राज्य भर्तियों में स्थानीय लोगों को पृथक आरक्षण का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं : मंत्री

Edited By PTI News Agency, Updated: 24 Jan, 2023 08:35 PM

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जयपुर, 24 जनवरी (भाषा) राजस्थान सरकार ने मंगलवार को कहा कि राज्य की सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को अलग से आरक्षण देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

जयपुर, 24 जनवरी (भाषा) राजस्थान सरकार ने मंगलवार को कहा कि राज्य की सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को अलग से आरक्षण देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान राज्य की भर्तियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण संबंधी सवाल का जवाब देते हुए यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा, “सभी सेवा नियमों में ‘राष्ट्रीयता’ के नियम के तहत कर्मचारी के भारत का नागरिक होने का प्रावधान है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (2) के अनुसार, निवास स्थान के आधार पर सार्वजनिक नियोजन में भेदभाव नहीं किया जा सकता।”
कल्ला ने कहा, “निवास स्थान के आधार पर सार्वजनिक नियोजन में विधिक प्रावधान करने का अधिकार अनुच्छेद 16 (3) के अनुसार केवल संसद को है। राज्य में वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्‍ताव विचाराधीन नहीं है।”
साथ ही उन्होंने सदन को सूचित किया कि वर्तमान में प्रदेश की भर्तियों में स्‍थानीय लोगों के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन राज्‍य के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/पिछड़ा वर्ग/ अति पिछड़ा वर्ग/आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की कुल भर्तियों में से 64 फीसदी पदों को केवल राजस्‍थान के स्‍थानीय निवासीयों से भरे जाने का प्रावधान है।

भारतीय जनता पार्टी के विधायक वासुदेव देवनानी ने पूछा था प्रदेश की भर्तियों में स्थानीय लोगों को कितना प्रतिशत आरक्षण देय है और क्या सरकार भर्तियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने का विचार रखती है?
कल्ला ने पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि राज्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान की संस्कृति, इतिहास, भूगोल आदि से संबंधित करीब 30 से 40 प्रतिशत प्रश्न शामिल होते हैं ताकि स्थानीय अभ्यर्थियों को भर्ती में लाभ मिल सके।

उन्होंने बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा 2012 से अब तक आयोजित परीक्षाओं में राज्य से बाहर के मात्र 1.05 प्रतिशत अभ्यर्थी तथा राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अब तक 0.90 प्रतिशत बाहर के अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को भर्तियों में आरक्षण देने के सम्बन्ध में कोई प्रावधान नहीं है।

डॉ. कल्ला ने कहा कि पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात की स्थानीय भाषा मान्यता प्राप्त है, जबकि राजस्थान की भाषा को मान्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है।

वहीं विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने हस्तक्षेप करते हुए मंत्री के जवाब में तमिलनाडु राज्य में व्यवस्था का जिक्र किया और अपनी ओर से सरकार को सलाह दी कि वह इसकी पड़ताल करवाए।

जोशी ने कहा, ‘‘तमिलनाडु का उदाहरण संविधान की कांट्रेरी (प्रतिकूल) नहीं है तो हमें... सरकार को भी प्रावधान करना चाहिये कि यहां जितनी भी भर्तियां निकलेगी उसमें स्थानीय विद्यालयों, महाविद्यालयों में पढ़ने वाला व्यक्ति ही पात्र होगा। इसका पड़ताल जरूर कर ले जिससे स्थानीय छात्रों को, यहां के युवाओं को इसका लाभ मिल सके।’’

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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