भटनेर के झरोखे से....अपनों का दर्द नहीं समझ रही सरकार !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 08 Sep, 2024 03:04 PM

the government is not understanding the pain of its own people

प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी में कथित रूप से अपने ही विधायक संतुष्ट नहीं हैं । मंत्रियों के कामकाज के तरीकों से अपने ज्यादा दुःखी हैं। अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में विधायकों और पार्टी नेताओं की नहीं चलने की शिकायत ऊपर तक हो चुकी है। हालांकि इस बार...

नुमानगढ़, 8 सितंबर 2024( बालकृष्ण थरेजा) । प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी में कथित रूप से अपने ही विधायक संतुष्ट नहीं हैं । मंत्रियों के कामकाज के तरीकों से अपने ज्यादा दुःखी हैं। अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में विधायकों और पार्टी नेताओं की नहीं चलने की शिकायत ऊपर तक हो चुकी है। हालांकि इस बार आरएएस अफसरों के तबादलों में विधायकों की राय पूछने की खबरें मिल रही हैं । इसी बीच शहरों के विकास वाला महकमा संभाल रहे मंत्री से उनकी पार्टी के विधायक ने नाराज होकर खुली बयानबाजी कर दी। विधायक ने कहा कि मंत्री सो रहे हैं और उन्हें लग रहा है कि प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार नहीं है । विधायक ने कहा कि अफसरों को बदलने या हटाने का काम मंत्री नहीं कर रहे हैं। मंत्री ने बाद में अपना बचाव करते हुए कहा कि तबादलों पर बैन है, इसलिए मजबूरी है। विधायक के आचरण की शिकायत तो उन्होंने मुखिया से कर दी है। शेखावाटी में भी पार्टी के एक बड़े नेता ने भरी सभा में पार्टी कार्यकर्ताओं का दर्द सुनाया। उन्होंने कहा कि सिर्फ राष्ट्रवाद की चाशनी पिलाकर कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने की कोशिश की जा रही है। चर्चा है कि प्रदेश से फीडबैक जुटाकर हालात सुधारने की कोशिश की जाएगी। सरकार के मुखिया अब संगठन मुखिया से मिलकर पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा जानने की कोशिश करने वाले हैं।

साइकिल से शिक्षा का केसरिया सफर !
शिक्षा से जुड़ी चीज़ों को राजनीति से दूर ही रखा जाना चाहिए, मगर राजनीति का वजन इतना भारी होता है कि वो सब पर हावी हो ही जाती है। अब स्कूली छात्राओं को दी जाने वाली साइकिलों को ही ले लीजिए। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की साइकिलों की रफ्तार को धीमा कर दिया था। अब प्रदेश में भाजपा सरकार ने साइकिलो का रंग भी बदलने का निर्णय लिया है । जी हां, अब 9वीं कक्षा की छात्राओं को केसरिया रंग की साइकिलें दी जाएंगी। शिक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा है कि केसरिया रंग ‘शौर्य और वीरता’ का प्रतीक है। अब सवाल उठाता  है कि क्या साइकिल की सीट पर बैठते ही विद्यार्थी महाराणा प्रताप या पृथ्वीराज चौहान की तरह वीरता का अनुभव करने लगेंगे ?

शिक्षा मंत्री के इस बयान ने रंगों की राजनीति को हवा दे दी है। पहले जहां गहलोत सरकार नीली साइकिलें देती थी, वहां अब केसरिया रंग झंडा बुलंद करेगा। अब सवाल उठता है कि यदि अगली बार जब सरकार बदली तो क्या साइकिलों का रंग भी बदलता रहेगा ?  वैसे लोगों का कहना है कि विद्यार्थियों को चितकबरी साइकिलें वितरित की जानी चाहिए,  ताकि शौर्य के साथ-साथ ‘विविधता’ का भी सम्मान हो जाए ? बहरहाल, शिक्षा मंत्री का यह कदम शौर्य और वीरता को शिक्षा में घुसाने की कोशिश है या फिर साइकिल की चेन बदलने का एक और राजनीतिक दांव ? और वैसे भी, साइकिल चलाने में वीरता की कितनी ज़रूरत होती है, यह तो साइकिल  चलाने वाले ही बेहतर बता सकते हैं।

