5 अगस्त को रखा जाएगा सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत

Edited By Chandra Prakash, Updated: 04 Aug, 2025 05:36 PM

sawan putrada ekadashi fast will be kept on 5th august

सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। हर साल महिलाएं संतान प्राप्ति और अपने बच्चों की खुशहाली के लिए कई व्रत रखती हैं। इन्हीं में से एक पुत्रदा एकादशी होती है। साल में...

अजमेर, 4 अगस्त 2025 । सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। हर साल महिलाएं संतान प्राप्ति और अपने बच्चों की खुशहाली के लिए कई व्रत रखती हैं। इन्हीं में से एक पुत्रदा एकादशी होती है। साल में दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। पहला व्रत पौष माह और दूसरा व्रत सावन के महीने में रखा जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन निसंतान दंपत्ति व्रत रखकर, श्रीहरि की विधिपूर्वक पूजा करें, तो उन्हें जल्द ही संतान प्राप्ति होती है। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि श्रावण पुत्रदा एकदाशी का व्रत दिनांक 5 अगस्त को रखा जाएगा और ये व्रत रक्षाबंधन से चार दिन पहले रखा जाता है।  पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की शुरुआत 4 अगस्त 2025 को प्रातः 11:41 बजे से हो रही है, जो कि 5 अगस्त दोपहर 1:12 बजे तक जारी रहेगी। ऐसे में  मंगलवार 5 अगस्त 2025 को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। जिन दांप त्तियों को पुत्र नहीं होता है। उसके लिए पुत्रदा एकदाशी बेहद महत्वपूर्ण है। सनातन धर्म में कुल मिलाकर पूरे साल में 24 एकादशी पड़ती है और सभी एकादशी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और भगवान विष्णु के आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है। अब ऐसे में इन सभी एकादशी में एक पुत्रदा एकादशी भी है। श्रावण मास में पुत्रदा एकदाशी के दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। वहीं साल में दो पुत्रदा एकादशी पड़ती है। पहला पौष में और दूसरा सावन माह में। जिसे श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं।

ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि सावन की पवित्रा एकादशी को ही पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। पुत्रदा एकादशी का अर्थ है कि पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने वाली एकादशी। नि:संतान लोगों के लिए इस एकादशी का खास महत्व है। इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है। इसके अलावा, इस एकादशी का व्रत रखने से संतान से जुड़े सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उत्तम संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ हीसंतान को आयु और आरोग्यता प्राप्त होती है।
 
सावन पुत्रदा एकादशी तिथि
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त 2025 को रखा जाने वाला है। ये व्रत रक्षाबंधन के चार दिन पहले पड़ रहा है। जो भी दंपत्ति पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हों, उनके लिए पुत्रदा एकादशी काफी महत्वपूर्ण व्रत है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 5 अगस्त को है। पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष एकादशी की शुरुआत 4 अगस्त 2025 को प्रातः 11:41 बजे से हो रही है, जो कि 5 अगस्त दोपहर 1:12 बजे तक जारी रहेगी। ऐसे में मंगलवार 5 अगस्त 2025 को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।
  
शुभ योग
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी के दिन भद्रा काल के साथ-साथ रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में श्री हरि की आराधना करने से स्वास्थ्य लाभ, सुख-समृद्धि और कार्यक्षेत्र में प्रगति के योग बनते हैं। साथ ही पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। 

महत्व
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार पुत्र की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को विधि पूर्वक श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से लोक में समस्त भौतिक सुख और परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है। सावन पुत्रदा एकादशी पर संतान सुख के लिए निर्जला व्रत कर रात्रि जागरण करें और फिर अगले दिन व्रत का पारण करें।

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