Edited By Ishika Jain, Updated: 07 Jan, 2025 04:19 PM
अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण विद् और मैग्सेसे अवॉर्ड प्राप्त वाटर मेन डॉ. राजेंद्र सिंह और रॉबिन सिंह की टीम ने बारां जिले के शाहबाद में निजी कंपनी के लगने वाले प्लांट क्षेत्र का निरीक्षण किया। टीम कलोनी गांव पहुंची, जहां टीम ने गांववासियों को जंगल कटने...
बारां। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण विद् और मैग्सेसे अवॉर्ड प्राप्त वाटर मेन डॉ. राजेंद्र सिंह और रॉबिन सिंह की टीम ने बारां जिले के शाहबाद में निजी कंपनी के लगने वाले प्लांट क्षेत्र का निरीक्षण किया। टीम कलोनी गांव पहुंची, जहां टीम ने गांववासियों को जंगल कटने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया। गांववासियों ने अपनी ओर से विश्वास दिलाया कि विकास की शर्त पर विनाश को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डॉ. राजेंद्र सिंह और राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता रॉबिन सिंह ने प्लांट लगने से संबंधित जानकारियां और कटने वाले पेड़ों से होने वाले नुकसान की जानकारियां जुटाई। लगभग एक घंटे रुकने के बाद वाटरमेन डा. राजेन्द्र सिंह और राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण विद रॉबिन सिंह की टीम शाहबाद में लगने वाले हाइड्रो पावर प्लांट की जमीन पर कूनो नदी के किनारे पर पहुंचे। बीच में जगह जगह पर काटे गए पेड़ों को देखा और जोधपुर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के फैसले के बाद भी की गई कटाई और प्लांट लगाने को लेकर की जा रही तैयारियों को अवैधानिक बताया।
दोनों पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञों ने मौका स्थल पर पहुंचकर पेड़ों की गणना करने की नमूना विधि से टीम के साथ पेड़ों की संभावित संख्या का आकलन किया। उन्होंने कहा कि जंगल में कटने वाले पेड़ों की संख्या को सरकार द्वारा छुपाया जा रहा है। मौका मुआयना करने से पता चलता है कि इस पॉवर प्लांट लगाने हेतु 1, 19, 759 पेड़ों के स्थान पर कम से कम 25 लाख से 28 लाख पेड़ों को काटा जाएगा, जो गंभीर ही नहीं विचारणीय है। इससे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणविद् और मैग्सेसे अवॉर्ड प्राप्त डॉ राजेंद्र सिंह ने बारां अध्याय, दिया फाउंडेशन, वृक्ष मित्र फाउंडेशन तथा शाहबाद घाटी संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा आयोजित पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि हमारे संविधान के अनुसार देश के नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं से जीवनयापन के अधिकार मिले हुए, जिससे देश का प्रत्येक नागरिक सुविधानुसार अपने जीवन को जी सकता है। इस सुविधापूर्ण जीवन जीने के विरुद्ध यदि कोई भी काम होता है या सरकारों द्वारा किया जाता है तो वह इस देश के आम आदमी के जीवन जीने के अधिकारों के विरुद्ध है। बारां जिले के शाहबाद जंगल के 1,19, 759 पेड़ों को काटा जाना पर्यावरण को प्रभावित करता है।
शाहबाद जंगल बचाओ आंदोलन को समर्थन देते हुए डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश में तीन सबसे बड़े खतरे है अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण। प्रकृति का शोषण उससे खनन करके, पानी निकाल कर किया जा रहा है, जिसे अब रोकना है। इसके लिए प्राकृतिक संपदा का चिन्हीकरण, उसका नोटिफिकेशन और मार्किंग होना चाहिए। जंगल रहेगा तो क्षेत्र में सुख और समृद्धि आएगी। इस मुहिम में बच्चों को भी जोड़ा जाए ताकि बच्चों के माध्यम से परिवार ओर पूरे समाज को जोड़ना होगा।
डॉ. राजेन्द्र सिंह ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि लोग जिले के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करें, होता है तो ठीक, नहीं तो आत्मग्लानी नहीं होगी कि समय रहते हमने कुछ नहीं किया। उन्होंने स्लोगन दिया शाहाबाद के जंगल बचाओगे, सुख और समृद्धि पाओगे। जंगल बचाएंगे, इसमें हम बिजली संयंत्र नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि एक पौधे को पेड़ बनने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं, जिसमें 150 से 200 वर्ष तक की उम्र के पेड़ों को काटा जाना इस देश की नहीं पूरे विश्व की पर्यावरणीय क्षति है। जिसमें लगभग 600 तरह के औषधीय गुणों वाली प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं।यह घटना पूरी मानवता के लिए विनाशकारी दुर्घटना है जिसके रोके जाने के लिए जितने भी कदम उठाने पड़े उठाए जाएंगे।