भटनेर के झरोखे से : जिले की सियासत को हवा दे गए उप मुखिया !

Edited By Chandra Prakash, Updated: 06 Oct, 2024 03:04 PM

the deputy chief has given impetus to the politics of the district

पिछले हफ्ते के आखिर में जिले के दौरे पर आए सरकार के उप मुखिया ने यहां की सियासत को हवा दे दी। एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से लौटते वक्त उन्होंने जिला मुख्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं, स्थानीय विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की। उनका...

 

नुमानगढ़, 6 अक्टूबर 2024,(बालकृष्ण थरेजा) । पिछले हफ्ते के आखिर में जिले के दौरे पर आए सरकार के उप मुखिया ने यहां की सियासत को हवा दे दी। एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से लौटते वक्त उन्होंने जिला मुख्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं, स्थानीय विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की। उनका कई जगह स्वागत हुआ। एक स्वागत समारोह में पिछले चुनाव में भाजपा के युवा प्रत्याशी के पिता और पूर्व मंत्री के पैर छूकर उप मुखिया ने जिले की सियासत को नई हवा दे दी। इससे युवा नेता के समर्थकों में जोश भर गया। हालांकि पूर्व मंत्री के पैर छूने के अलग-अलग राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। कई लोग इसे पूर्व मंत्री के पार्टी में बड़े कद से जोड़कर देख रहे हैं। उप मुखिया ने स्थानीय विधायक से भी मुलाकात की। स्थानीय विधायक निर्दलीय हैं और वर्तमान में सत्ता को समर्थन दे रहे हैं। पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने उप मुखिया का अभिनंदन किया। रावतसर कस्बे में पार्टी की एससी विंग के प्रधान के निवास पर उन्होंने एक कार्यक्रम में शिरकत की। अलग-अलग धड़ों में बंटी पार्टी में इस तरह से स्वागत कार्यक्रमों से जिले की सियासत में थोड़ी हलचल हो गई है। आने वाले दिनों में नेताओं के पावर सेंटर बनने में यह सियासत काफी मददगार साबित होगी। सरकारी कामकाज में दखल रखने वाले नेताओं की पूछ उप मुखिया के दौरे के बाद बढ़ सकती है।

 

लॉकर में लुका-छुपी का खेल !
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि प्रदेश के कई अधिकारियों ने अपना करियर केवल 'लुका-छुपी' के खेल में बनाने का फैसला किया है। सरकार भले ही जनता की आंखों में सपने भरने की कोशिश करती रहे, लेकिन इनके प्राइवेट लॉकर में 'बड़ा सपना' पहले से ही बंद है। इस बार हमारी प्यारी आईएएस बिरादरी ने फिर से एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जिसे देखकर सबकी आंखें दंग रह आई है। एसीबी को ऐसी संपत्ति के साक्ष्य मिले हैं जो एक लॉकर में छुपाई हुई थी। बहरहाल जब सारे देश में बैंकों के लॉकर को भरोसेमंद मानकर सोना-चांदी रखने की परंपरा चली आ रही है तो हमारे अफसरों ने 'संपत्ति की बरसात' का इंतजाम लॉकर में ही कर डाला। अब सवाल ये है कि इन्हें इतना सोना कहां से मिला ? बेटा-बहू के एनजीओ से लेकर, परिवार के तमाम सदस्यो का इसमें योगदान रहा। अब तक तो सिर्फ बाहरी दुश्मनों से सावधान रहने की जरूरत थी लेकिन अब ये प्राइवेट लॉकर भी किसी 'एलीट' खतरे से कम नहीं। जांच एजेंसी ने जो साक्ष्य जुटाए हैं उससे पता चलता है कि अगर इन्क्वायरी थोड़ी और लंबी खींची जाए तो शायद कोई गुप्त खजाना भी हाथ लग जाए।

 

जो आईएएस महोदय कभी आदर्श व्यक्तित्व का प्रतीक माने जाते थे, अब संपत्ति के गणित में इतने माहिर हो गए हैं कि उनके आगे किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट का ज्ञान भी बौना लगने लगे। राजनीति से लेकर प्रशासन तक का ताना-बाना इतनी सफाई से बुना गया है कि किस्से-कहानियों के लिए भी जगह नहीं बचती। खैर... देश में अगर खेलों की तरक्की इसी प्रकार से होती रही तो लॉकरों में संपत्ति छिपाने की कला को ओलंपिक में शामिल कर लेना चाहिए। कौन जाने, हमारे अफसर गोल्ड मेडल भी जीत जाएं!

