Edited By Chandra Prakash, Updated: 14 Jan, 2025 09:00 AM
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। हर साल ये दिन 14 जनवरी को होता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष...
जोधपुर/जयपुर, 14 जनवरी 2025 । हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। हर साल ये दिन 14 जनवरी को होता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार माघ कृष्ण चतुर्थी में पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को 8:54 मिनट पर अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में आ रहे हैं। मकर संक्रांति के त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ पूरे देश में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य धनु राशि की अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण को देवता का दिन कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस वर्ष मकर संक्रांति पर खास तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। शुभ संयोग होने से मकर संक्रांति पर दान, स्नान और जप करने का महत्व बढ़ जाता है। मकर संक्रांति के बाद ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। इस वजह से ठंड असर कम होना शुरू हो जाएगा और धीरे-धीरे गर्मी बढ़ने लगेगी। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन खासतौर पर किया जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर की गई सूर्य पूजा अक्षय पुण्य के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। मकर संक्रांति पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। नदी किनारे ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज और तिल-गुड़ का दान करें। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। अभी ठंड का समय है तो जरूरतमंद लोगों को ऊनी वस्त्र या कंबल का दान जरूर करें।
खिचड़ी के फायदे
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खाए जाने वाली खिचड़ी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। खिचड़ी से पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलने लगती है। इसके अलावा आगर खिचड़ी मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है साथ ही बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती है।
मकर संक्रांति से बदलता है वातावरण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे कई सारी शरीर के अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को गर्म रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तारायण में सूर्य के ताप शीत को कम करता है।
मकर संक्रांति का महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर्व के दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाना शुभ होता है। देश के कुछ राज्यों में यह भी मान्यता है कि चावल, दाल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने भी प्राण त्यागने के लिए इस समय अर्थात सूर्य के उत्तरायण होने तक प्रतीक्षा की थी। सूर्योदय के बाद खिचड़ी आदि बनाकर तिल के गुड़वाले लडडू प्रथम सूर्यनारायण को अर्पित करना चाहिए बाद में दानादि करना चाहिए। अपने नहाने के जल में तिल डालने चाहिए। ओम नमो भगवते सूर्याय नमः या ओम सूर्याय नमः का जाप करें। माघ माहात्म्य का पाठ भी कल्याणकारी है। सूर्य उपासना कल्याण कारी होती है। इस दिन सूर्य को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए
पिता-पुत्र से संबंधित है मकर संक्रांति का पर्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास निवास करते हैं। इससे यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध स्थापित करने की सीख देता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान व सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है। मकर संक्रांति को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर इसे संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे नाम से जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने दोनों का विशेष महत्व होता है।