फर्जी' वकील और 'असली' खेल !
हनुमानगढ़ के बार संघ ने हाल ही में ऐसा कदम उठाया है जो ना सिर्फ न्याय व्यवस्था को सुधारने की दिशा में है, बल्कि उन कथित 'फर्जी' वकीलों के लिए खतरे की घंटी भी है, जो कोर्ट की पोशाक पहनकर अपने कानूनी हुनर का तमाशा कर रहे थे। ये लोग राजस्थान बार काउंसिल से पंजीकृत नहीं हैं, फिर भी अदालती गलियारों में ऐसे घूमते हैं मानो कचहरी के राजा हों।

बार संघ ने ऐसे 'आधिकारिक फर्जियों को विधिक नोटिस जारी कर साफ-साफ कह दिया है, कि अगले सात दिनों में या तो अपनी असलियत बताओ, या फिर कोर्ट परिसर से बाहर हो जाओ। बार संघ के अध्यक्ष ने सख्ती से चेतावनी दी है, कि बिना वैध  डिग्री के अदालत में अपने आप को वकील बताने वालों की पोल अब खुलने वाली है। मज़े की बात यह है कि मामला सिर्फ फर्जी वकीलों तक सीमित नहीं है, बल्कि विधि छात्र-छात्राएं भी अपनी 'लॉ-की' पोशाक पहनकर कोर्ट में न्यायिक अधिकारियों को प्रभावित करने का शौक पाल रहे हैं। लगता है, लॉ कॉलेज से सीधे हाई-फाई शॉर्टकट कोर्ट की गद्दी तक ले जाने वाली कोई नई स्पेशल ट्रेन चल पड़ी है। या शायद, कोर्ट की कक्षा और कॉलेज की क्लास का फर्क ही मिट गया है!

अब सोचिए, ऐसे  लोग आम जनता को कैसे गुमराह करते होंगे ? कोर्ट की पोशाक में ये अधूरी शैक्षणिक 'योग्यता वाले वकील' उन मासूम लोगों को कानूनी सपने बेचते हैं जिन्हें असल में न्याय चाहिए । पर, आखिरकार मामला उनके लिए सिर्फ एक बड़े धोखे का होता है। जो लोग न्यायालय में न्याय की उम्मीद लेकर आते हैं, उन्हें ऐसे लोगों ' के झांसे में फंसना पड़ता है। लेकिन इस बार बार संघ ने ठान लिया है और पूरी तैयारियों के साथ जंग का बिगुल बजाया है। अब अदालत में कोई 'फर्जी वकील' अपनी पोशाक के पीछे छिप नहीं पाएगा। जो भी कानून का मजाक उड़ाएगा, उसे कानून ही 'जवाब' देगा।

समस्या गंभीर है, और समाधान भी सख्त चाहिए। आखिर न्यायालय जनता के लिए एक पवित्र जगह है, जहां सच और झूठ का फैसला होता है । ऐसे में जब खुद नियमों को दरकिनार कर कथित अधिवक्ता बनकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा हो, तो न्याय की अवधारणा पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि इस 'सूट-बूट-प्रकरण' का अंत कहां तक जाता है। क्या फर्जी वकीलों को सच में 'गैवेल' यानी न्याय की हथौड़ी की धमक सुनाई देगी, या फिर यह भी सिर्फ एक और कानूनी रस्म बनकर रह जाएगा? तो जनाब, अगली बार जब आप अपने वकील से मिलें, तो सिर्फ उसकी पोशाक पर मत जाइए, असली सवाल यही है, क्या वह वाकई बार काउंसिल का सदस्य है या फिर सिर्फ एक काले कोट का कलाकार' ?

