Edited By Afjal Khan, Updated: 17 Dec, 2023 01:08 PM
शभर में राम मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में खासा उत्साह नजर आ रहा है । ऐसे में लोगों को राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने का बेसब्री से इंतजार है । ऐसे में राम मंदिर निर्माण में राजस्थान की ओर से भी अहम रोल निभाया जा रहा है । जिससे लगातार मंदिर...
जयपुर । देशभर में राम मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में खासा उत्साह नजर आ रहा है । ऐसे में लोगों को राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने का बेसब्री से इंतजार है । ऐसे में राम मंदिर निर्माण में राजस्थान की ओर से भी अहम रोल निभाया जा रहा है । जिससे लगातार मंदिर निर्माण को लेकर राजस्थान का सौभाग्य लगातार बढ़ता ही जा रहा है । बताया जा रहा है कि मंदिर निर्माण में लग रहे पत्थर राजस्थान से ले जाए जा रहे है ।
राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान में कहां-कहां से अयोध्या गए पत्थर
दरअसल राम मंदिर निर्माण के लिए भरतपुर, भीलवाड़ा और जोधपुर के पत्थर लगाए गए है । जो राजस्थान के नाम की शोभा बढ़ाएंगे । जोधपुर के सूरसागर छित्तर से लाए गए पत्थरों से राम मंदिर के सुंदर और विशाल गेट तैयार किए गए है । इस विशाल गेट का निर्माण 21 कारीगरों ने 21 दिन में किया गया है। अयोध्या के पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर यह विशाल व सुंदर गेट स्थापित होगा।
जबकि भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर की 39 खानों में से गुलाबी पत्थर भी राम मंदिर निर्माण में लगाया गया । जानकारी के मुताबिक संसद, लालकिला, बुलंद दरवाजा सहित अक्षरधाम और इस्कान के अधिकांश मंदिरों में बंशी पहाड़पुर का पत्थर लगा है । माना जाता है कि यह पत्थर एक हजार साल तक भी खराब नहीं होता है । वहीं भीलवाड़ा से भी
अयोध्या में चल रहे राम मंदिर के निर्माण में भीलवाड़ा के बिजौलिया के सेंड स्टोन का उपयोग किया जा रहा है। मंदिर के बाहर पार्किंग, वॉक-वे एवं परिक्रमा क्षेत्र में लगाया जा रहा है। मंदिर में लग रहे सेंड स्टोन के प्रथम फेज का काम इसी महीने पूरा हो जाएगा। मंदिर में साढ़े 5 लाख स्क्वायर फीट एरिया में बिजौलिया का सेंड स्टोन लगाया जाएगा। वहीं मकराना के मिस्त्री काम पर लगे हुए है। जोधपुर से घी के साथ ही हवन सामग्री भी पहुंचाई गई है, जिसका उपयोग वहां पर किया जाएगा। बता दें कि राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।
बता दें कि अयोध्या में कई दशकों से बाबरी मस्जिद और राम मंदिर को लेकर विवाद चल रहा था । विवाद इस बात को लेकर था कि क्या हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनाया गया या मंदिर को मस्जिद के रूप में बदल दिया गया। ऐसे में 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए संबंधित स्थल को श्रीराम जन्मभूमि माना और 2.77 एकड़ भूमि रामलला के स्वामित्व की मानी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्ट बनाए और ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को शामिल करें । उत्तर प्रदेश की सरकार मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक रूप से मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ भूमि किसी उपयुक्त स्थान पर उपलब्ध कराए। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की। वहीं 5 अगस्त को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया ।