Edited By Raunak Pareek, Updated: 05 Dec, 2024 02:11 PM
ऐली की कहानी का अंत सुखद है, क्योंकि उसे बचा लिया गया और अब वह एक सेंक्चुरी में खुशी-खुशी रह रही है। स्कूल की प्रिंसिपल अर्चना मनकोटिया ने कहा, "हमारे स्कूल के सभी छात्र ऐली नामक यांत्रिक हथिनी से मिलने के लिए बेहद उत्साहित थे।
'महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल' के छात्रों ने पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की ओर से एक अनोखा अनुभव किया। उन्हें एशिया की पहली रोबोटिक हथिनी ‘ऐली’ से मिलने का मौका मिला, जिसे अपनी आवाज फिल्म अभिनेत्री दिया मिर्जा ने दी है। ऐली ने बच्चों को अपनी आंखें झपकाते और कान फड़फड़ाते हुए वास्तविक हाथियों के संघर्ष की कहानी सुनाई। इस कहानी में उसने बताया कि कैसे हाथी के बच्चे अपनी मां से अलग कर दिए जाते हैं, सर्कस में प्रदर्शन के लिए उन्हें कष्ट झेलने पड़ते हैं और उनकी आजादी छीन ली जाती है।
ऐली की कहानी का अंत सुखद है, क्योंकि उसे बचा लिया गया और अब वह एक सेंक्चुरी में खुशी-खुशी रह रही है। स्कूल की प्रिंसिपल अर्चना मनकोटिया ने कहा, "हमारे स्कूल के सभी छात्र ऐली नामक यांत्रिक हथिनी से मिलने के लिए बेहद उत्साहित थे। ऐली ने उन्हें पशुओं के प्रति दयालुता का महत्वपूर्ण संदेश दिया। ऐली और पीटा इंडिया के प्रयासों से हमारे छात्रों ने समझा कि असली हाथियों को जंजीरों में कैद करने या उनके साथ दुर्व्यवहार करने के बजाय, उन्हें उनके प्राकृतिक घरों में स्वतंत्र रूप से रहने देना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि ऐली से मिले दयालुता के पाठ को वे अन्य पशुओं के साथ भी अपनाएंगे और उनके लिए भी संवेदनशीलता दिखाएंगे।"
पीटा इंडिया की सीनियर एजुकेशन कोऑर्डिनेटर मीनाक्षी नारंग ने कहा, "ऐली बच्चों को यह समझाने में मदद करती है कि अन्य प्रजातियों के जीव भी हमारी तरह दर्द, डर, खुशी और प्यार का अनुभव करते हैं और उन्हें भी एक शांतिपूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है।" उन्होंने यह भी कहा, "पीटा इंडिया सभी परिवारों से अपील करता है कि वे ऐसी गतिविधियों को अपनाएं, जिनमें किसी भी जानवर, विशेष रूप से हाथियों, को परेशानी या नुकसान न हो। हाथियों की भावनाओं को समझते हुए और उनका सम्मान करते हुए, हम इस दुनिया को सभी प्राणियों के लिए एक बेहतर और दयालु जगह बना सकते हैं।"
मनोरंजन के लिए उपयोग किए जाने वाले बंदी हाथियों को अक्सर उनके परिवार और प्राकृतिक आवास, यानी जंगलों, से जबरन अलग कर दिया जाता है। इन हाथियों को अत्यंत क्रूर तरीके से प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें नियंत्रित करने के लिए अंकुश जैसे नुकीले हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है। इस दुर्व्यवहार से उनके मन में गहरी डर और पीड़ा की भावना पैदा हो जाती है। लंबे समय तक कैद में रहने के कारण ये हाथी गंभीर मानसिक विकारों के शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा, इन्हें अक्सर पर्याप्त भोजन, पानी और पशु चिकित्सकीय देखभाल जैसी आवश्यकताओं से भी वंचित रखा जाता है।
मई 2023 से, ऐली ने भारत के विभिन्न निजी, सार्वजनिक, अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी स्कूलों का दौरा करते हुए 1,42,500 से अधिक छात्रों को पशुओं के प्रति दयालुता का संदेश दिया है। उसने बच्चों को यह समझाया है कि सर्कस, सवारी, या अन्य क्रूर प्रदर्शनों के लिए हाथियों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। अब ऐली जयपुर के स्कूलों में हजारों छात्रों तक अपना यह दयालुता भरा संदेश पहुंचाने के लिए तैयार है।