Edited By Chandra Prakash, Updated: 23 Mar, 2025 03:05 PM

प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी के नेता इन दिनों पशोपेश में हैं । कई दिनों से चर्चा चल रही है कि सरकार राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू करने वाली है। पहले खबर आई थी कि इसके लिए दिल्ली में स्क्रूटनी हो रही है। प्रदेश के मुखिया और प्रदेश के संगठन...
हनुमानगढ़ 23मार्च 2025।(बालकृष्ण थरेजा): प्रदेश में सत्ता वाली पार्टी के नेता इन दिनों पशोपेश में हैं । कई दिनों से चर्चा चल रही है कि सरकार राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू करने वाली है। पहले खबर आई थी कि इसके लिए दिल्ली में स्क्रूटनी हो रही है। प्रदेश के मुखिया और प्रदेश के संगठन मुखिया दोनों ही नाम को शॉर्ट लिस्ट कर रहे हैं। इस उम्मीद में प्रदेश के नेताओं ने जयपुर में प्रदेश के मुखिया और संगठन मुखिया के यहां हाजिरी भी लगाई। अब कई दिनों से मामला ठंडा पड़ा है। इस वजह से नेता असमंजस में हैं । खबरें ऐसी भी आ रही हैं कि दिल्ली से सब कुछ फाइनल होगा। प्रदेश के अधिकांश नेता ऐसे हैं जिनका दिल्ली में कोई सोर्स नहीं है। कुछ नेता अपनी सक्रियता के नाम पर लाल बत्ती चाहते हैं। कई नेता जनहित के मुद्दे उठाकर क्षेत्र में सक्रिय हैं । किसी न किसी बहाने उन्हें सरकार में बड़ा ओहदा मिल जाए तो पॉवर हाथ में आ जाए। सबसे ज्यादा जोर पार्टी की हारी हुई सीटों पर लगाया जा रहा है। इन सीटों पर कुछ नेताओं को प्रमोट करने की तैयारी है। प्रमोशन की इच्छा रखने वाले नेता शक्ति प्रदर्शन भी कर रहे हैं। विधानसभा का सत्र खत्म होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों में तेजी आने की चर्चा है। अब नेता समझ नहीं पा रहे कि फील्ड में सक्रिय रहें यह पावर सेंटर के यहां हाजिरी लगाएं।
पूर्व मुखिया के सियासी टूर ने बढाई हलचल !
विपक्ष वाली पार्टी से प्रदेश के पूर्व मुखिया स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद अब राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने लगे हैं। पिछले हफ्ते ही उन्होंने भरतपुर का दौरा किया। भरतपुर जाते समय रास्ते में पांच दर्जन से अधिक स्थानों पर उनका जोरदार स्वागत हुआ। खास बात यह रही की पूर्व मुखिया के स्वागत में भीड़ उम्मीद से ज्यादा उमड़ी ।इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है। सुबह से शाम तक बमुश्किल सफर तय हुआ। स्वागत में पूर्व मुखिया के समर्थक नेताओं के अलावा कार्यकर्ताओं और आम लोगों की मौजूदगी रही। राजनीतिक गलियारों में पूर्व मुखिया के दौरे के बाद हलचल है। वैसे भी माना जाता है कि पूर्व मुखिया कभी भी कोई भी हलचल बिना मतलब के नहीं करते। दिल्ली से उन्हें संगठन में जिम्मेदारी देने का फैसला अभी तक नहीं हुआ है और अब उन्होंने खुद ही प्रदेश में निकलना शुरू कर दिया है। तीन बार प्रदेश के मुखिया रहते हुए उनकी योजनाओं ने देश भर में पहचान बनाई थी। उनकी लोकप्रियता मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सर्वाधिक है। आम लोग उनकी योजनाओं को याद करते हैं और मौजूदा सरकार से तुलना उनके नाम पर ही होती है। विपक्ष वाली पार्टी में गुजरात में बड़ा अधिवेशन होने वाला है और इससे पहले पूर्व मुखिया की सक्रियता कोई बड़ा संदेश देने के लिए हो सकती है।
एक्सटेंशन मिला नहीं, दावेदारों के अपने तर्क!
विपक्ष वाली पार्टी में संगठन के मौजूदा मुखिया को दिल्ली से पद पर एक्सटेंशन दिए जाने का फैसला अभी नहीं हुआ है। इसी बीच पीसीसी चीफ बनने के अन्य दावेदारों ने अपने समीकरण दिल्ली को समझाने की कोशिश की है। विधानसभा में स्पीकर की टिप्पणी के बाद संगठन मुखिया विधानसभा नहीं जा रहे हैं जबकि संगठन के कामों को गति देने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रदेश कार्यकारिणी की बड़ी बैठक ली और होली का स्नेह मिलन भी उन्होंने करवाया। इसमें उन्होंने भाषण देते वक्त कहा कि पहले यहां कोई और था आगे कोई और होगा। इसके बाद कयास लगाने लगाए जाने लगे कि उन्होंने यह विदाई भाषण दिया है। बाद में प्रभारी ने बात संभाली और कहा कि फिलहाल मौजूदा संगठन मुखिया ही सीट पर रहने वाले हैं लेकिन इससे चर्चाएं जरूर शुरू हो गई हैं । सीमावर्ती जिले से आने वाले एक बड़े नेता को बड़े राज्य का प्रभारी बनाकर एडजस्ट कर दिया गया है। युवा नेता पहले से ही एक राज्य में प्रभारी हैं ।संगठन मुखिया को प्रदेश के पूर्व मुखिया का पूरा समर्थन है। प्रदेश के पूर्व मुखिया उनके लिए खुले तौर पर पैरवी करते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रदेश के पूर्व मुखिया चाहते हैं कि मौजूदा संगठन मुखिया अभी पद पर बने रहें तो आगे नई समीकरण साधे जा सकते हैं। चर्चा तो यहां तक है कि प्रदेश के पूर्व मुखिया खुद संगठन में प्रदेश की कमान संभालने की इच्छुक हैं ।वैसे दिल्ली आने वाले समय में सरकार बनाने के लिए यह अचरज भरा फैसला ले भी सकती है। फिलहाल संगठन मुखिया की सीट के दावेदार फिर से दिल्ली में सक्रिय हो रहे हैं।