भारत–एक सूत्रधार” थीम पर सजा सरस राजसखी मेला, संस्कृति और तकनीक का संगम

Edited By Kuldeep Kundara, Updated: 24 Dec, 2025 12:52 PM

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भारत को एक सूत्र में पिरोने की भावना को साकार करती “भारत – एक सूत्रधार” की थीम पर आधारित सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला-2025 इन दिनों लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

जयपुर । भारत को एक सूत्र में पिरोने की भावना को साकार करती “भारत – एक सूत्रधार” की थीम पर आधारित सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला-2025 इन दिनों लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आए हस्तशिल्प, वस्त्र, व्यंजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भारतीय विविधता की एक जीवंत तस्वीर पेश कर रही हैं। 

मेले के दौरान एनआईएफ ग्लोबल जयपुर, कमला पोद्दार इंस्टीट्यूट एवं राजीविका के संयुक्त तत्वावधान में डिजिटल सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने हेतु एक जागरूकता नाट्य प्रस्तुति भी दी गई। इस प्रस्तुति के माध्यम से आत्मविश्वास, ग्रूमिंग तथा डिजिटल टूल्स के महत्व को सरल और प्रभावशाली ढंग से दर्शाया गया। नाट्य दृश्यों के जरिए यह संदेश दिया गया कि कॉन्फिडेंट कम्युनिकेशन और प्रभावी प्रेज़ेंटेशन से ग्राहक जुड़ाव बेहतर होता है, वहीं ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम और कैशलेस लेन-देन आज के डिजिटल युग में व्यवसाय की आवश्यकता बन चुके हैं। इसके साथ ही वाट्सअप, वाट्सअप बिजनेस और इंस्टाग्राम  जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से घर बैठे व्यवसाय विस्तार, ऑर्डर मैनेजमेंट, डिलीवरी तथा उत्पाद प्रचार के तरीकों को भी प्रस्तुत किया गया। एनआईएफ ग्लोबल जयपुर और कमला पोद्दार इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स द्वारा मंचित इस नाट्य प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा और इसे डिजिटल साक्षरता एवं आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सार्थक पहल बताया।

मेले में टेक्सटाइल सेक्शन में खास तौर पर महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली। पंजाब, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों से आए पारंपरिक वस्त्र अपनी विशिष्ट पहचान और आकर्षक बनावट के कारण खासे लोकप्रिय हो रहे हैं। रंग-बिरंगे परिधान, बारीक हस्तनिर्मित डिज़ाइन, पारंपरिक कढ़ाई और क्षेत्रीय कला की झलक ने खरीदारों को अपनी ओर आकर्षित किया है। रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान कलाकारों द्वारा प्रस्तुत राजस्थानी लोक नृत्य और मधुर मांड गायन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं बिहार के पारंपरिक लोक नृत्य- जजिया और जाट-जतिन- की जीवंत और भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना दिया। दर्शकगण तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कलाकारों का उत्साहवर्धन करते नजर आए और पूरा परिसर उत्सवधर्मी वातावरण में डूब गया।

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