पूर्व मुखिया की सलाह के मायने !
सत्ता वाली पार्टी में सरकार की पूर्व मुखिया तीसरी बार मुखिया की कुर्सी नहीं मिलने का अपना दर्द छुपा नहीं पा रही हैं । पार्टी में बड़े कद और सूबे में लोकप्रियता के बावजूद उन्हें मुखिया की कुर्सी नहीं दी गई। लगातार संसद पहुंच रहे उनके बेटे को केंद्र सरकार की कैबिनेट में जगह न मिलने का दर्द अभी बरकरार है। पिछले दिनों प्रदेश की राजधानी में हाल ही में महामहिम बनाए गए प्रधान सेवक जी के दोस्त एक बड़े नेता के सम्मान समारोह में पूर्व मुखिया ने अपने भाषण में नसीहत वाले खूब बयान दिए। उन्होंने कहा कि जो आसमान में उड़कर भी अपने पैर जमीन पर रखते हैं वह कभी फेल नहीं होते। पूर्व मुखिया ने कहा कि कुछ लोग हैं जो हवा में उड़कर धरातल भूल जाते हैं उनका हश्र बुरा होता है। पूर्व मुखिया की चेतावनी भरी यह सलाह आखिर किसके लिए थी राजनीतिक गलियारों में इसके मायने निकाले जा रहे हैं ? पूर्व मुखिया ने नए बने महामहिम को बड़ा नेता और जमीन पर पैर रखने वाला बताया । मौजूदा राजनीतिक हालातों में पूर्व मुखिया के बयान सत्ता वाली पार्टी की अंदरूनी सियासत में हलचल पैदा करने वाले कहे जा सकते हैं।

पूर्व मुखिया के बयानों की टाइमिंग से हलचल !
विपक्ष वाली पार्टी में सरकार के मुखिया रहे बड़े नेताजी लंबे समय से बेड रेस्ट पर हैं । पीठ में दर्द की वजह से उन्होंने लंबा वक्त अपने निवास पर ही बिताया है। लोकसभा चुनाव के दौरान हुई इस तकलीफ के बाद अब पूर्व मुखिया स्वस्थ हो गए हैं । खुद के स्वस्थ होने का बयान उन्होंने सोशल मीडिया पर जारी किया है। उनके बयान की टाइमिंग युवा नेता के जन्मदिन की पूर्व संध्या रही है । युवा नेता के समर्थकों ने प्रदेश भर में बड़े आयोजनों की तैयारी कर रखी थी । युवा नेता के समर्थकों ने इस बार प्रदेश भर में गौशालाओं में सेवा का प्लान बनाया था। युवा नेता के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर सरकार के पूर्व मुखिया ने खुद को पूरी तरह से फिट बताने वाला बयान जारी कर दिया। उनका बयान साधारण तरीके से जारी किया गया, लेकिन राजनीतिक रणनीतिकार इसे बड़ी टाइमिंग वाला बयान बता रहे हैं। चर्चा है कि इससे पार्टी के युवा नेता के जन्मदिन के कार्यक्रमों को फीका करने की कोशिश की गई । अब युवा नेता के समर्थकों ने जो प्रेस नोट जारी किया है उसमें प्रदेश के 10 जिलों में उनके जन्मदिन को धूमधाम से मनाने की बात कही गई है। युवा नेता के जन्मदिन के कार्यक्रमों से पहले पूर्व मुखिया के फिट होने से पूर्व मुखिया के समर्थकों में उत्साह लौट आया है। पार्टी में बड़े फैसले हो जाते हैं यहां तक की युग परिवर्तन की बातें हो जाती हैं, लेकिन पूर्व मुखिया के बयानों से फिर बात उनके हाथ में आ जाती है। इसी तरह सरकार में बड़े अफसरों की तैनाती का मसला उन्होंने सोशल मीडिया पर उठाकर एक तीर से कई शिकार कर डाले। पूर्व मुखिया ने बयान में कहा था कि उनके वक्त में तैनात अफसर अभी उन्हीं पदों पर हैं ,इसका मतलब उन्होंने अच्छे अफसरों को पोस्टिंग दी थी। इस बयान से उन्होंने सरकार के सामने नया संकट खड़ा कर दिया। हलचल हुई और अफसर बदले गए।पूर्व मुखिया ने उन्हें सत्ता में लौटने का ख्वाब दिखाकर मलाईदार पोस्टिंग पाने वाले अफसरों को निपटा दिया और सरकार की किरकिरी भी कर डाली। पूर्व मुखिया के बयानों की हलचल विपक्ष वाली पार्टी में आने वाले दिनों में और होनी तय है।
 

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