सबसे बड़ा संकट मोह - आचार्य श्री सुनील सागर

Edited By Chandra Prakash, Updated: 21 Nov, 2024 08:18 PM

the biggest problem is attachment  acharya shri sunil sagar

स्वदेश हमारा अपनी आत्मा है। लोगों को अपना आचार व विचार दोनों ही सुधारने चाहिए। समस्या हमेशा रही है और उसका समाधान भी रहा है। आज सबसे बड़ा संकट मोह है और मोह की समाप्ति पर ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। मोह के चलते हम दुश्मन को भी अपना ही बताते है।...

 

चित्तौड़गढ़, 21 नवंबर 2024 । स्वदेश हमारा अपनी आत्मा है। लोगों को अपना आचार व विचार दोनों ही सुधारने चाहिए। समस्या हमेशा रही है और उसका समाधान भी रहा है। आज सबसे बड़ा संकट मोह है और मोह की समाप्ति पर ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। मोह के चलते हम दुश्मन को भी अपना ही बताते है। मोह ही आपका सबसे बड़ा शत्रु  है। उक्त बात प्राकृत ज्ञान केसरी, प्राकृत मार्तण्ड राष्ट्र संत आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने गुरूवार को पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति के तत्वाधान में नव निर्मित श्री आदिनाथ जिनालय का भव्यतम श्रीमद् आदिनाथ जिनबिम्ब पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ के तहत आयोजित मंगल प्रवचन के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।

आचार ओर विचार का विवेक रखे :- आचार्य श्री
जो पत्थर चोट से टूट गया वो कंकर बन गया और जो पत्थर चोट सह गया वो तीर्थंकर बन गया। उक्त उदगार करते हुए प्राकृत ज्ञान केसरी, प्राकृत मार्तंड, राष्ट्र संत मुनि सुनील सागर जी महाराज ने पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन गुरूवार को धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को आचार व विचार दोनों को सुधारना चाहिए । इच्छाएं अतृप्त रहती है उन्हे शांत  और सीमित करने की जरूरत है। मोह की चोट पड़ती है और हम टूट जाते है। आचार्य श्री ने कहा कि संसार का चक्कर मिटाना है तो मोह के संकट को मिटाना होगा। इच्छाएं, कामनायें कभी ना कभी पूर्ण हो जाएगी, लेकिन संसार का चक्कर खत्म नही होगा। मोह का संकट मिट गया तो सारे संकट कट जाते है। चित्त को जैसा बनाओंगे, चित्र भी वैसा ही बन जाएगा। जैसा चित्र बनेगा वैसा ही चरित्र बन जाएगा। चित्त को भगवान में लगाओं, दुख का कारण अज्ञान है। अपने में अपनेपन की बुद्धि होनी चाहिए। जीवन में शांति व सुकुन होना चाहिए। समय का पूरा पूरा सदुपयोग करना चाहिए।

भगवान महावीर ऐसें तीर्थकर है, जिन्होंने जीव मात्र की रक्षा की बात कही है। गर्भ का पतन कराना सबसे खतरनाक काम है। गर्भपात से माताओं के जीवन पर भी कभी कभी संकट आ जाता है। इसलिए हमें प्रण लेना चाहिए कि गर्भपात ना तो करेंगे और ना ही करने वालों की अनुमोदना करेंगे। गर्भ में आई संतान को कभी क्षति नही पहुंचानी चाहिए। गर्भ मां के लिए एक गर्व की बात है और हमें उस गर्व और गर्भ दोनों की रक्षा करनी चाहिए। गृहस्थी का भरा पूरा निर्माण होना चाहिए ।

गुरूवार को ये रहे मेहमान
गर्भ कल्याणक (उत्तरार्द्ध) कार्यक्रम के तहत गुरुवार को प्रतिष्ठित उद्योगपति अशोक पाटनी, महेन्द्र पाटनी के साथ ही प्रसिद्ध वैज्ञानिक पारसमल अग्रवाल विशेष आमंत्रित मेहमान रहे। वैज्ञानिक पारसमल की विज्ञान के बराबर ही आध्यात्म में भी रूचि है। उल्लेखनीय है कि पारसमल अग्रवाल अमेरीका के प्रेसिडेन्ट अवार्ड के लिए नामांकित हो चुके है। इन्होने जैन दर्शन के सर्वोच्य ग्रन्थ ‘‘समय सार’’ को अंग्रेजी में अनुवादित किया है। समिति अध्यक्ष डॉक्टर ज्ञानसागर जैन, महासचिव महावीर रमावत, सह सचिव सुनील पत्नी, कोषाध्यक्ष दिलीप सोगानी, सह कोषाध्यक्ष अनुज जैन, परामर्श दात्री समिति के डॉक्टर नेमीचंद अग्रवाल व सकल दिगंबर जैन समाज के संरक्षक राजकुमार गदीया, अध्यक्ष पारस कुमार सोनी, महामंत्री रमेश चंद्र अजमेरा सहित विभिन्न् समितियों के सदस्य इस महोत्सव की व्यवस्थाओ में लगे हुए हैं।

शुक्रवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम
महोत्सव समिति अध्यक्ष डॉ. ज्ञान सागर व डॉ. नेमीचंद अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार 22 नवंबर को जन्म कल्याण महोत्सव मनाया जायेगा। इसके तहत प्रातः 7.30 बजें भगवान का जन्मोत्सव, 9.30 मंगल प्रवचन, 10.30 बजें जन्म कल्याण की शोभायात्रा, दोपहर 1.30 बजे पाण्डुक शिला पर जन्म अभिषेक, 4.30 बजें आचार्य श्री द्वारा जन्म के 10 अतिशय स्थापना व संस्कार, शाम 7.45 बजें प्रतिश्ठाचार्य द्वारा शास्त्र उद्बोधन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ।  

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