यह प्रथा उन्हीं लोगों के लिए की जाती है जिनकी किसी बिमारी, सड़क हादसे और अन्य किसी हादसे में मौत हो गई हो। आदिवासी लोग मानते है कि ऐसा करने से मरने वाले की आत्मा को शांति मिल जाती है। दरअसल आदिवासी लोगों को मानना है कि सड़क हादसे में मौत होने से या बीमारी से मरने वाले लोगों की कुछ इच्छा अधूरी रह जाती है। इसलिए उनकी आत्मा उनके मरने के बाद भटकती रहती है। ऐसे में उनकी आत्मा को शांति दिलाने के लिए या प्रथा निभाई जाती हैं। 
 

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