राज्य सरकार को अब स्कूलों में शिक्षक नहीं, एमबीबीएस टीचर्स की जरूरत !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 30 Aug, 2024 03:18 PM

the state government now needs mbbs teachers not teachers in schools

राजस्थान में आजकल गुरुजी यानी शिक्षक को MBBS डॉक्टर सहित कई अन्य भूमिकाएं निभानी पड़ रही है, जिसका आमतौर पर एक शिक्षक से कोई सरोकार नहीं होता। दरअसल, सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को शाला स्वास्थ्य परीक्षण के तहत बच्चों की दिल की बीमारी,सिर में जुएं...

स्कूल में बढ़ाने वाले शिक्षक बने एमबीबीएस डॉक्टर !
शिक्षक कर रहे हार्ट सहित अन्य बीमारियों की जांच 
क्या राज्य सरकार को चाहिए एमबीबीएस गुरुजी ? 

 

जैसलमेर, 30 अगस्त 2024 । राजस्थान में आजकल गुरुजी यानी शिक्षक को MBBS डॉक्टर सहित कई अन्य भूमिकाएं निभानी पड़ रही है, जिसका आमतौर पर एक शिक्षक से कोई सरोकार नहीं होता। दरअसल, सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को शाला स्वास्थ्य परीक्षण के तहत बच्चों की दिल की बीमारी,सिर में जुएं तथा हाथों के नाखून सहित 67 तरह की जांचें कर उन्हें मोबाइल में अपलोड करना हैं। जबकि शिक्षक का कार्य बच्चों को पढ़ाना होता हैं। 

हर बच्चे की स्वास्थ्य संबंधी सूचना मोबाइल एप में करनी होगी अपलोड
बता दें कि 31 अगस्त तक शिक्षकों को शाला स्वास्थ्य परीक्षण के तहत स्कूल में पढ़ने वाले हर बच्चे की सूचना मोबाइल एप पर अपलोड करनी होगी। जिसमें स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के स्वास्थ्य से संबंधित 67 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इसमें शिक्षकों को बच्चों की सूचना भरकर उसे सबमिट करना पड़ रहा है। लिहाजा,शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य का डाटा संग्रहित करने के लिए शाला स्वास्थ्य परीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। 

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शाला स्वास्थ्य परीक्षण को पूरा करने की तारीख है 31 अगस्त 
फिलहाल स्कूल के शिक्षक इसी काम को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। जिसमें कक्षाध्यापक को अपने कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी सरकार तक पहुंचानी है। इसमें बच्चे के वजन व लंबाई से लेकर विभिन्न सवाल है। आगामी 31 अगस्त यानि कल तक इस परीक्षण को पूरा करना है। जिससे सभी शिक्षक इसी काम में लगे हुए हैं। स्वास्थ्य परीक्षण में शिक्षकों को कई सवालों के जवाब सबमिट करने हैं। जिसमें बच्चों के सिर में जूं है या लीख, यह भी शामिल है। इसके अलावा बच्चे को हार्ट की बीमारी है या नहीं, छह मीटर दूरी से देखने सहित कई सवालों के जवाब ऑनलाइन अपलोड करने हैं। शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में कक्षा 6 से 12वीं तक की बालिकाओं के स्वास्थ्य परीक्षण महिला शिक्षिका करेगी। जबकि सरकार को शायद यह मालूम नहीं है, कि सीमावर्ती जिले की दर्जनों स्कूलों में एक भी महिला शिक्षक नहीं है, ऐसे में छात्राओं की गोपनीय बीमारियों की जांच कौन करेगा? 

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दिल की बीमारी समेत कई बीमारियों के पूछे जा रहे प्रश्न 
शिक्षकों को मूल काम अध्यापन करवाना है, लेकिन अब शिक्षा विभाग द्वारा उन्हें इस सर्वे में जोड़ दिया गया है। जिसमें शिक्षक को यह भी बताना होगा कि बच्चे को हार्ट से संबंधित कोई शिकायत है या नहीं। जबकि इस प्रकार की गंभीर बीमारी का पता सिर्फ डॉक्टर की जांच से ही हो सकता है। इसके साथ ही बच्चा मंदबुद्धि है, त्वचा पर गांठ, खुजली या छेद है, मुंह या जीभ में छाले हैं। शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश विश्नोई का कहना है कि सर्वे के माध्यम से बेतुके व अजीब प्रश्न पूछे जा रहे हैं। किसी भी शिक्षक को बच्चे की हार्ट से संबंधित बीमारी का पता कैसे चल पाएगा। महिला शिक्षिकाओं की संख्या बेहद कम है। ऐसे में बालिकाओं से उनके मासिक धर्म के संबंध में प्रश्न शिक्षक कैसे पूछेंगे ? इसके साथ ही इस प्रकार के सर्वे कर शिक्षकों को उनका मूल कार्य से भटकाया जा रहा है। जो बच्चों के साथ भी अन्याय है।

इस दौरान जैसलमेर जिला शिक्षा अधिकारी रामनिवास शर्मा ने कहा कि शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है । ऐसे में शाला स्वास्थ्य में सभी बच्चों उनके स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्न पूछे जा रहे हैं । जिसमें बालिकाओं से उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रश्न भी है, ऐसे प्रश्न बालिकाओं से अध्यापक नहीं पूछ सकते हैं, ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता ली जा रही है । इस अभियान के तहत दिल के दौरे के साथ-साथ कई बीमारियों के बारे में विद्यार्थियों से सवाल पूछे जाते हैं । 

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