Edited By Chandra Prakash, Updated: 26 May, 2025 10:41 AM

वस्त्रनगरी में अब केवल कपड़ा ही नहीं अपितु यहां के खिलाड़ियों ने भी खेल के क्षेत्र में नए आयाम लिखना शुरू कर दिए है । यह पहली बार नहीं है कि यहां का खिलाड़ी कोई अंतराष्ट्रीय मेडल लेकर आया है लेकिन इस बार विशेष यह है कि इस बार जिसने यह मैडल जीता है...
भीलवाड़ा, 26 मई 2025। वस्त्रनगरी में अब केवल कपड़ा ही नहीं अपितु यहां के खिलाड़ियों ने भी खेल के क्षेत्र में नए आयाम लिखना शुरू कर दिए है । यह पहली बार नहीं है कि यहां का खिलाड़ी कोई अंतराष्ट्रीय मेडल लेकर आया है लेकिन इस बार विशेष यह है कि इस बार जिसने यह मैडल जीता है वह तो केवल आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण लेने अकादमी में गई थी लेकिन बॉक्सिंग का ऐसा रंग चढ़ा कि की अब वही आत्मरक्षा प्रशिक्षण अब भीलवाड़ा ही नहीं अपितु देश के लिए गौरव का क्षण बन गया है। जी हां यह कहानी है भीलवाड़ा की बेटी प्रियल गर्ग की जिसने श्रीलंका की धरती पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत अपना परचम लहराया है। कुश्ती में अश्विनी बिश्नोई और कशिश गुर्जर की लगातार सफलताओं के बाद अब बॉक्सिंग में भी भीलवाड़ा की बेटी प्रियल गर्ग ने देश का नाम रोशन किया है । प्रियल गर्ग ने श्रीलंका में आयोजित यूथ एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया है, जिससे पूरे भीलवाड़ा में खुशी की लहर दौड़ गई है।
80 किलो कैटेगरी में जीता रजत पदक
कभी आत्मरक्षा के लिए बॉक्सिंग बैग पर पंच मारने वाली प्रियल गर्ग का यह अभ्यास आज उनके लिए एक शानदार करियर बन गया है। शहर के शास्त्री नगर, नीलकंठ कॉलोनी निवासी प्रियल गर्ग ने श्रीलंका में आयोजित अंडर-22 और यूथ एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 80 किलो कैटेगरी में यह रजत पदक जीता है।
पिता की मेहनत का नतीजा
प्रियल के पिता विजय शर्मा, जिन्हें अपनी बेटी में बचपन से ही एक खिलाड़ी नजर आता था,उन्होंने प्रियल को पांचवीं कक्षा से ही खेल के मैदान पर भेजना शुरू कर दिया था। शुरुआत में जिम्नास्टिक में हाथ आजमाया, लेकिन चोट के कारण वह ज्यादा दिन नहीं जुड़ पाईं। इसके बाद तैराकी और क्रिकेट में भी किस्मत आजमाई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली और मन नहीं लगा।
प्रियल ने पांच साल तक की कड़ी मेहनत
यह विजय शर्मा ही थे जिन्होंने आत्मरक्षा के लिए प्रियल को बॉक्सिंग सीखने भेजा। आरवी बॉक्सिंग एकेडमी के कोच राजेश कोली और विजय पारीक के मार्गदर्शन में प्रियल ने पांच साल तक कठोर अभ्यास किया। इसी अभ्यास का फल है कि आज उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर भीलवाड़ा को गौरवान्वित किया है। पिता विजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने केवल आत्मरक्षा के लिए बॉक्सिंग सीखने भेजा था, उन्हें नहीं पता था कि बेटी देश के लिए मेडल जीतेगी।
कजाकिस्तान की चैंपियन से हुआ फाइनल मुकाबला
फाइनल में प्रियल का मुकाबला कजाकिस्तान की विश्व चैंपियन जहक्सेल्याक सबिना से सुगाथादासा स्टेडियम में हुआ। इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में एशिया महाद्वीप के 23 देशों के खिलाड़ियों ने भाग लिया। प्रियल गर्ग इस चैंपियनशिप में भाग लेकर भीलवाड़ा की पहली अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर बन गई हैं, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह जीत न केवल प्रियल के लिए बल्कि पूरे भीलवाड़ा और देश के लिए गर्व का विषय है।