 

उलझन सुलझाने को दिल्ली पर नजर!
सरकार के एक उप मुखिया पिछले कई दिनों से लगातार विवादों में फंसते जा रहे हैं। उप मुखिया के बेटे की एक रील ने जबरदस्त हल्ला मचा दिया। ओपन जीप में पुलिस की एस्कॉर्ट में बेटे और उसके साथियों की रील ने कई सवाल खड़े कर दिए। रही सही कसर खुद उप मुखिया ने पूरी कर दी। बेटे की रील को लेकर जब सवाल उठने लगे तो उप मुखिया ने बेटे का ही बचाव किया और खुद को कमजोर तबके का बता कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। उप मुखिया ने कहा कि उनका बेटा बड़े लोगों के साथ उठने -बैठने लगा है तो लोगों को दर्द हो रहा है। इसके बाद खुद उप मुखिया के चरित्र को लेकर खबरें उड़ने लगीं । रशियन बाला का साया उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। विपक्ष वाली पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने भी इसको लेकर ट्वीट कर दिया। सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें हो रही है। दिल्ली में उप मुखिया की रशियन महिला के साथ होने की खबरें बाहर आई तो उप मुखिया असहज हो गए। उधर बेटे की रील के बाद दिल्ली ने उप मुखिया को तलब किया। दिल्ली ने उन्हें बयानों से परहेज करने की सलाह दी है। इसके बाद बेटे की गाड़ी का चालान काटकर उनके घर भेजा गया है। उधर प्रदेश के संगठन मुखिया ने उप मुखिया का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि उनको लेकर अफवाहें उड़ाई जा रही हैं ,ऐसा कुछ नहीं है। यह बहुत छोटी बात है और पार्टी ने इस मामले को ड्रॉप कर दिया है। अब दिल्ली किस तरह का मैसेज देगी जो उप मुखिया की रियल लाइफ को प्रभावित करेगा।

 

विस्तार पर नज़रें, जुगाड़ की दरख्वास्त!
सूबे की सरकार में आने वाले दिनों में बदलाव की आहट है। कैबिनेट से कई मंत्रियों को बदला जाकर कुछ नए बनाए जाने हैं। चर्चा है कि दिल्ली से हरी झंडी मिल चुकी है। अब नामों को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है। फिलहाल मंत्री परिषद की 6 सीटें खाली हैं ।कुछ मंत्रियों को बदला जाना है। कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाने की चर्चा है। खासकर ग्रामीण विकास वाले महकमे के दो फाड़ किए जाने से सरकार पिछले 9-10 महीनों में असुविधा में रही है। यही वजह रही कि सियासत में बाबा के नाम से फेमस एक बड़े मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा मंजूर हुआ या नहीं यह किसी को खबर नहीं। अब मंत्री जी विधायक की हैसियत से घूम रहे हैं और सरकार उन्हें मंत्री ही मान रही है। सरकार के एक उप मुखिया के विवाद में आ जाने के बाद अब उनको ड्राप किए जाने की चर्चा जोरों पर है। नए बनने वाले मंत्रियों में कुछ ऐसे नामों की छंटनी होगी जो क्षेत्र की सियासत को प्रभावित करते हों। खासकर नहरी क्षेत्र से किसको शामिल किया जाता है, यह सबसे दिलचस्प होगा। जटसिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक युवा नेता पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं। इसी तरह पड़ौसी जिला मुख्यालय के एक वैश्य समाज के विधायक की लॉबिंग भी अच्छी बताई जा रही है। विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए मंत्रियों का चयन होना है। विधायकों की भागदौड़ और कोशिशें जारी हैं । जनता में उत्सुकता बनी हुई है कि सरकार की मंत्री परिषद में कौन जगह बना पाता है?
 

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