Edited By Chandra Prakash, Updated: 05 Aug, 2024 07:09 PM
जिले में एक सरपंच ने प्रशासनिक अधिकारियों पर सरपंच को शक्ति विहीन करने के गंभीर आरोप लगाए है । मामला लवाण ब्लॉक की ग्राम पंचायत कंवरपुरा का है। यहां के सरपंच का कहना है कि उसे सरपंच बने लगभग साढ़े तीन साल हो गए हैं, लेकिन उसकी शक्तियों को जिले के...
दौसा, 5 अगस्त 2024। जिले में एक सरपंच ने प्रशासनिक अधिकारियों पर सरपंच को शक्ति विहीन करने के गंभीर आरोप लगाए है । मामला लवाण ब्लॉक की ग्राम पंचायत कंवरपुरा का है। यहां के सरपंच का कहना है कि उसे सरपंच बने लगभग साढ़े तीन साल हो गए हैं, लेकिन उसकी शक्तियों को जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने सीज किया हुआ है । जिसके चलते उसकी पंचायत में विकास के काम पूरी तरह बंद है । जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है और सरपंच भी भाजपा समर्थित है ऐसे में भी उसका गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है।
कंवरपुरा पंचायत के सरपंच विजय बैरवा ने आरोप लगाते हुए कहा है, कि लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने हुए सरपंच को इसलिए शक्ति विहीन कर दिया जाए । क्योंकि वो जिला भाजपा मोर्चे में पदाधिकारी (किसी दल) से संबंध रखता है । मजे की बात यह है कि उसे जनता के द्वारा चुना हुआ है और उसकी पंचायत को विकास महरूम रखा जावें। लेकिन दौसा जिले में तत्कालीन गहलोत सरकार के समय से प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा ऐसा किया भी और आज भी स्थिति जस की तस बनी है। मतलब यह है कि राज बदला लेकिन रिवाज वहीं है ।
सरपंच ने कहा कि, यदि वो दोषी था तो उसका निलम्बन किया जाना आवश्यक था। लेकिन एक तरफा निर्णय लेकर धारा 38(ख)(1) कार्यवाही को प्रस्तावित करने से सरपंच को दोषी मानते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने उसे दण्ड देकर ग्राम विकास अधिकारी मनमोहित मीना विकास अधिकारी नरेन्द्र मीना व कंचन वोहरा के द्वारा ग्राम पंचायत की निधियों को दूरउपयोग किया जाने का आरोप लगाया है।
इधर सरपंच ने बताया कि तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी मनमोहित के बिलों के भुगतान में अनियमितता थी । जिसकी शिकायत सरपंच विजय बैरवा ने की । तो 2022 में सरपंच की एस.एस.ओ.आईडी को निष्क्रीय कर दिया । उधर एसएसओ आईडी बंद होने के चलते सरपंच शक्तिविहिन हो गया। लेकिन जब मामला बढ़ता देख तकनीकी खामी बताकर एसएसओ. आईडी को वापस सक्रिय कर दिया गया ।
सरपंच का आरोप तो यहां तक भी है कि शिकायत की जांच रिपोर्ट में भी ग्राम विकास अधिकारी दोषी था। उस पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में लीपा-पोती कर रफा-दफा कर दिया है। सरपंच विजय बैरवा की माने तो प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा ग्राम पंचायत भवन के निर्माण के लिए न्यायालय का स्थगन होने के बावजूद एक तरफा निर्णय लेकर ग्राम पंचायत में निर्माण समिति का गठन करते हुए सरपंच की एस.एस.ओ. आईडी को एक बार वापस निष्क्रिय कर दिया ।
सरपंच ने बताया कि राजस्थान पंचायतीराज में ग्राम विकास अधिकारी एवं विकास अधिकारी 10,000 रुपए से अधिक भुगतान नहीं कर सकते हैं। लेकिन इसके द्वारा लाखों का भुगतान किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा निविदा जारी करने के दौरान राजस्थान लोक उपापन नियम 2012 व 2013 की अनदेखी कर अपने परिचित निविदा दाता को 3 प्रतिशत की धरोहर राशि लिए बिना ही, 50 लाख रुपए की निविदा जारी की गई तथा लाखों रुपए का भुगतान किया गया और बकाया और भुगतान करने की तैयारी है।
इधर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा हाईकोर्ट के स्थगन के बावजूद ग्राम पंचायत भवन का निर्माण करवाया गया तथा जिसको हाईकोर्ट ने न्यायालय की अवमानना मानते हुए नोटिस जारी किए, जो कि वर्तमान में उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। दौसा जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से सरपंच विजय बैरवा ने कई बार निर्माण समिति को भंग करने और एस.एस.ओ. आईडी को चालू किए जाने की गुहार लगाई है । लेकिन इसको प्रशासनिक हठधर्मिता कहे या कुछ और लेकिन इस बीच गांव का विकास पूरी तरह ठप हो गया है । कांग्रेस कार्यकाल में बंद हुई सरपंच की एसएसओ आईडी भाजपा शासन आने के बाद अब भी बंद है, इसका मतलब यह भी कहा जा सकता है राज बदला है रिवाज वहीं है ।