भटनेर के झरोखे से : युवा नेता टीम की गर्म मिजाजी पुलिस के लिए चुनौती !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 22 Jun, 2025 11:05 AM

the hot temper of the young leader team is a challenge for the police

प्रदेश की राजधानी में एक गर्म मिजाज छात्र नेता को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। रोचक बात यह है कि छात्र नेता की गिरफ्तारी के दौरान विपक्ष वाली पार्टी के यूथ विंग के प्रधान और युवा विधायक को भी पुलिस ने साथ ले लिया। दोनों को जबरन गाड़ी में बैठाने का...

हनुमानगढ़, 22 जून 2025। (बालकृष्ण थरेजा) : प्रदेश की राजधानी में एक गर्म मिजाज छात्र नेता को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। रोचक बात यह है कि छात्र नेता की गिरफ्तारी के दौरान विपक्ष वाली पार्टी के यूथ विंग के प्रधान और युवा विधायक को भी पुलिस ने साथ ले लिया। दोनों को जबरन गाड़ी में बैठाने का वीडियो वायरल हुआ। हालांकि कुछ देर बाद विधायक को छोड़ दिया गया। पुलिस के बड़े अफसर ने बयान दिया कि विधायक को गिरफ्तार नहीं किया गया है। छात्र नेता की गिरफ्तारी के दौरान के दौरान विधायक खुद ही उसके साथ चले गए। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि छात्र नेता को गिरफ्तार करने की पुलिस ने जब प्लानिंग की तो विधायक को पता था और विधायक किसी भी तरह छात्र नेता का बचाव करना चाहते थे। अब पुलिस के बयान के मुताबिक छात्र नेता को पुराने मामले में अपराध प्रमाणित होने पर गिरफ्तार किया गया है तो विधायक थाने से वापस लौट आए। छात्र नेता की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष वाली पार्टी के बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर बयानबाजी की। वहीं प्रदेश में अपनी पार्टी वाले तेज तर्रार सांसद ने विपक्ष वाली पार्टी के नेताओं को सोशल मीडिया से बाहर आकर सड़क पर संघर्ष करने की नसीहत दे डाली। इन तेज तर्रार नेता का कहना है कि विपक्ष वाली पार्टी के नेता सिर्फ सोशल मीडिया पर बयानबाजी करते हैं। छात्र नेता और युवा विधायक दोनों ही विपक्ष वाली पार्टी में युवा नेता के खेमे के हैं। युवा नेता ने भी मीडिया में आकर बयान दिया। पिछले कई दिनों से राजधानी में एक रेजिडेंट डॉक्टर की मौत के बाद उपजे बवाल के दौरान दोनों नेता ही मोर्चा संभाले हुए थे। छात्र नेता का पुलिस के बड़े अफसर से उलझते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है। युवा विधायक भी अक्सर पुलिस से उलझते रहते हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र में भी पुलिस के खिलाफ उन्होंने धरना लगाया था। पिछले कई दिनों से वह राजधानी में डटे हुए हैं। अब छात्र नेता की गिरफ्तारी व विधायक के वापस लौटने के बाद आगे की रणनीति पर मंथन हो रहा है।

वजह की हो रही तलाश !
जिला मुख्यालय की राजनीति इन दिनों खूब रोचक हो रही है। राजनीति से जनता के असल मुद्दे गायब हैं। निर्दलीय विधायक और सत्ता वाली पार्टी से प्रत्याशी रहे धड़े के बीच अनबन चुनाव के बाद से लगातार जारी है। इसी बीच पार्टी प्रत्याशी वाले धड़े ने शिकायत दर्ज कराई है कि विधायक ने शहर के एक नामी सर्जन को जान से मारने की धमकी दी है। यह सर्जन इन दिनों राजनीति में काफी सक्रिय हैं। उन्होंने जिला मुख्यालय के साथ ही अन्य ब्लॉक्स में जाकर विधायक के खिलाफ शिकायत दी है। पार्टी के कुछ लोग भी विधायक के खिलाफ शिकायत दे रहे हैं। विधायक का यह ऑडियो अभी तक सामने तो नहीं आया है लेकिन सर्जन का कहना है कि विधायक ने उन्हें फोन पर जान  से मारने, बर्बाद करने की धमकी दी है। कुछ कार्यकर्ताओं ने विधायक का विरोध करते हुए प्रदर्शन की चेतावनी दी है। यह सर्जन शहर में काफी फेमस हैं और अब पेशे से हटकर राजनीति में ज्यादा इंटरेस्ट ले रहे हैं। विधायक ने उन्हें धमकी क्यों दी और सर्जन शिकायत लेकर सत्ता वाली पार्टी के युवा नेता के पास कैसे पहुंचे, इसकी वजह तलाशी जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि सर्जन के समर्थन में अभी तक डॉक्टर्स का संगठन यानि आईएमए आगे नहीं आया है। इसके अलावा सर्जन जिस समाज से संबद्ध है उनकी अच्छी खासी संख्या विधानसभा क्षेत्र में है। टाऊन - जंक्शन दोनों ही क्षेत्र के पदाधिकारियों ने मुखर होकर सामने आना तो दूर निंदा प्रस्ताव तक पारित नहीं किया है। दूसरी तरफ विधायक पर यह आरोप लगने के बाद विधायक समर्थक कुछ लोग भी उनके बचाव में आगे आ रहे हैं। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया कि सर्जन विरोधियों के हाथों की कठपुतली बन कर राजनीति कर रहे हैं। बिना मतलब का विकटम कार्ड खेलने बकी कोशिश हो रही है। खैर... विधायक की कार्यशैली में असल मुद्दे नहीं है या सत्ता वाली पार्टी के हारे हुए प्रत्याशी विधायक के खिलाफ इतनी जल्दी सक्रिय क्यों हो जाते हैं, इसकी समझ शहर की जनता को अभी तक नहीं आ रही है।

योग दिवस का गुणा-भाग समझ से बाहर !
पिछले हफ्ते का आखिरी दिन योग दिवस के रूप में मनाया गया। योग दिवस पर देश भर में कार्यक्रम हुए। प्रदेश में भी प्रदेश के मुखिया ने थार में सीमावर्ती जिले में प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम में भाग लिया। सरकार ने मंत्रियों की अपने प्रभार वाले जिलों में ड्यूटी लगाई। इसी बीच पार्टी के प्रदेश संगठन ने मंत्री और विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में रहने के निर्देश जारी कर दिए। सरकार और सत्ता वाली पार्टी संगठन के अलग-अलग आदेश से नेता असमंजस में रहे। ज्यादातर नेता इसका हिसाब नहीं लगा पाए। कुछ नेताओं ने पार्टी के दिए कार्यक्रमों को तरजीह दी। हालांकि लगभग सभी मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में पहुंचे। प्रदेश में यह पहला मौका नहीं है जब सरकार और पार्टी की अलग-अलग बातें सामने आई हैं ।इससे पहले भी कई मौकों पर ऐसा हो चुका है। अब आम कार्यकर्ता और पार्टी नेता इस अलग अंदाज का हिसाब नहीं लगा पा रहे हैं।  इससे अक्सर पार्टी के प्रदेश प्रधान सहित सरकार की किरकिरी हो जाती है।

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