Edited By Chandra Prakash, Updated: 24 Aug, 2024 06:45 PM
वागड़ में अपने पैर जमा चुकी भारत आदिवासी पार्टी में क्या इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी के ही एक नेता में आक्रोश की चिंगारी सुलग रही है। एक तरफ राजकुमार रोत है जो हाल ही में विधायक से सांसद बने हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कांति...
जयपुर, 24 अगस्त 2024(इशिका जैन) । वागड़ में अपने पैर जमा चुकी भारत आदिवासी पार्टी में क्या इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी के ही एक नेता में आक्रोश की चिंगारी सुलग रही है। एक तरफ राजकुमार रोत है जो हाल ही में विधायक से सांसद बने हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कांति भाई हैं, जिहोने आजकल विरोध के स्वर पकड़ लिए है।
दरअसल कांति भाई रोत ने शुक्रवार को अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट किया है, जिसके बाद सियासी गलियारों में मानो हंगामा सा मच गया और कयास लगाए जाने लगे है, कि बाप पार्टी अब बिखर रही हैं। कांति भाई ने अपने फेसबुक अकाउंट पर किए पोस्ट में लिखा कि 'जो लोग हमारे और विचारधारा के दम पर आगे बढ़ गए वो अब उनके इलाकों में हमारी उपस्थिति नहीं चाहते है, हम चले जाए तो वो मायूस हो जाते है। शायद अब उन्हें लगता होगा कि अब जरूरत नहीं है, अब सबकुछ हम ही है , बडा काम या जरूरत पड़ने पर भी अब हम नहीं जाएंगे, देखते हैं आगे से कैसे हैंडल करते है।
आप देखिए कि 21 अगस्त को हुए भारत बंद को लेकर आदिवासी संगठनों ने जब बंद का आह्वान किया, तब भी पार्टी दो गुटों में बंटी हुई नजर आई थी। राजकुमार रोत ने समाज से बंद का समर्थन करने का आग्रह किया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आरोप लगाया । सांसद रोत ने कहा कि फूट डालो और राज करो की मानसिकता वाली नीति से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों द्वारा ST-SC आरक्षित समाज को आपस में लड़ाने के फैसले का हम विरोध करते हैं।
अपने सोशल मीडिया हैडल्स पर राजकुमार ने लिखा कि ST-SC को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के विरोध में भारत बन्द का पूर्ण समर्थन करते है। ये फैसला देश स्तरीय आरक्षित वर्ग की एकता को बिखेरने का काम कर रहा है। हर राज्य में ST-SC समुदाय की अलग-अलग परिस्थिति है, इस स्थिति में सरकारे सच में ST-SC समुदाय का भला चाहती है तो राजस्थान राज्य में गैर अनुसूचित क्षेत्र, अनुसूचित क्षेत्र एवं रेगिस्तान ट्राइबल क्षेत्र के हिसाब से ST-SC के वंचित परिवारों को लाभ दे सकती है, लेकिन ऐसा नहीं करके उप जाति एवं आर्थिक आधार पर बांटकर भाई-भाई को लड़ाने का प्रयास किया गया है ।
वहीं इस मुद्दे पर बाप नेता कांति भाई रोत ने लिखा कि जरा कोई बताएगा कि 21 तारीख को भारत बंद का आह्वान कौनसे संगठन ने किया है । 2 अप्रैल की घटना झेल चुके है, अब हवाई फायर आदेश नहीं चलेगा। कांति भाई के इस रवैये से साफ जाहिर है कि पार्टी में विचारों को लेकर गतिरोध जारी हैं।
वहीं इस मामले पर राजनितिक जानकारों का कहना है कि असल में पार्टी में मुख्य लड़ाई तो वर्चस्व और पद की है। चौरासी की खाली हुई विधानसभा सीट पर कांति भाई रोत चाहते है कि उन्हें टिकट मिल जाए और वो उपचुनाव लड़कर विधानसभा पहुंच जाए। आपको ये भी बता दें कि कांति भाई 2020 में लोकसभा और 2023 में डूंगरपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। मगर राजकुमार रोत वाला गुट चाहता है कि उनके किसी विश्वस्त को ही ये टिकट दिया जाए।